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फैक्ट चेक: VVPAT पर्चियों से छेड़छाड़ का नहीं है ये वीडियो, वायरल दावा फर्जी है

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, वीडियो में वीवीपैट (VVPAT) जैसी दिखने वाली मशीनों से पर्चियों को निकालते हुए कुछ लोगों को देखा जा सकता है. इस वीडियो को शेयर कर लोग इसे 19 अप्रैल को हुए पहले चरण के मतदान के बाद का बता रहे हैं और भाजपा पर वीवीपैट मशीन में छेड़ छाड़ करने का भी आरोप लगा रहे हैं.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
वीडियो में 19 अप्रैल को हुए मतदान के बाद बीजेपी ने वीवीपैट पर्चियों को चुरा कर बीजेपी की पर्चियाँ डाली जा रही हैं.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं है और न ही इसमें वीवीपैट मशीनों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ हुई है. ये चुनाव आयोग की एक नियमित प्रक्रिया का वीडियो है.

देश में 19 अप्रैल से लोकसभा चुनावों की शुरुआत हो चुकी है. पहले चरण में 21 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 फीसदी मतदान हुआ.

इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, वीडियो में वीवीपैट (VVPAT) जैसी दिखने वाली मशीनों से पर्चियों को निकालते हुए कुछ लोगों को देखा जा सकता है. इस वीडियो को शेयर कर लोग इसे 19 अप्रैल को हुए पहले चरण के मतदान के बाद का बता रहे हैं और भाजपा पर वीवीपैट मशीन में छेड़ छाड़ करने का भी आरोप लगा रहे हैं.

इस वीडियो को शेयर कर एक एक्स यूजर ने लिखा, “19 तारीख में जो चुनाव हुआ चुनाव के बाद एवं जहां फुल सिक्योरिटी में रखी जाती है वहां एवं से वीवीपीएटी से पर्ची चुराई जा रही है और भारतीय जनता पार्टी अपनी पर्ची डलवा रही है खुलेआम लोकतंत्र की हत्या की जा रही क्या चुनाव आयोग क्या कहना चाहते हैं.” पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां देखा जा सकता है.

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आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो न ही हाल-फिलहाल का है और न ही वीडियो में वीवीपैट मशीनों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ हुई है.


कैसे पता लगाई सच्चाई?


वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च की मदद से खोजने पर हमें ये वीडियो दिसंबर 2022 में कई एक्स यूजर्स द्वारा शेयर किया हुआ मिला. इन पोस्ट्स में इसे गुजरात विधानसभा चुनावों के समय का बताया गया था और चुनावों में भाजपा की जीत पर तंज कसा था. एक्स पर एक पोस्ट के मुताबिक ये वीडियो गुजरात के भावनगर का है. इससे ये बात तो साफ हो जाती है कि इस वीडियो का 2024 लोकसभा चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है.


हमें इस पोस्ट पर भावनगर के जिला कलेक्टर एंव मजिस्ट्रेट का जवाब मिला, जिसमें उन्होंने वायरल वीडियो के बारे में बताया था कि, “भारतीय निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, गिनती पूरी होने के बाद, वीवीपैट पर्चियों को वीवीपैट से हटा दिया जाता है और एक काले लिफाफे में डाल दिया जाता है और उसे सील कर दिया जाता है. ताकि आगे के चुनावों में वीवीपैट का इस्तेमाल किया जा सके. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है. इसकी एक काॅपी स्ट्रांग रूम में और एक संबंधित डीईओ के पास रखी जाती है.”

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वीडियो के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने भावनगर के जिला मजिस्ट्रेट आर. के. मेहता से बात की, उन्होंने आजतक से बातचीत में भी यही बताया कि वायरल वीडियो पुराना है और वीडियो में सामान्य प्रक्रिया से काम किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि गिनती पूरी होने और परिणाम घोषित होने के बाद वीवीपैट मशीनों में से पर्चियों को निकालकर उन्हें कवर में रख कर एक निर्धारित समय के लिए इक्ठ्ठा करके रख लिया जाता है. उन्होंने वीडियो में किसी भी तरह की धांधली की बात को नकारते हुए इसे सामान्य प्रक्रिया बताया.

जाहिर है कि वायरल वीडियो दो साल पुराना चुनाव आयोग की एक नियमित प्रक्रिया का है. इसे बीजेपी द्वारा वीवीपैट मशीनों से छेड़छाड़ करने का फर्जी दावा किया जा रहा है.

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(रिपोर्ट - आशीष कुमार)
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