सोशल मीडिया पर एक मस्जिद की तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है. इस मस्जिद का नाम इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है. दावा किया जा रहा है कि इसका नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर "मोदी मस्जिद" रखा गया है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा दावा पूरी तरह गलत है. करीब 170 साल पुरानी इस मस्जिद का नाम प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर नहीं बल्कि एक दानवीर हजरत मोदी अब्दुल गफूर के नाम पर रखा गया है.
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन देखा जा सकता है.
फेसबुक पर इन दिनों मस्जिद के बाहर की तस्वीर शेयर की जा रही है जहां अंग्रेजी और उर्दू में "मोदी मस्जिद" लिखा दिख रहा है. पोस्ट के साथ कैप्शन में लिखा गया हैः "बेंगलुरु के शिवाजी नगर में कई दशकों से बड़ी संख्या में मुस्लिम रहते हैं. अब यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मस्जिद बनाई गई है. मोदी है तो मुमकिन है."
वायरल पोस्ट का सच जानने के लिए हमने इंटरनेट पर "मोदी मस्जिद बेंगलुरु" लिखकर सर्च किया तो हमें यूट्यूब पर एक वीडियो मिला. यह वीडियो बेंगलुरु की इस मस्जिद के पुनर्निर्माण के बाद किए गए उद्घाटन समारोह का है जिसे 4 जून को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था.
वीडियो में मोदी मस्जिद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अल्ताफ अहमद बता रहे हैं कि यह मस्जिद 170 साल पुरानी है, जिसका पुनर्निर्माण किया गया है. इस मस्जिद के निर्माण के लिए उस समय बड़ी रकम देने वाले हजरत मोदी अब्दुल गफूर के नाम पर इसका नाम रखा गया था. हजरत को "मोदी" नाम ब्रिटिशर्स ने दिया था.
पड़ताल में स्पष्ट हुआ कि वायरल दावा पूरी तरह गलत है. मोदी मस्जिद का नाम पीएम मोदी के नाम पर नहीं रखा गया है.