प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के पहले दिन न्यूज एजेंसी ANI को दिए 95 मिनट के इंटरव्यू में लोकसभा चुनाव से पहले के लिए सरकार की राजनीतिक दिशा के संकेत दिए. प्रधानमंत्री ने 40 से ज्यादा सवालों के जवाब दिए. इनमें सर्जिकल स्ट्राइक, किसानों की दिक्कतों से लेकर राम मंदिर से जुड़े सवाल तक शामिल थे. पीएम मोदी ने बीते 4 साल और 7 महीने में अपनी सरकार की उपलब्धियों को लेकर कई दावे किए. इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने प्रधानमंत्री की ओर से किए गए ऐसे पांच दावों की असलियत बारीकी से जानने की कोशिश की. आइए जानते हैं पीएम मोदी के दावों की हकीकत...
1. दावा- आयुष्मान भारत योजना के लॉन्च के बाद पहले 100 दिनों में छह से सात लाख लोगों ने इसके तहत मेडिकल लाभ हासिल किए.
उन्होंने क्या कहा- 'आज हिन्दुस्तान में गरीब व्यक्ति को पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा सरकार देती है. आयुष्मान भारत योजना को अभी 100 दिन भी नहीं हुए और करीब 6-7 लाख लोगों ने उसका लाभ लिया.'
फैक्ट- मोदी सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (AB-PMJAY) को दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी सहायता प्राप्त स्वास्थ्य सुरक्षा कार्यक्रम कह कर प्रचारित किया गया. एक जनवरी 2019 को इस कार्यक्रम को शुरू हुए 100 दिन पूरे हो गए. ये सच है कि इस योजना से छह लाख से ज्यादा लोग अब तक लाभान्वित हो चुके हैं.
आधिकारिक PMJAY वेबसाइट https://www.pmjay.gov.in के मुताबिक इस योजना के तहत विभिन्न अस्पतालों में बीते साल 10 दिसंबर तक 5 लाख 55 हजार 387 लाभार्थियों को भर्ती किया गया. एक जनवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि 6.85 लाख मरीजों को इस योजना के तहत अस्पताल का इलाज उपलब्ध कराया गया. जेटली की फेसबुक पोस्ट को आयुष्मान भारत के आधिकारिक हैंडल @AyushmanNHA ने ट्वीट किया.
2. दावा- जब बीजेपी सत्ता में आई थी, तो देश के 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचना बाकी था. अब उन सभी गांवों में बिजली पहुंच चुकी है.#PMJAY completes 100 days today and more than 6.85 lakh patients have been provided free hospital treatment.
At this pace of creating awareness about PM-JAY, it is anticipated that in the next few years, almost 1 crore+ families will benefit each year.https://t.co/ZdCa9ghGla
— National Health Authority (NHA) (@AyushmanNHA) January 1, 2019
पीएम मोदी ने क्या कहा- 'हमारा देश आज़ाद हुए इतने साल हो गए और जब मैं आया तब 18 हजार गांव ऐसे थे, जहां बिजली नहीं थी. साल 2018 में इन सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का काम पूरा हुआ. ये सफलता नहीं तो क्या है.'
दावा- प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की एक रिलीज़ ( http://www.pib.nic.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1539203) के मुताबिक 19 जुलाई 2018 को सभी 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंच चुकी थी. सरकार के मुताबिक, मणिपुर का लीसांग गांव देश का आखिरी गांव था, जहां बिजली पहुंचनी थी. जब मोदी सत्ता में आए, तो देश के 96% गांवों में पहले ही बिजली पहुंच चुकी थी. लेकिन गांव में बिजली पहुंचने का ये मतलब नहीं है कि उस गांव के सभी घरों तक बिजली पहुंच चुकी है.
सरकार की परिभाषा के मुताबिक एक गांव को ‘विद्युतीकृत’ तब समझा जाता है, जब ग्रिड से पावर केबल गांव के ट्रांसफॉर्मर तक पहुंच जाती है और गांव के 10% घरों के साथ ही स्कूल और स्वास्थ्य केंद्रों जैसे सार्वजनिक स्थान भी इससे जुड़ जाते हैं.
