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फैक्ट चेक: 'नागमणि' वाले सांप की ये तस्वीर असली नहीं, एडिटेड है

महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के रतनारा गांव में ऐसे ही एक ‘मणिधारी’ सांप की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इन्हें शेयर कर कई लोग तरह-तरह के दावे कर रहे हैं और कुछ तो इसे सच भी मान रहे हैं. लेकिन फैक्ट चेक में हमने पाया कि सांप के आसपास दिख रही रोशनी कोई नागमणि नहीं है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
इस तस्वीर में दिख रहे सांप के सिर पर मणि रखी है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
सांप के सिर पर मणि को एडिटिंग के जरिए जोड़ा गया है.

अक्सर हम नाग-नागिन के प्यार, नाग के लिए नागिन का बदला, नागमणि, इच्छाधारी नाग-नागिन के किस्से-कहानियां सुनते आए हैं. अगर आपसे कोई कहे कि उन्होंने ‘रहस्यमयी’ नागमणि वाला सांप देखा है तो क्या आप यकीन करेंगे? 

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महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के रतनारा गांव में ऐसे ही एक ‘मणिधारी’ सांप की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इन्हें शेयर कर कई लोग तरह-तरह के दावे कर रहे हैं और कुछ तो इसे सच भी मान रहे हैं. इनमें से एक तस्वीर में सांप के सिर पर कोई चीज दिख रही है, जिससे तेज रोशनी निकलती दिखाई दे रही है. 

एक सोशल मीडिया यूजर ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा, "सनातन धर्म मे हम ऐसे ही पेड़ पौधे गाय को नाग को ऐसे ही नही पूजते शक्तियां होती हैं. उनके पास, नाग नागिन ने नागमणी निकाल कर फिर से अपने सिर मे धारण कर वापिस चले गए, यह नजारा जिन दो लोगों ने देखा वह इतनी घबराहट मे थे कि वीडियो भी नहीं सके. नागमणी 100 बल्ब की जितनी तेज रोशनी दे रही थी. जय नागराज जय महाकाल!" 

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ऐसे ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. 

कैसे पता लगाई सच्चाई? 

हमें लोकल मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स मिलीं. ‘न्यूज प्रभात’ के मुताबिक, गांव में एक घर के बाहर सांप दिखने पर गांव वालों ने सर्प मित्र शैलेश बोरकर को बुलाया. इसके बाद शैलेश ने एक छड़ी की मदद से सांप को पकड़कर गांव से आधे किलोमीटर दूर एक पेड़ के पास छोड़ दिया. रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि शैलेश वहां काफी देर तक खड़े रहे, लेकिन सांप वहां से हिला नहीं. अक्सर सांपों को छोड़ने पर वे तेजी से दूर चले जाते हैं. 

रिपोर्ट में शैलेश और उनके मित्र योगी धामड़े के हवाले से बताया गया है कि कुछ ही देर में उन्हें सांप के फन से तेज रोशनी निलकती हुई दिखाई दी, जिसे उन्होंने अपने फोन के कैमरे में भी कैद किया. 

हालांकि, शैलेश को इस रोशनी का कारण समझ नहीं आया और जब शैलेश ने गांव वालों को ये तस्वीरें दिखाईं तो उन्होंने इसे नागमणि बताया. शैलेश के मुताबिक इस नाग (कोबरा) का वजन लगभग 10-11 किलोग्राम था.  

हमें यूट्यूब पर 'न्यूज प्रभात मीडिया' नाम के एक चैनल पर इस घटना पर एक वीडियो रिपोर्ट भी मिली. इसमें शैलेश एक जगह बोलते हैं कि उन्हें नहीं पता ये रोशनी क्या है, तो दूसरी जगह बोलते हैं कि वो नहीं मानते हैं कि ये नागमणि थी. उन्होंने इसमें रिपोर्टर के पूछे गए सवालों के डांवांडोल जवाब दिए. 

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हमने 'न्यूज प्रभात मीडिया' के रिपोर्टर महेंद्र लिलहरे से संपर्क किया. महेंद्र ने हमें बताया कि शैलेश ने उन्हें सांप को पेड़ के पास छोड़ने के बाद ली गई सारी तस्वीरें दिखाई थीं. उन्होंने बताया कि इन तस्वीरों में सांप के आसपास एक तेज रोशनी दिखाई दे रही थी. लेकिन उन्हें किसी भी तस्वीर में सांप के सिर पर मणि नहीं दिखी जैसी एक वायरल तस्वीर में दिख रही है. महेंद्र ने शैलेश के हवाले से हमें बताया कि किसी ने एक फोटो से छेड़छाड़ कर सांप के सिर पर ‘मणि’ जैसी दिखने वाली चीज लगा दी. 

महेंद्र ने हमें शैलेश द्वारा खींची सारी तस्वीरें भेजीं. 

क्या कहना है एक्सपर्ट का?

हमें 'वनसमाचार' नाम के ब्लॉग में भी ये तस्वीर मिली. मराठी में लिखे इस ब्लॉग का टाइटल है, "सावधान! गोंदिया में दिखी नागमणि एक अफवाह है.” 

ये ब्लॉग सर्प मित्र और 'स्वाब नेचर केयर संस्था' के अध्यक्ष यश कायरकर ने लिखा है.  

उनके मुताबिक, शैलेश और उनके साथियों ने लाइमलाइट पाने के लिए कुछ मीडिया संस्थानों के समक्ष इस घटना को तोड़-मरोड़कर पेश किया.  

हमने यश से संपर्क किया तो उनका कहना था कि अगर शैलेश वाकई में एक सर्पमित्र हैं, तो उन्हें मालूम होना चाहिए कि बड़े से बड़े कोबरा का वजन 4-5 किलो से ज्यादा नहीं होता है. इसके उलट एक पूर्ण विकसित ‘किंग कोबरा’ का वजन 10-11 किलो होता है. लेकिन कोबरा इनके मुकाबले लंबाई और वजन में आधे होते हैं.

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यश ने ये भी आरोप लगाया कि जब उनकी टीम ने शैलेश से संपर्क करने की कोशिश की और अफवाह फैलाने के आरोप में पुलिस में शिकायत दर्ज करने की बात कही, तो उन्होंने अपना फोन ऑफ कर लिया. हमने भी जब शैलेश से बात करने की कोशिश की तो उनका फोन स्विच्ड ऑफ आया.  

यश अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति से भी जुड़े हुए हैं. यश का मानना है कि सांपों के फन या शरीर में कोई नागमणि नहीं होती है, लेकिन इस अंधविश्वास के चलते लोग मणि की तलाश में नाग सर्प प्रजाति को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

उन्होंने हम से यूट्यूब के ‘बपि दा स्नेक एक्सपर्ट’ चैनल का एक वीडियो भी शेयर किया. इसमें एक सर्प मित्र ने, इस वायरल खबर के मद्देनजर, जांच-परीक्षण के जरिए नागमणि के अंधविश्वास को ‘एक्स्पोज’ करने की  कोशिश की है.  

साफ है कि सांप के आसपास दिख रही रोशनी कोई नागमणि नहीं है. पहली नजर में वो एक टॉर्च या बल्ब की लाइट लग रही है. हालांकि  हम रोशनी के स्रोत की पुष्टि नहीं कर सकते हैं. तस्वीरों में दिख रही रोशनी के चलते फैली अफवाह के बाद किसी ने एक तस्वीर को एडिट कर सांप के सिर पर मणि जोड़ दी है. 

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
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