
सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि तुर्की और सीरिया की सीमा पर जमीन खोदने के दौरान भगवान नरसिंह की 3000 साल पुरानी मूर्ति मिली है. ऐसा कहते हुए लोग सिंह के चेहरे वाली एक मूर्ति की फोटो शेयर कर रहे हैं.
इस फोटो को शेयर करते हुए एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “तुर्की-सीरिया सीमा पर (इराक से भी आगे) "टाइग्रिस नदी" में खुदाई के दौरान मिली भगवान_नरसिंह की 3000 साल पुरानी मूर्ति! जहाँ भी जाओगे, हमें ही पाओगे क्योंकि ये पूरा ब्रह्मांड ही श्रीराम का है.”
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर जिस मूर्ति की तस्वीर शेयर की जा रही है, वो तुर्की-सीरिया सीमा के पास जमीन खोदने के दौरान मिली मूर्ति नहीं है. ये मूर्ति इंडोनेशिया के ‘पुरा दलेम एंड पुरा पेनातारन देसा अदत कुता’ मंदिर में है.
ट्विटर और फेसबुक पर काफी लोग इस फोटो में दिख रही मूर्ति को तुर्की-सीरिया सीमा के पास जमीन खोदे जाने के दौरान मिली मूर्ति बता रहे हैं.
क्या है सच्चाई
वायरल फोटो को रिवर्स सर्च करने से ये हमें रूस की सोशल मीडिया वेबसाइट VK पर मिली. यहां एक यूजर ने इस फोटो को कुछ अन्य मिलती-जुलती मूर्तियों की तस्वीरों के साथ शेयर करते हुए रूसी भाषा में कैप्शन लिखा है, जिसका हिंदी अनुवाद है, “इंडोनेशिया के मंदिर की मूर्तियां”.
एक पर्यटन की वेबसाइट ‘virtourist’ पर भी हमें ये फोटो मिली. यहां भी इस फोटो में दिख रही मूर्ति को इंडोनेशिया का ही बताया गया है. यहां फोटो के साथ लिखा है कि ये मूर्ति बाली के कुता बीच पर स्थित एक हिंदू मंदिर की है.
कीवर्ड सर्च के जरिये हमें पता चला कि ये मूर्ति कुता बीच पर स्थित ‘पुरा दलेम एंड पुरा पेनातारन देसा अदत कुता’ मंदिर की है. गूगल मैप पर इस मंदिर की तस्वीरों को खंगालने पर हमें इसमें एक अलग एंगल से वायरल फोटो वाली मूर्ति की फोटो मिल गई. इससे पहले ‘फैक्टली’ वेबसाइट भी इस तस्वीर की सच्चाई बता चुकी है.
हमारी पड़ताल से ये बात साफ हो जाती है कि सोशल मीडिया पर जिस मूर्ति की फोटो वायरल हो रही है, वो तुर्की-सीरिया सीमा के पास जमीन खोदे जाने पर नहीं मिली थी. वो इंडोनेशिया के ‘पुरा दलेम एंड पुरा पेनातारन देसा अदत कुता’ मंदिर की एक मूर्ति है.