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फैक्ट चेक: पुल की हाइट को लेकर हुए झगड़े का वीडियो किसान आंदोलन 2.0 का बताकर वायरल  

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो किसान आंदोलन से पहले का है. दरअसल ये मामला हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी और एक सरकारी अधिकारी के बीच एक पुल बनाने को लेकर हुई बहस का है. इसका किसान आंदोलन से कुछ लेना-देना नहीं है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
वीडियो में देखा जा सकता है कि किसान आंदोलन 2.0 के दौरान प्रदर्शनकारी किस तरह पैसों के लिए आपस में झगड़ रहे हैं.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये वीडियो किसान आंदोलन से पहले का है जब हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी की एक NHAI अधिकारी से बहस हुई थी.

सोशल मीडिया पर कुछ लोग एक वीडियो शेयर करते हुए कह रहे हैं कि किसान आंदोलन 2.0 के दौरान प्रदर्शनकारी पैसों को लेकर आपस में झगड़ रहे हैं.

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वीडियो में पीली पगड़ी पहने हुए एक बुजुर्ग कहते हैं, “इसका एक करोड़ बचेगा, उस एक करोड़ में से पांच लाख आपके पास भी जाएगा.” इसके जवाब में उनके सामने कुर्सी पर बैठा एक शख्स कहता है, “किसी का एक करोड़ रुपया नहीं बचेगा और ये आपने गलत इल्जाम लगाया है.”  

कुछ पलों बाद ही वो बिफर पड़ता है और कहता है, “मैं मीटिंग छोड़ रहा हूं. आप कौन होते हो मुझे भ्रष्टाचार का इल्जाम लगाने वाले. हद हो गई आपकी.” इसके बाद “जिंदाबाद जिंदाबाद” के नारे लगने लगते हैं.  

वीडियो पर लिखा है, “किसान आंदोलन की परतें खुलने लगीं.” और “पैसों का बंटवारा बरोबर होना चाहिए.”

 

एक इंस्टाग्राम यूजर ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, "पैसों का बंटवारा बरोबर होना चाहिए."

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.  

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फैक्ट चेक

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो किसान आंदोलन से पहले का है. दरअसल ये मामला हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी और एक सरकारी अधिकारी के बीच एक पुल बनाने को लेकर हुई बहस का है. इसका किसान आंदोलन से कुछ लेना-देना नहीं है.

गुरनाम सिंह चढूनी ने खुद "आजतक" से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है.  

कैसे पता लगाई सच्चाई?

वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें यूट्यूब पर इसी से मिलता-जुलता वीडियो मिला. यहां इसे 31 जनवरी को पोस्ट किया गया था. वीडियो के साथ कैप्शन लिखा है, “गुरनाम सिंह चढूनी.” दरअसल, ये वायरल वीडियो वाले वाकये का एक दूसरे एंगल से शूट किया गया वीडियो है और उससे लंबा भी है.    

इतनी बात तो यहीं साफ हो जाती है कि ये वीडियो 13 फरवरी को शुरू हुए किसान आंदोलन से पहले का है.  

फैक्ट चेक

वायरल वीडियो का एक लंबा वर्जन इंस्टाग्राम पर 2 फरवरी को पोस्ट किया गया था. इस पर कमेंट करते हुए भी कई लोगों ने “गुरनाम सिंह चढूनी जिंदाबाद” लिखा है.

फैक्ट चेक

 

इस जानकारी के आधार पर कीवर्ड सर्च करने से हमें गुरनाम सिंह चढूनी के आधिकारिक फेसबुक पेज पर इस घटना से संबंधित वीडियो मिला, जिसे देखकर सारा मामला समझ में आता है. दरअसल ये एक पुल के निर्माण को लेकर गुरनाम सिंह चढूनी की एक NHAI अधिकारी से हुई झड़प का वीडियो है. उनका आरोप था कि इस निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है.

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वीडियो में कुर्सी पर बैठे अधिकारी, चढूनी से कहते हैं कि अगर जरूरत पड़ी तो वो इसे दोबारा बनवा देंगे. इस पर चढूनी उनसे पूछते हैं कि जब इसका निर्माण हो रहा था, तब आप कहां थे. अगर किसान इसे लेकर विरोध प्रदर्शन न करते तो आप तो इसे बनाकर चले जाते.

इस पर अधिकारी जवाब देते हैं कि हम यहां 15 साल के लिए हैं, हमारी इन्सल्ट न करो. इसे बनाने वाले इंजीनियरों का कोई दोष नहीं है. फिर चढूनी उन पर सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं. इसके बाद इसमें वायरल वीडियो वाला हिस्सा देखा जा सकता है.

क्या था पूरा मामला?

हमने इस बारे में जानकारी के लिए गुरनाम सिंह चढूनी से बात की. उन्होंने ‘आजतक’ को बताया कि, "ये घटना अंबाला के तलवंडी गांव की है. वहां पर एक पुल बन रहा था. उसकी हाइट जितनी होनी चाहिए थी, उसका कैल्कुलेशन सड़क के लेवेल के बजाए सड़क किनारे के कच्चे रास्ते के हिसाब से किया गया, जो सड़क की तुलना में काफी नीचे है. ऐसा करके सरकारी अधिकारियों ने मिट्टी डालने के पैसे बचा लिए. इसी वजह से हमने धरना दिया था और सरकारी अधिकारी से इसकी शिकायत की थी. ये वीडियो उसी मामले का है."

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साफ है, किसान नेताओं और एक सरकारी अधिकारी के बीच हो रही कहासुनी के इस वीडियो को किसान आंदोलन का बताकर शेयर किया जा रहा है.

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