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कोरोना महामारी के चलते इस बार यूपी चुनाव में राज्य की स्वास्थ्य सुविधाएं भी अहम मुद्दों में से एक हैं. दूसरी लहर के दौरान कुछ अन्य राज्यों की तरह यूपी से भी ऐसी कई तस्वीरें और वीडियोज सामने आए थे, जिनकी वजह से राज्य की मेडिकल व्यवस्था पर सवाल खड़ा हुआ था.
इसी के मद्देनजर सोशल मीडिया पर विचलित कर देने वाली एक फोटो वायरल हो रही है. फोटो में एक मोटरसाइकिल पर परेशान युवक के पीछे बेसुध हो चुकी एक महिला बैठी दिख रही है, जिसे एक बुजुर्ग शख्स ने संभाला हुआ है.
दावा किया जा रहा है कि ये योगी आदित्यनाथ के यूपी की तस्वीर है जहां एंबुलेंस न मिलने के कारण एक महिला के शव को मोटरसाइकिल पर ले जाना पड़ा.
एक फेसबुक यूजर ने फोटो को शेयर करते हुए लिखा, "उत्तर प्रदेश के जागरूक मतदाताओं से अपील है कि ऐसे दृश्यों को वोट डालते समय जरूर ध्यान करना". फेसबुक और ट्विटर पर इस तस्वीर को शेयर करते हुए कई लोगों ने योगी सरकार पर निशाना साधा है.
क्या है सच्चाई?
इंडिया टु़डे की जांच में सामने आया कि ये यूपी की नहीं बल्कि लगभग पांच साल पुरानी बिहार के पूर्णिया की तस्वीर है. हालांकि, ये बात सच है कि फोटो में दिख रही महिला के शव को एंबुलेंस न मिलने के कारण उसके पति और बेटा मोटरसाइकिल पर ले गए थे.
तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें 4 जून 2017 को छपी "हिंदुस्तान टाइम्स" की एक खबर मिली. खबर में बताया गया है कि यह मामला पूर्णिया के एक सरकारी अस्पताल का था.
शंकर साह नाम के एक व्यक्ति की पत्नी की बीमारी के चलते पूर्णिया के सदर अस्पताल में मौत हो गई थी. शंकर का कहना था कि पत्नी की मौत के बाद उन्होंने अस्पताल के स्टाफ से शव के लिए गाड़ी की व्यवस्था करने के लिए कहा था. लेकिन अस्पताल वालों ने शंकर से कहा कि वह गाड़ी का इंतजाम खुद कर लें.
इसके बाद जब शंकर एक एंबुलेंस ड्राइवर के पास गए तो उसने ढाई हजार रुपये की मांग कर दी. पैसे देने में शंकर असमर्थ थे इसलिए उन्हें पत्नी के शव को अपने बेटे के साथ मोटरसाइकिल पर अपने गांव ले जाना पड़ा. दोनों पिता-पुत्र मजदूर थे और पंजाब में काम करते थे.
कार्रवाई करते हुए अस्पताल स्टाफ के कुछ लोगों को सस्पेंड भी किया गया था. इस तस्वीर के साथ उस समय "द इंडियन एक्सप्रेस" और "जी न्यूज" ने भी खबरें छापी थीं.
यहां इस बात की पुष्टि हो जाती है कि बिहार की पांच साल पुरानी तस्वीर को यूपी का बताकर योगी सरकार को घेरा जा रहा है.