
(नोट: इस स्टोरी में ऐसी कई तस्वीरें और वीडियो हैं जो आपको विचलित कर सकते हैं. )
गाजा में रहने वाली पांच साल की प्यारी-सी बच्ची रघद की आंखों में पहली बार सूजन दिखी तो उसकी मां होदा अल खावली को लगा कि ये कोई छोटा-मोटा इंफेक्शन होगा.
लेकिन जब डॉक्टर ने बताया कि रघद की आंखों की सूजन दरअसल कैंसर का ट्यूमर है तो उसकी मां के पांव तले जमीन खिसक गयी. उनके जेहन में पहला सवाल यही आया कि इजराइल-हमास युद्ध की तबाही के बीच बेटी का इलाज कैसे होगा?
रघद की जान बचाने के लिए उसका परिवार किसी तरह उसे लेकर जॉर्डन पहुंचा. लेकिन वहां के एक अस्पताल में कुछ दिनों तक कैंसर से लड़ने के बाद बच्ची ने हमेशा के लिए आंखे मूंद लीं.
परिवार के पास रह गईं महज चंद यादें और इलाज के आखिरी दिनों में ली गई कुछ दर्दनाक तस्वीरें जब मौत उसे धीरे-धीरे अपने आगोश में खींच रही थी.
अस्पताल के बिस्तर पर दर्द से तड़पती अपनी मासूम बच्ची की उन तस्वीरों को देखकर रघद की मां होदा अल खावली की आंखो में आज भी आंसू आ जाते हैं.
लेकिन गाजा से हजारों किलोमीटर दूर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में अतुल सिंह को ऐसी ही तस्वीरों की तलाश है. तस्वीर जितनी वीभत्स हो, बीमार बच्चे की हालत जितनी दर्दनाक हो, उसकी आंखों में उतनी ही चमक आ जाती है.
अतुल सिंह और उसके जैसे तमाम लोग, इंटरनेट के गलियारों में किसी गिद्ध की तरह मंडराते हुए ऐसे ही बीमार, लाचार और मौत से लड़ते हुए बच्चों की फोटो खोजते और इकट्ठा करते रहते हैं.
बीमार बच्चों की मदद के नाम पर पैसे जुटा कर हड़पना इनके लिए बस एक धंधा है. फिर बच्चा चाहे गाजा का हो, रूस का हो या फिर पाकिस्तान का. कई बार तो इन बच्चों की मौत के बाद भी उसकी फोटो पर क्यू आर कोड और मदद की अपील लगा कर वसूली का सिलसिला नहीं रुकता.
जब आजतक फैक्ट चेक ने रघद की मां से पूछा कि क्या उनकी बेटी के इलाज के लिए उन्हें भारत से किसी ने कोई मदद भेजी, तो उन्हें यकीन नहीं हुआ कि रघद की मौत के दो महीने बाद भी उसकी फोटो दिखाकर भारत में लोग पैसे कमा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मदद तो दूर, भारत से कभी किसी ने संपर्क तक नहीं किया. साथ ही, उन्होंने हमें रघद की कब्र की एक फोटो भेजी जिस पर उसकी मौत की तारीख दर्ज है - 13 जनवरी, 2025.
नकली अकाउंट्स के पीछे छिपे जालसाज
इस धंधे में शामिल लोग अपनी पहचान छिपाने के लिए कई तिकड़म करते हैं और फर्जी सोशल मीडिया अकांउट्स के पीछे छिपे रहते हैं.
जैसे, सोशल मीडिया प्रोफाइल देखकर पहली नजर में आपको लगेगा कि अतुल सिंह, गोरखपुर के 'केआईपीएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी' से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाला एक स्टूडेंट है. फुटबॉल खेलते, दोस्तों के साथ पार्टी करते और नीले सनग्लासेज लगाकर फोटो खिंचाते अतुल को देखकर आपको धोखा हो सकता है कि वो अपनी उम्र के किसी भी और युवक की तरह ही है.
लेकिन अतुल सिंह का एक दूसरा छिपा हुआ चेहरा भी है जो बीमार बच्चों की फोटो के जरिये सोशल मीडिया पर मुनाफाखोरी करता है.
उसके कई सोशल मीडिया एकांउट्स की तहकीकात करने पर हमने पाया कि वो अपनी पहचान छिपा कर '@shree_ram_faimly' नाम से एक इंस्टाग्राम अकाउंट चलाता है. इसके जरिए वो देश-दुनिया के घायल और बीमार बच्चों के फोटो-वीडियो पोस्ट करके उनके इलाज के नाम पर पैसा इकट्ठा करता है.
