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सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक लड़की डेस्क के पीछे कुर्सी पर बैठी है. लड़की के पीछे पुलिस यूनिफॉर्म में कुछ लोग खड़े हैं. तस्वीर में महाराष्ट्र पुलिस का बोर्ड भी लगा दिख रहा है. इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि ये लड़की उर्दू मीडियम से पहली मुस्लिम महिला आईपीएस बनी है, जिसने पुलिस यूनिफॉर्म की जगह बुर्का पहनकर ऑफिस ज्वाइन किया और इस तरह पुलिस फोर्स के ड्रेस कोड का उल्लंघन किया गया.
कई फेसबुक यूजर्स ने ये तस्वीर पोस्ट की है. इसके साथ हिंदी में कैप्शन लिखा है, “उर्दू माध्यम से पहली IPS बनी महाराष्ट्र में मुस्लिम SP! जिसने पहले ही दिन अपना पुलिस ड्रेसकोड छोड़कर इस्लामिक ड्रेसकोड अपनाया !! शिव सेना सरकार को खुब खुब अभिनंदन !! गझवा ए हिंद मे शिव सेना का योगदान भी सराहनीय रहेगा !!”
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा गलत है. तस्वीर में दिख रही लड़की 14 साल की साहरिश कंवल है जिसे महाराष्ट्र के बुलढाणा में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के पहले एक दिन के लिए सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP) बनाया गया था.
ये गलत दावा फेसबुक पर खूब वायरल हो रहा है. कुछ ऐसी ही पोस्ट के आर्काइव वर्जन यहां देखे जा सकते हैं.
रिवर्स इमेज सर्च की मदद से हमने पाया कि इस घटना के बारे में “द टाइम्स ऑफ इंडिया” ने 5 मार्च, 2020 को रिपोर्ट छापी थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 8 मार्च को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के पहले महाराष्ट्र के बुलढाणा में 14 साल की एक छात्रा को एक दिन के लिए सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसपी) बनाया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, मल्कापुर तहसील में जिला परिषद उर्दू हाई स्कूल की 14 वर्षीय छात्रा साहरिश कंवल को एक दिन के लिए एसपी बनाया गया था. ऐसा सरकारी स्कूल की प्रतिभाशाली छात्राओं को प्रेरित करने के लिए किया गया था. इसी कार्यक्रम के तहत जिला परिषद स्कूल की आठवीं की एक अन्य छात्रा पूनम देशमुख को एक दिन के लिए कलेक्टर भी बनाया था.
“द टाइम्स ऑफ इंडिया” के यूट्यूब चैनल ने 5 मार्च, 2020 को इस कार्यक्रम का वीडियो भी अपलोड किया था. पुलिसकर्मियों से घिरकर बैठी हुई छात्रा की वायरल तस्वीर इस लिंक पर देखी जा सकती है.
ये तस्वीर पहले भी वायरल हो चुकी है, जब इसके साथ दावा किया जा रहा था कि मुंबई की एक 24 साल की मुस्लिम लड़की ने आईएएस की परीक्षा पास की है. इंडिया टुडे ने उस वक्त भी इसका खंडन किया था. जाहिर है कि महिला आईपीएस अधिकारी के नकाब पहनकर ऑफिस ज्वाइन करने का दावा गलत है.