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क्या राज खोलते हैं लाखों लाइक्स बटोरने वाले नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी के सबसे हिट सोशल मीडिया पोस्ट

सोशल मीडिया के युद्ध में मोदी और राहुल किन हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनकी रणनीति क्या है ये पता करने के लिए हमने उनके सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया पोस्ट्स को छांट कर उन्हें गहराई से जांचा. हमने चुनाव की घोषणा वाले दिन यानी 16 मार्च से लेकर पहले चरण की वोटिंग के दिन, यानी 19 अप्रैल तक के दोनों नेताओं के फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स के पोस्ट देखे.

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19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग के बाद आपने भी किसी को ये कहते जरूर सुना होगा, 'इस बार चुनाव काफी फीका जा रहा है'. लेकिन अगर आपको चुनावी गहमागहमी में वो रोमांच, वो एनर्जी महसूस नहीं हो रही है, तो जरा एक बार सोशल मीडिया के गलियारों में झांक कर देखिये. 

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यहां चुनावी बयानबाजी अपने पूरे शबाब पर है. आपको ईडी के छापों से लेकर इलेक्टोरल बॉन्ड और राम मंदिर से लेकर न्याय यात्रा तक तमाम मुद्दों पर सीधी टक्कर देखने को मिलेगी. वो भी अतरंगी हैशटैग्स के साथ. सोशल मीडिया की इस चुनावी महफिल में तंज भरे ताने हैं, अपनी ही शान में गढ़े गए गीत हैं तो हंसाने वाले मीम्स भी हैं.

ऑनलाइन दुनिया में अपना परचम लहराने के लिए सभी नेता पूरा दमखम लगा रहे हैं. जाहिर है, इनमें सबसे रोचक मुकाबला पीएम नरेंद्र मोदी और विपक्ष के प्रमुख नेता राहुल गांधी के बीच है. चुनाव के ई-दंगल में राहुल गांधी के 'सूट-बूट की सरकार' के कटाक्ष भी हैं तो बीजेपी के 'अबकी बार 400 पार' की चुनौती भी. 

सोशल मीडिया के युद्ध में मोदी और राहुल किन हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनकी रणनीति क्या है ये पता करने के लिए हमने उनके सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया पोस्ट्स को छांट कर उन्हें गहराई से जांचा. हमने चुनाव की घोषणा वाले दिन यानी 16 मार्च से लेकर पहले चरण की वोटिंग के दिन, यानी 19 अप्रैल तक के दोनों नेताओं के फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स के पोस्ट देखे. इसके बाद हमने इन सभी अकाउंट्स के टॉप 5 पोस्ट छांटे, यानी ऐसे पोस्ट जिन्हें लोगों ने सबसे ज्यादा लाइक और शेयर किया.

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हमने यह पता लगाने की कोशिश भी की कि आखिर किस तरह के पोस्ट हैं जिन्हें लोग सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. आखिर वो कौन सी बातें हैं जिन्हें मोदी और राहुल के समर्थक अपने पसंदीदा नेताओं में देखना चाहते हैं. हमने पाया कि दोनों का मकसद तो एक है, पर उनका स्टाइल और उनकी रणनीति एकदम जुदा है. 

नतीजे पर पहुंचने के लिए हमने आंकड़े कैसे जुटाए उसे इस स्टोरी के आखिर में विस्तार से बताया गया है. मोदी-राहुल के सोशल मीडिया अकाउंट्स का जायजा लेने पर जो तस्वीर उभरती है वो काफी रोचक है और हमें अंदाजा देती है कि ये नेता किस तरह सोचते हैं.

आस्था की चमक बनाम विद्रोह की आंधी 

हेलिकॉप्टर में बैठकर आईपैड पर रामलला का सूर्याभिषेक देखते पीएम मोदी. हाथ सीने पर, चेहरा पर भक्ति-भाव. इसी दौरान खींची गई एक अन्य तस्वीर का एंगल ऐसा, जिसे देखकर साफ है कि उन्होंने इस कार्यक्रम को देखने के दौरान अपने जूते उतारे हुए हैं.

पीएम मोदी के सोशल मीडिया हैंडल्स के जरिये उनकी किस तरह की छवि उभर रही है, ये बात रामनवमी के मौके पर ली गई इन तस्वीरों को देखकर बखूबी समझी जा सकती है. 

सिर्फ इतना ही नहीं, पीएम के सोशल मीडिया हैंडल्स पर आपको ऐसी और भी तमाम तस्वीरें-वीडियो मिल जाएंगे, जिनमें वो इसी तरह श्रद्धा में लीन, चेहरे पर कृतज्ञता का भाव लिए हुए नजर आते हैं. उनके तकरीबन सभी सोशल हैंडल्स पर अयोध्या, राम मंदिर और आस्था से संबंधित पोस्ट्स की भरमार है. कई जगहों पर वो भगवान की मूर्तियों, धार्मिक गुरुओं, पार्टी के वरिष्ठ लोगों, और बुजुर्ग वोटर्स को नमन करते भी दिखते हैं.