हमें ऐसे कई सबूत मिले जिनसे ये बात साबित होती है कि 1.4 मिलियन फॉलोअर वाले इंस्टाग्राम अकाउंट '@shree_ram_faimly' से अतुल सीधे तौर पर जुड़ा है. इस खबर को लिखते समय '@shree_ram_faimly' के कुछ पोस्ट्स का क्यू आर कोड स्कैन करने से गूगल पे यूपीआई पर जो फोटो दिखती है, ठीक वही फोटो अतुल के इंस्टाग्राम अकाउंट पर लगी हुई है.
हमें कई और सबूत मिले, जो अतुल और '@shree_ram_faimly' अकाउंट के कनेक्शन की ओर साफ इशारा करते हैं. सोशल मीडिया अकाउंट से मिले सुरागों के दम पर हम अतुल तक कैसे पहुंचे, ये बात नीचे दिए गए चार्ट से बखूबी समझी जा सकती है.
हमने जब इस बारे में और जानकारी के लिए अतुल से संपर्क किया तो पहले उसने कहा कि ये बच्चे यूपी और बिहार के हैं और वो सचमुच ऐसे बच्चों की मदद करता है. उसने ये भी बताया कि वो बाकायदा एक रजिस्टर में इसका लेखाजोखा रखता है. लेकिन जब हमने उसे '@shree_ram_faimly' अकाउंट पर पोस्ट किए गए गाजा के बच्चों के दो वीडियो भेज कर उनके परिवार के बारे में जानकारी मांगी तो उसने हमारा फोन उठाना बंद कर दिया.
साथ ही, इसके बाद '@shree_ram_faimly' अकाउंट पर मौजूद गाजा के बच्चों से संबंधित कुछ पोस्ट भी डिलीट हो गए.
यूं तैयार होता है ठगी का पैकेज
अतुल जैसे लोग इंटरनेट से ऐसी विचलित करने वाली तस्वीरें चुनते हैं जिन्हें देखकर किसी का भी मन पसीज जाए और वो फौरन मदद के लिए पैसे भेजने की सोचे. ऐसे बच्चे जो बुरी तरह जख्मी हों, जिनके शरीर से खून रिस रहा हो, कोई बड़ा ट्यूमर हो, या वो तकलीफ से कराह रहे हों.
अक्सर ये लोग विदेशी बच्चों के वीडियो एडिट करके उसमें हिंदी ऑडियो लगा देते हैं ताकि देखने वालों को ऐसा लगे कि ये कोई बीमार हिन्दुस्तानी बच्चा है. आम तौर पर इनमें किसी महिला की दर्द भरी आवाज होती है जो अपने बच्चे की बीमारी का दुखड़ा रोते हुए आर्थिक मदद मांगती है.
विदेशी बच्चों के वीडियो इस्तेमाल करने का एक और फायदा होता है. उनके परिवारों को इसके बारे में पता तक नहीं चलता, इसलिए कहीं कोई शिकायत भी दर्ज नहीं होती.
कहां से चुराते हैं ये फोटो-वीडियो?
गाजा में युद्ध की तबाही का मंजर दुनिया तक पहुंचाने के लिए जान की बाजी लगाकर काम करने वाले प्रेस फोटोग्राफर्स ने कब सोचा होगा कि उनकी खींची गई तस्वीरों का ऐसा भी इस्तेमाल होगा!
जैसे, '@hyc_help_foundation' नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट ने अक्टूबर 2024 में अस्पताल के स्ट्रेचर पर लेटे एक घायल बच्चे का वीडियो शेयर करते हुए डोनेशन मांगी. बगैर ये बताए कि ये बच्चा कहां का है, उसे क्या हुआ है.
असल में ये वीडियो, गाजा के पत्रकार मोहम्मद कंदील अबु ओमर ने मई 2024 में इंस्टाग्राम पर शेयर किया था. उन्होंने लिखा था “ये बच्चा गाजा के Al-Shaboura इलाके में हुई बमबारी में गंभीर रूप से घायल हो गया”.
मोहम्मद कंदील ने आजतक फैक्ट चेक को बताया कि “राफा में रहने वाला ये बच्चा जिस दिन अस्पताल लाया गया, उसी दिन उसकी मौत हो गई थी. युद्ध में इस बच्चे के परिवार के सदस्य भी मारे गए."
