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20 नवंबर को शुरू हुए फीफा विश्व कप में रोमांचक मुकाबलों का दौर जारी है. भारत में भी इसका जबरदस्त खुमार देखने को मिल रहा है. विशेष रूप से केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम की कुछ कॉलोनियों में तो फुटबॉल प्रेमियों ने दीवारों को अपनी पसंदीदा टीमों की थीम के मुताबिक रंग दिया है.
लेकिन कुछ लोग इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम के शामिल न होने को लेकर सवाल उठा रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि जब साढ़े तीन लाख की आबादी वाला छोटा-सा देश आइसलैंड तक फीफा में खेल रहा है तो 140 करोड़ की आबादी वाले देश भारत का इसमें शामिल न होना शर्मनाक है.
मिसाल के तौर पर, एक फेसबुक यूजर ने इस बारे में लिखा, “आइसलैंड की आबादी सिर्फ 3.5 लाख है लेकिन वो फीफा वर्ल्ड कप खेल रहा है लेकिन हम नहीं. भारत की आबादी 140 करोड़ है और हमारे पास फुटबॉल की अच्छी टीम तक नहीं है. ये विश्वगुरु बनने की तरफ बढ़ते कदम ही है ना?”
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि आइसलैंड के 2022 'फीफा विश्व कप' में हिस्सा लेने की बात गलत है. हालांकि ये सच है कि खबर लिखे जाते वक्त आइसलैंड की फीफा रैंकिंग भारत से कहीं ज्यादा बेहतर है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
फीफा की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, इस बार 'फीफा विश्व कप' में 32 देश हिस्सा ले रहे हैं.
अगर आइसलैंड भी फीफा में हिस्सा ले रहा होता, तो उसका नाम भी इन देशों की सूची में मौजूद होता, पर ऐसा नहीं है. जाहिर है, आइसलैंड इस साल फीफा के लिए क्वालिफाई करने वाले देशों में शामिल नहीं है.
हालांकि साल 2018 में मॉस्को में आयोजित हुए 'फीफा विश्व कप' के लिए आइसलैंड की टीम ने क्वालिफाई किया था. और ये इकलौता मौका था जब इस छोटे से देश की टीम ने फुटबॉल के इस महाकुंभ में हिस्सा लिया था.
उस वक्त मीडिया में इसे लेकर काफी चर्चा हुई थी.
तकरीबन 3.7 लाख की आबादी वाले देश आइसलैंड की फीफा रैंकिंग करीब 142 करोड़ की आबादी वाले देश भारत से बेहतर है. जहां आइसलैंड इस रैंकिंग में 62वें पायदान पर है, वहीं भारत की रैंकिंग 106 है.
क्या भारत ने कभी फीफा विश्व कप के लिए क्वालिफाई नहीं किया?
सुनील छेत्री की कप्तानी वाली भारतीय टीम को फीफा विश्व कप 2022 की क्वालिफाइंग स्टेज के दूसरे राउंड में ही बाहर होना पड़ा था.
भारतीय टीम ने साल 1950 में फीफा विश्व कप के लिए क्वालिफाई किया था. लेकिन इसके बाद भी वो इसमें हिस्सा नहीं ले पाई थी.
इसकी अलग-अलग वजहें बताई जाती हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस वक्त भारतीय फुटबॉल खिलाड़ियों को नंगे पैर फुटबॉल खेलने की आदत थी. लेकिन फीफा के नियमों के अनुसार खिलाडि़यों के लिए जूते पहन कर फुटबॉल खेलना अनिवार्य था. इसलिए भारतीय खिलाडि़यों ने टूर्नामेंट में खेलने से इनकार कर दिया.
वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया कि उस वक्त सरकार के पास विदेश में होने वाली फीफा टूर्नामेंट पर खर्च करने के लिए बजट नहीं था.
फीफा विश्व कप को लेकर लगातार फर्जी और भ्रामक तस्वीरें और पोस्ट्स शेयर की जा रही हैं. ऐसी ही कुछ पोस्ट्स का फैक्ट चेक आप यहां पढ़ सकते हैं.