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वहीं, इसके ठीक विपरीत, राहुल गांधी के सोशल मीडिया पोस्ट्स को देखकर एक ऐसे शख्स की छवि बनती है, जिसके दिल में मौजूदा सरकार के प्रति गुस्सा है और जो लोगों को जगाना चाहता है. जिन मुद्दों को लेकर जनता के मन में सरकार के प्रति आक्रोश या असंतुष्टि का भाव है, उन पर मुखर होकर बात करना चाहता है.

अपने 21 मार्च के एक्स पोस्ट में वो कहते हैं कि एक डरा हुआ तानाशाह, एक मरा हुआ लोकतंत्र बनाना चाहता है. इसी तरह, 29 मार्च के पोस्ट में वो लिखते हैं कि जब सरकार बदलेगी तो ‘लोकतंत्र का चीरहरण’ करने वालों पर कार्रवाई ज़रूर होगी.

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आम आदमी को सीधे प्रभावित करने वाले महंगाई-बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर राहुल जोरदार तरीके से सरकार को घेरते हैं. साथ ही, वो सीबीआई-ईडी जैसी सरकारी संस्थाओं के दुरुपयोग के आरोप को भी बार-बार दोहराते हैं. 

 वोटर को 'परिवार' बनाने की होड़

परिवार एक ऐसा शब्द है जिसे इस बार बीजेपी ने तो जमकर इस्तेमाल किया ही, कांग्रेस भी कुछ मौकों पर इसका इस्तेमाल करने से नहीं चूकी. दरअसल, ये शब्द इस साल चर्चा में तब आया जब लालू प्रसाद यादव ने पीएम मोदी के परिवार को लेकर टिप्पणी की, जिसके जवाब में बीजेपी ने 'मोदी का परिवार' अभियान ही लॉन्च कर दिया.  

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पीएम मोदी के सबसे ज्यादा पसंद किए गए पोस्ट्स में से एक है 'मैं मोदी का परिवार हूं' गाने का वीडियो. ये गाना मुख्य रूप से हिंदी भाषा में है लेकिन इसमें अंत में 'मैं मोदी का परिवार हूं' लाइन को कई भारतीय भाषाओं में गाया गया है.    

राहुल गांधी ने भी परिवार शब्द को अपनाया. उन्होंने 3 अप्रैल को अपने वायनाड रोडशो का वीडियो 'मेरा वायनाड परिवार' कैप्शन के साथ शेयर किया. इस वीडियो में वायनाड की सड़कों पर उनके स्वागत में उमड़े जनसैलाब को देखा जा सकता है.

‘नमो ओपी’ का ‘वॉर रुकवा दी मीम’ से मुकाबला

युवाओं की जबर्दस्त एनर्जी, सेन्स ऑफ ह्यूमर और खतरों से खेलने की फितरत हर किसी को पसंद आती है. शायद यही वजह है कि पीएम मोदी और राहुल गांधी- दोनों ही अपने सोशल मीडिया अभियान के तहत 'यूथ फैक्टर' को साधने की कोशिश करते दिखे.

इस कड़ी में सबसे पहले बात उस लड़की की जो बीजेपी के चर्चित विज्ञापन की 'वॉर रुकवा दी गर्ल' की मिमिक्री करती नजर आई. राहुल गांधी ने इस लड़की के मीम बन चुके वीडियो को 2 अप्रैल को अपने एक्स हैंडल से शेयर करते हुए धीरे से एक चुटकी ले ली- अबकी बार "'प्रोपेगैंडा के पापा’ की दाल नहीं गलने वाली".

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वहीं यूथ कनेक्ट के इस खेल में पीएम मोदी भी पीछे नहीं रहे. देश के गेमर्स संग उनकी मुलाकात का वीडियो इसकी बानगी है. इस दौरान जहां युवाओं ने पीएम मोदी को 'गेमर टैग', यानी उनका गेमर वाला नाम 'नमो ओपी’ दिया. वहीं, इस मौके पर पीएम, वीआर हेडसेट पहन कर पूरी तल्लीनता के साथ गेम खेलते भी नजर आए.  

लार्जर देन लाइफ मोदी, बॉय नेक्स्ट डोर राहुल

कार से कहीं जाते हुए राहुल गांधी एक वीडियो बनाते हैं जिसमें वो जनता से कांग्रेस पार्टी के मेनिफेस्टो पर प्रतिक्रिया मांगते हैं. इस दौरान, वो जोर देकर ये बताते हैं कि इसे उन्होंने रात के 12 बजे रिकॉर्ड किया था. वीडियो में चेहरे की थकान को वो छिपाने की कोशिश नहीं करते.

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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उनका यही आम आदमी वाला अंदाज उनके एमपी के शहडोल में महुआ बीनने वाली महिलाओं से बातचीत और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के लिए मैसूर पाक खरीदने वाले वीडियो में भी दिखता है.

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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मगर पीएम मोदी के ज्यादातर वीडियो बेहद प्रोफेशनल तरीके से शूट किए गए हैं जिनमें उनकी ‘लार्जर देन लाइफ’ छवि को दिखाने की कोशिश की गई है. कैमरा एंगल से लेकर लाइटिंग और म्यूजिक तक हर चीज उनकी ऐसी ही छवि को पुख्ता बनाती है. 