इन ठगों के झांसे में आकर कितने लोग पैसे भेजते हैं ये बताना तो मुश्किल है लेकिन लोगों के कमेंट्स पढ़कर लगता है कि कुछ लोग जरूर ऐसा करते होंगे.
एनजीओ के नाम पर धोखाधड़ी
कुछ फर्जी अकाउंट ऐसे भी हैं जो किसी एनजीओ के नाम पर ठगी कर रहे हैं. 'हैदराबाद यूथ करेज' हैदराबाद में काम करने वाला एक एनजीओ है जो गरीबों की मदद के लिए काम करता है. लेकिन उनके नाम से मिलता-जुलता एक फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट '@hyc_help_foundation' ठगी में जुटा है. इस अकांउट को चलाने वाले लोग, एनजीओ के असली सोशल मीडिया अकांउट पर पोस्ट होने वाले वीडियो, अपना क्यूआर कोड लगाकर शेयर कर देते हैं ताकि लोगों का पैसा एनजीओ के बजाय उनके पास आ जाए.
यहां ये बताना भी जरूरी है कि Hyderabad Youth Courage (HYC) एनजीओ के खिलाफ भी गाजा के लोगों की मदद के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के आरोप में FIR दर्ज हो चुकी है.
हमने गाजा के तीन ऐसे बच्चों के परिवार से बात की, जिनकी फोटो शेयर करके भारत में डोनेशन मांगी जा रही है. तीनों ने यही कहा कि किसी भारतीय व्यक्ति या संस्था की तरफ से उनके पास कोई पैसा नहीं आया है.
ठगों के ठाठ-बाट
मजबूर परिवार भले ही इलाज को तरसते रहें, उनके नाम पर पैसा जुटा कर ऐश करने वालों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
सहारनपुर का इन्फलुएंसर अब्दुल रहीम लग्जरी कारों का शौकीन है, स्टाइलिश कपड़े पहनता है, पहाड़ों में छुट्टियां मनाने जाता है और सोशल मीडिया पर नेताओं के साथ फोटो भी डालता है. यकीन करना मुश्किल है कि वो भी बीमार बच्चों के नाम पर झूठे डोनेशन जुटाने में शामिल है.
वो ये करता है '@harry_lifestyle_1' नाम के एक इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिये. इस अकांउट में आपको बीमार बच्चों की मदद की तमाम अपील और पैसे डोनेट करने के लिए क्यू आर कोड तो मिलेगा लेकिन यहां अब्दुल रहीम के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
तहकीकात करने पर ये बात साफ हो गई कि ठगी करने वाले इस अकांउट @harry_lifestyle_1' के तार, अब्दुल रहीम के असली इंस्टाग्राम अकाउंट '@official_raheem_0' से जुड़े हुए हैं. इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों अकांउट वही चलाता है.
हमने इस बारे में अब्दुल रहीम का पक्ष जानने के लिए उन्हें कॉल किया. उन्होंने कहा कि '@harry_lifestyle_1' इंस्टाग्राम अकाउंट आजकल वो नहीं चलाते हैं. जब हमने उनसे कुछ और सवाल पूछा तो उन्होंने हमारा फोन काट दिया.
अतुल सिंह और अब्दुल रहीम ने चंदे के पैसे से कभी किसी बीमार बच्चे की मदद की या नहीं, इस बारे में पक्के तौर पर कुछ कह पाना मुश्किल है. लेकिन जिस तरह वो ऐसे बच्चों के वीडियो शेयर करते हैं, जिनके बारे में उन्हें खुद ही पता नहीं होता, उसे देखकर ऐसा लगता तो नहीं.
जालसाजों का आपसी कनेक्शन
ठगी करने वाले कई अकाउंट एक-दूसरे को फॉलो करते हैं और अकसर एक ही वीडियो पर अपना-अपना क्यूआर कोड लगाकर शेयर करते हैं. अपनी तहकीकात के दौरान हमें कई संदिग्ध अकाउंट मिले जो इस गोरखधंधे में शामिल हो सकते हैं.
तो अब से अगर आपको सोशल मीडिया पर कोई बीमार बच्चे की फोटो डालकर पैसे मांगता हुआ दिखे तो क्यू आर कोड स्कैन करके पैसे भेजने से पहले दे तसल्ली जरूर कर लें कि उसके पीछे कोई अतुल या अब्दुल तो नहीं छिपा.
(इनपुट: सहारनपुर से राहुल कुमार)