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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से अतिक्रमण हटाए जाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. इस फैसले के बाद से रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे का मुद्दा लगातार चर्चा में बना हुआ है.
इसी बीच रेल की पटरियों पर किए गए अतिक्रमण की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इस तस्वीर में पटरियों के बीचों-बीच कुछ औरतों को गेहूं सुखाते हुए देखा जा सकता है. इन औरतों के साथ कुछ छोटे बच्चे भी पटरियों पर खड़े हैं. साथ ही, आसपास कई सारे घर भी नजर आ रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि ये तस्वीर हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण की है.
ऐसे ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि रेल की पटरियों के किनारे अतिक्रमण की ये तस्वीर हल्द्वानी की नहीं, बल्कि दिल्ली की है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर ये हमें हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में मिली.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ये तस्वीर दिल्ली के सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन के किनारे बसी झुग्गी-बस्ती की है.
डाउन टू अर्थ वेबसाइट में छपी एक खबर "Where will these railway track dwellers of Delhi live after eviction" में भी हमें सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन के किनारे बसी झुग्गी-बस्ती की एक तस्वीर मिली. फोटो का श्रेय विकास चौधरी को दिया गया है.
हालांकि इस तस्वीर का फ्रेम वायरल ट्वीट वाली तस्वीर से थोड़ा अलग है, लेकिन जब हमने दोनों तस्वीरों की तुलना की तो हमें कुछ कॉमन एलिमेंट्स यानी समानताएं मिलीं. हमने पाया कि दोनों ही तस्वीरों में दो रेलवे पटरियों के बीच धातु के बने कैबिनेट जैसा एक ढांचा दिख रहा है. दोनों ही तस्वीरों में इस ढांचे के दाहिनी ओर
किसी घर की नीली दीवार दिख रही है. इससे ये पता लगता है कि यह तस्वीर दिल्ली के सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन के किनारे बसी झुग्गी-बस्ती की ही है.
क्या है हल्द्वानी रेलवे भूमि विवाद?
रेलवे का दावा है कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र की गफूर बस्ती में मौजूद 4 हजार 365 परिवारों ने उसकी 29 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है. इस मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में रेलवे की जमीन पर किए गए अतिक्रमण को तोड़ने के आदेश दे दिए थे. अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे ने 2.2 किलोमीटर लंबी पट्टी पर बने पक्के मकानों और दूसरे ढांचों को तोड़ने की पूरी तैयारी भी कर ली थी. लेकिन इससे पहले कि अतिक्रमण हटाया जाता, वहां के स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए और हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है और नोटिस जारी कर सभी पक्षों से जवाब मांगा है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी.
(रिपोर्ट- विकास भदौरिया)