क्या मुंबई पुलिस ने मलाड से दहिसर के बीच रहने वाले लोगों के लिए, सतर्क रहने की एडवाइज़री जारी की है? दरअसल, व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर इन्हीं दावों के साथ एक पोस्ट काफी वायरल हो रही है जिसमें लिखा गया है कि मलाड अंबेवाडी से दहिसर के बीच में 15 से 20 लोगों की टोली आई है. उनके साथ बच्चे और महिलाएं हैं और हथियार भी हैं.
आधी रात को या किसी भी वक्त आते हैं और बच्चे के रोने की आवाज़ आती है. कृपया दरवाज़ा ना खोलें. प्लीज़ सभी ग्रुप में शेयर करें. दहिसर पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रामकांत पाटिल ने भेजा है. कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में ये दावा अलग-अलग वीडियो के साथ भी शेयर किया जा रहा है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम ने अपनी जांच में पाया कि ये दावा फ़र्ज़ी है. पुलिस ने एसी कोई एडवाइज़री जारी नहीं की है. दहिसर पुलिस स्टेशन में रामकांत पाटिल नाम का कोई सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर नियुक्त नहीं है.
वायरल फर्जी दावा
25 जून को नासिर कुरैशी नाम के एक फेसबुक यूज़र ने एक पोस्ट अपलोड की जिसमें लिखा था कि दहिसर पुलिस स्टेशन के अधिकारी ने सतर्क रहने के लिए कहा है क्योंकि हथियारों से लैस एक टोली मलाड से दहिसर के बीच में घूम रही है. इस पोस्ट को कुछ लोगों ने शेयर किया है और इसका आर्काइव्ड वर्ज़न यहां देखा जा सकता है.
फेसबुक यूज़र अर्पण कोठारी ने एक सीसीटीवी फुटेज और पुलिस प्रेस कॉन्फ़्रेंस के एक वीडियो के साथ इसी दावे को 22 जून को शेयर किया. सीसीटीवी में कुछ महिलाएं और पुरुष बात करते हुए सीढ़ी चढ़ रहे हैं जबकि प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पुलिस अधिकारी कुछ गिरफ्तारियों की बात कर रहे हैं. इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्ज़न यहां देखा जा सकता है.
इसी तरह से फेसबुक यूज़र जिग्ना धनक ने एक दूसरा ही वीडियो अपलोड करते हुए दहिसर पुलिस स्टेशन वाली बात का दावा किया. इस पोस्ट में एक शख्स एक महिला का पीछा कर रहा है और उसे धक्का देता है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम ने मुंबई में लूटपाट की किसी घटना को अंजाम देने वाले गिरोह की खबर ढ़ूंढी जिसमें बच्चे के रोने की आवाज़ का इस्तेमाल कर हमला किया गया हो. लेकिन ऐसी कोई खबर सामने नहीं आई. फिर हमने मुंबई पुलिस के वेबसाइट पर पुलिस अधिकारियों की लिस्ट को खंगाला. दहिसर पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर का नाम वसंत नारायण पिंगले है. यह लिस्ट यहां देखी जा सकती है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम ने वायरल पोस्ट के मुद्दे पर पिंगले से बात की तो उन्होंने कहा, “ये पोस्ट पिछले डेढ़ साल से वायरल है. बहुत सारे लोग इसके बारे में मुझसे पूछते रहते हैं और मैं उनको बताता रहता हूं की ये फर्जी है. मैं दहिसर पुलिस स्टेशन में 4 अगस्त 2017 से हूं. मुझसे पहले डेढ़ साल सुभाष सावंत थे और उससे पहले प्रकाश जाधव दो साल के लिए सीनियर पुलिस इंसपेक्टर थे. इतने सालों में तो किसी ने भी सीनियर पुलिस इंसपेक्टर रामकांत पाटिल को दहिसर पुलिस स्टेशन में नियुक्त नहीं देखा.”
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम ने उन वीडियोज की भी जांच की तो पाया कि वो वीडियो जिसमें पुलिस अधिकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते दिख रहे हैं, वो दरअसल पिछले हफ्ते का है जब पुलिस ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया था जो इनकम टैक्स अधिकारी बन कर फ़र्ज़ी रेड डालकर लोगों को लूट रहे थे. इस मामले में 13 लोग पकड़े गए थे और इससे जुड़ी खबर यहां पढ़ी जा सकती है.
इसी तरह से दूसरा वीडियो जिसमें एक शख्स एक महिला का पीछा कर रहा है और बिल्डिंग की लिफ्ट में उन दोनों के बीच हाथापाई होती है, ये वीडियो दरअसल एक चेन छीनने वाली घटना का है. इस मामले में महिला के शोर करने पर आसपास के लोग तुरंत अपने घरों से बाहर आ जाते हैं और आरोपी को धर दबोचते हैं. इस खबर के बारे में और जानकारी यहां से ली जा सकती है.
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