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जब वो भगवान राम की मूर्ति को नमन करते हैं, तो कैमरा का एंगल ऐसा चुना जाता है कि भगवान की मूर्ति उनसे कहीं ज्यादा भव्य नजर आती है. लेकिन, बाकी ज्यादातर जगहों पर तस्वीरों का एंगल ऐसा है कि पीएम मोदी का कद विशाल दिखता है. उनके आसपास एक अलग ही आभा दिखती है. 

उनके भूटान दौरे का ये वीडियो भी इस बात को बखूबी दर्शाता है. 

साउथ में टशन के लिए दिखाया दमखम

बीजेपी हो या कांग्रेस- दोनों ही पार्टियों ने इस बार दक्षिण भारतीय राज्यों में जोर आजमाइश के दौरान पूरी ताकत लगा दी. लेकिन लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने का, उनसे रूबरू होने का दोनों का अंदाज एकदम जुदा दिखा.

मिसाल के तौर पर पीएम मोदी जब तमिल न्यूज चैनल थांथी टीवी को इंटरव्यू देने पहुंचे, तो उन्होंने एक ढीलीढाली शर्ट संग पारंपरिक वेष्टि (लुंगी) पहनी हुई थी और कंधे पर अंगवस्त्रम डाला हुआ था. उन्होंने जब एंकर्स के तमिल भाषा के अभिवादन का जवाब तमिल भाषा में ही दिया, तो वो ये कहने पर मजबूर हो गए कि यहां हम अंग्रेजों की तरह सूट-बूट पहन कर बैठे हैं और आप ठेठ तमिल लुक में आए हैं. थांथी टीवी के फेसबुक पेज से लाइव किया गया ये इंटरव्यू बीते एक महीने में पीएम मोदी का दूसरा सबसे ज्यादा देखा गया वीडियो है.  

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वहीं, राहुल गांधी का स्टाइल समझने के लिए उनके वायनाड रोड शो का वीडियो देखना चाहिए. इसमें वो एकदम सिंपल सफेद टीशर्ट पहने हुए प्रचारगाड़ी पर प्रियंका गांधी के साथ खड़े हाथ हिलाते नजर आते हैं. बीते एक महीने में राहुल गांधी के फेसबुक पेज से पोस्ट किए गए इस वीडियो को सबसे ज्यादा लोगों ने पसंद किया. 

अगर आपने गौर किया हो, तो राहुल लगभग हर चुनावी रैली में ऐसी ही सिंपल सफेद टी-शर्ट में दिखते हैं. मोदी की भव्यता और राहुल की सादगी में से लोगों को क्या रास आया इसे जानने के लिए बस 4 जून तक इंतजार कीजिए.

हमने ऐसे किया राहुल-मोदी के सोशल मीडिया पोस्ट्स का आकलन

इस इनवेस्टिगेशन का मकसद पीएम नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के सोशल मीडिया पोस्ट्स की लोकप्रियता की तुलना करना नहीं था. सबको मालूम है कि पंहुच के मामले में मोदी काफी आगे हैं. हमारा लक्ष्य था उस तस्वीर को सामने लाना, जिसे ये दोनों अपनी पोस्ट्स के जरिये दिखाना चाहते हैं.

ये स्टडी एक ऐसे वक्त में की गई, जब देश में चुनाव शुरू हो चुके हैं. ऐसे में, हमने ये पता लगाने की कोशिश की कि सोशल मीडिया पर इन दोनों का कंटेंट कितना अलग है और लोग इन पर किस तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. 

हमने एक्स (पहले ट्विटर), फेसबुक और इंस्टाग्राम के 16 मार्च (चुनाव की घोषणा का दिन) से लेकर 19 अप्रैल (पहले चरण की वोटिंग) तक के पोस्ट्स को छांटा. चूंकि सोशल मीडिया पोस्ट्स पर आने वाली प्रतिक्रियाओं की संख्या बदलती रहती है, इसलिए हमने सिर्फ 19 अप्रैल रात 8 बजे तक इन पर आने वाली प्रतिक्रियाओं के आधार पर अपनी जांच को अंजाम दिया. 

हमने क्राउडटैंगल टूल की मदद से फेसबुक और इंस्टाग्राम के पोस्ट्स का आकलन किया. फेसबुक पर हमने सबसे ज्यादा लाइक और लव (यानी सिर्फ पॉजिटिव प्रतिक्रियाओं वाले), और इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा लाइक्स वाले पोस्ट छांटे. वहीं, एक्स के 'एडवांस्ड सर्च' फीचर की मदद से हमने सबसे ज्यादा लाइक्स और रीपोस्ट्स वाले पोस्ट निकाले. क्राउंडटैंगल और एक्स एडवांस्ड सर्च के जरिये हमें जो आंकड़े मिले, उन्हें हमने खुद से भी चेक किया ताकि गलती की कोई संभावना न रहे.  

राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के बीते करीब एक महीने के सबसे ज्यादा पसंद किए गए सोशल मीडिया पोस्ट्स का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

(इनपुट:संजना सक्सेना और आशीष कुमार) 

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