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फैक्ट चेक: क्या यूपी में बुलडोजर से गिराए गए सभी घरों के मालिकों को मिलेगा मुआवजा? सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की सच्चाई ये है

कुछ सोशल मीडिया यूजर्स की मानें तो योगी आदित्यनाथ सरकार को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया है कि यूपी में जिनकें भी घरों को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया है, सरकार उन्हें 25 लाख रुपए का मुआवजा दे.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के तहत उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई में ध्वस्त हुए सभी घरों के मालिकों को सरकार 25 लाख रुपए का मुआवजा देगी.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश यूपी में बुलडोजर से गिराए गए सभी घरों के लिए नहीं, बल्कि साल 2019 में महाराजगंज में हुई एक बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दिया गया है.

कुछ सोशल मीडिया यूजर्स की मानें तो योगी आदित्यनाथ सरकार को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया है कि यूपी में जिनकें भी घरों को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया है, सरकार उन्हें 25 लाख रुपए का मुआवजा दे. 

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इस कथित आदेश को शेयर करते हुए फेसबुक पर एक शख्स ने लिखा है, “हमने जज एडवोकेट पीड़ित आर्गेनाइजेशन ने चार अक्टूबर को जो लिखा था फेसबुक पेज के प्लेटफार्म पर उसे पर आज जाते-जाते चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने मोहर लगा दी. बुलडोजर राज को खत्म कर दिया जिनके मकान गिराए गए उनको 25-25 लाख मुआवजा दिए जाने का आदेश दिया. स्वागत योग्य कदम जो काम पांच तकरीबन साल पहले होना चाहिए था आज हुआ बधाई बहुत-बहुत और लानत सरकारों को जय हिंद शहरी नक्सली सुभाष कैटी लुधियाना.”

fact check

पोस्ट के कमेंट में लोग पूछ रहे हैं कि ये नियम आखिर कब से लागू होगा. 

फैक्ट चेक

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश यूपी में बुलडोजर से गिराए गए सभी घरों के लिए नहीं, बल्कि साल 2019 में महाराजगंज में हुई एक बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दिया गया है. 

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कैसे पता लगाई सच्चाई?

कीवर्ड सर्च की मदद से हमें इस आदेश को लेकर छपी कई खबरें मिलीं. इनके मुताबिक 6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराजगंज जिले में अवैध रूप से ध्वस्त किये गए एक घर को लेकर यूपी सरकार के अधिकारियों की फटकार लगाई थी.

दरअसल, मनोज टीबड़ेवाल नाम के एक शख्स ने कोर्ट को चिट्ठी लिखी थी कि साल 2019 में महाराजगंज में सड़क चौड़ीकरण करने आए अधिकारियों ने उनका घर गलत तरह से ध्वस्त किया था. साल 2020 में दायर हुई इस याचिका का स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की थी.

इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इस निष्कर्ष पर पहुंची कि बुलडोजर कार्रवाई में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था. कोर्ट ने यूपी सरकार को बुलडोजर चलवाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने  और याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. 

और जानकारी के लिए हमने मामले में पीड़ित मनोज टीबड़ेवाल से बात की. उन्होंने हमें बताया कि उनके इलाके में करीब 123 घर थे. साल 2019 में अधिकारियों ने लाउडस्पीकर पर ऐलान करके लोगों को सूचना दी थी कि सड़क के 16 मीटर के दायरे में आने वाले घरों को लोग खुद ही ध्वस्त करा लें, वरना सड़क चौड़ीकरण के दौरान उनपर बुलडोजर चलाया जाएगा. 

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मनोज ने कहा, “इलाके के सभी लोगों ने डर के कारण अपने मकान ध्वस्त करा लिए. मैंने भी पीले निशान से चिन्हित किये गए मेरे घर के 3.7 मीटर हिस्से को ध्वस्त करा लिया. लेकिन अगले दिन अधिकारियों ने जबरन मेरे पूरे मकान पर बुलडोजर चला दिया. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखकर आसपास के और लोग भी न्याय मांगने की योजना बना रहे हैं. फिलहाल सरकार को सिर्फ मुझे ही मुआवजा देने का आदेश मिला है”.

साफ है, साल 2019 में हुए एक बुलडोजर एक्शन को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया जा रहा है कि उन सभी लोगों को अब 25 लाख रुपए मिलेंगे जिनके घरों पर यूपी सरकार ने बुलडोजर चलाया है. 

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