
पैने नाखूनों और सारे शरीर पर उगे बालों वाले अनोखे बच्चे की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. कहा जा रहा है कि ये दुनिया का पहला सफल इंसान और जानवर का हाइब्रिड है.
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर काफी लोग इस तस्वीर को शेयर कर रहे हैं.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर इंसान-जानवर के हाइब्रिड की नहीं बल्कि एक फिल्मी किरदार ‘वुल्फ पप’ है. इस काल्पनिक किरदार को कैरेक्टर आर्टिस्ट जेयर्ड क्रिशेव्सकी ने बनाया था.
क्या है सच्चाई
वायरल फोटो को रिवर्स सर्च करने से ये हमें ‘आर्टस्टेशन’ नाम की वेबसाइट में मिली. यहां दी गई जानकारी के मुताबिक ये ‘वुल्फ पप’ नाम का एक किरदार है जिसे यूएस के कैरेक्टर आर्टिस्ट जेयर्ड क्रिशेव्सकी ने 2013 में की डिजाइन किया था.
जेयर्ड ने 23 मई 2015 को वायरल तस्वीर अपने इंस्टाग्राम पेज पर पोस्ट की थी. साथ ही कैप्शन लिखा था, “‘वुल्फ पप’ किरदार की डिजाइन मैंने ‘ज्यूपिटर एसेंडिंग’ नाम की फिल्म के लिए तैयार की थी. हालांकि ये दृश्य बाद में फिल्म से डिलीट हो गया, पर इसकी कल्पना फिल्म में एक्टर चैनिंग टेटम द्वारा निभाए गए किरदार के जन्म को दर्शाने के लिए की गई थी.” चैनिंग ने इस फिल्म में एक ऐसे शिकारी की भूमिका निभाई थी जिसके शरीर में जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिये अनुवांशिक बदलाव किए गए थे.
वेबसाइट ‘आईएमडीबी’ के मुताबिक जेयर्ड क्रिशेव्सकी फिल्म ‘ज्यूपिटर एसेंडिंग’ से बतौर कॉन्सेप्ट आर्टिस्ट जुड़े थे. फिल्म ‘ज्यूपिटर एसेंडिंग’ 2015 में रिलीज हुई थी.
अब ये तो साफ हो गया कि सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर इंसान-जानवर के हाइब्रिड की नहीं है. लेकिन ये बात सच है कि दुनिया में लंबे समय से ऐसा हाइब्रिड बनाने की कोशिशें चल रही हैं. इसी साल अप्रैल में कुछ अमेरिकी और चीनी वैज्ञानिकों ने मिलकर बंदर और इंसान का हाइब्रिड तैयार किया था. इससे पहले इंसान-सुअर और इंसान-भेड़ के हाइब्रिड बनाने की कोशिशें हो चुकी हैं. कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस तरह के प्रयोग सफल होते हैं तो अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में काफी मदद मिलेगी.
हालांकि इस किस्म के प्रयोगों को बहुत सारे विशेषज्ञ नैतिक रूप से गलत और प्रकृति के नियमों के खिलाफ भी मानते हैं. उन्हें लगता है कि इस तकनीक से जो बच्चे जन्मेंगे, उनकी कोई मां नहीं होगी और वो पूरी तरह से वैज्ञानिकों के रहमो-करम पर निर्भर होंगे. कुछ लोग ये भी मानते हैं कि इस तरह के प्रयोग पशुओं से दुर्व्यवहार की श्रेणी में आते हैं.