3. दावा- नोटबंदी एक अवांछित झटका नहीं था. जब मनमोहन सिंह ने 1991 में वित्तमंत्री के नाते आर्थिक सुधार शुरू किए थे, तो GDP की दर 2 फीसदी से नीचे आ गिरी थी.
उन्होंने क्या कहा- ' मनमोहन सिंह जब फाइनेंस मिनिस्टर थे और जब इकोनॉमिक रिफॉर्म्स हुए, तो आपको मालूम है कि GDP कितना गिर गया था....ग्रोथ कितना गिर गया था. करीब 2 परसेंट के नीचे आ गया था, क्योंकि एक बदलाव आया था, लेकिन बाद में स्थिति बदलती चली गई.'
फैक्ट- देश में आर्थिक सुधार 1991 में तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने शुरू किए थे. तब 1991-92 में GDP दर वाकई 1.3 फीसदी तक आ गिरी थी. जबकि इससे पहले के दशक में औसत GDP दर 5.7% रही थी. अगले ही वित्त वर्ष यानी 1992-93 में GDP दर फिर 5.1% तक आ गई.
4. दावा- स्टार्टअप इको सिस्टम को लेकर दुनिया भर में भारत नंबर 2 या 3 पर है.
उन्होंने क्या कहा- 'स्टार्टअप को प्रमोट करने के लिए हमने योजना बनाई है, जिसका परिणाम है कि हम स्टार्टअप इकोसिस्टम से दुनिया में तीसरे-चौथे...दूसरे-तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं.'
फैक्ट- ये साफ नहीं है कि क्या प्रधानमंत्री ने समग्र स्टार्टअप इकोसिस्टम को लेकर बात की या वे किसी विशिष्ट क्षेत्र को लेकर बात कर रहे थे. भारतीय टेक स्टार्टअप इको सिस्टम NASSCOM-Zinnov की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है. हालांकि जब हम सिर्फ टेक स्टार्टअप्स की नहीं समग्र स्टार्टअप इकोसिस्टम की बात करें, तो भारत का रैंक काफी नीचे हैं. स्टार्टअपब्लिंक https://www.startupblink.com/?leaderboards&countries की रिसर्च के मुताबिक भारत का स्थान यूक्रेन और ग्रीस से भी नीचे 37वां है. स्टार्टअपब्लिंक को ग्लोबल स्टार्टअप इकोसिस्टम मैप के तौर पर जाना जाता है, जिसमें 125 देशों के दसियों हज़ारों स्टार्टअप्स रजिस्टर्ड हैं. ये रैंकिंग इन देशों की स्टार्टअप इकोसिस्टम की मजबूती के आधार पर तय की जाती है.
5. दावा- मेरी विदेश यात्राएं कमोवेश उतनी ही हैं, जितनी कि दूसरे प्रधानमंत्री करते हैं.
उन्होंने क्या कहा- 'सभी प्रधानमंत्रियों की करीब-करीब इतनी ही यात्राएं होती हैं. कोई ज़्यादा फर्क नहीं होगा, अगर आप हिसाब लगाएंगे. अब इंटरनेशनल फोरम बहुत बन गया है. आपको जाना ही पड़ता है.'
फैक्ट- मोदी की विदेश यात्राओं की संख्या उनके पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह की तुलना में कहीं ज़्यादा रही. अब तक मोदी 92 देशों की यात्राएं कर चुके हैं (जिनमें कुछ देशों की रिपीट यात्राएं भी शामिल हैं). अभी उनके कार्यकाल के पांच महीने बाक़ी हैं. वहीं मनमोहन सिंह ने यूपीए-2 के कार्यकाल में प्रधानमंत्री के नाते 2009 से 2014 के बीच 53 देशों का दौरा किया. विदेश राज्यमंत्री जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह ने बीते साल 27 दिसंबर को राज्यसभा में ये जानकारी दी थी, जिसे यहां देखा जा सकता है .
असल में मोदी की विदेश यात्राओं की संख्या मनमोहन सिंह की प्रधानमंत्री के नाते दो कार्यकालों में की गई विदेश यात्राओं के लगभग बराबर है. मोदी ने 4 साल 7 महीने के कार्यकाल में 92 देशों की यात्राएं कीं. वहीं मनमोहन सिंह ने यूपीए के एक दशक के शासन (2004 से 2014) में 93 देशों की यात्राएं कीं.