यूं तो मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों को लोग अमीरों की बीमारियां कहते हैं लेकिन एक ताजा रिपोर्ट ने ये साबित कर दिया कि मेंटल हेल्थ इशू अब ग्रामीण भारत में भी पैर पसार रहे हैं. गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट से पता चला है कि ग्रामीण भारत में एंग्जाइटी के मामले बढ़ गए हैं, जिसमें कहा गया है कि रिसर्च में लगभग 45 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने एंग्जाइटी का सामना किया है.
गांवों में बढ़ रहे एंग्जाइटी के मामले
ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति -2024 की रिपोर्ट के अनुसार, हाल के सालों में भारत में मेंटल हेल्थ इशू की व्यापकता लगातार बढ़ी है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बढ़ रही है. इस रिपोर्ट में 21 राज्यों में कुल 5,389 घरों को शामिल किया गया है.
इस रिसर्च का प्रमुख निष्कर्ष मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित था, जिससे पता चला कि ग्रामीण भारत में एंग्जाइटी का स्तर बढ़ गया है. इससे पता चलता है ये अब केवल 'शहरी' मुद्दा नहीं रह गया है.
बुजुर्गों में एंगजाइटी ज्यादा
रिसर्च से पता चलता है कि 45 प्रतिशत लोगों को ज्यादातर वक्त एंग्जाइटी होती है, जो उनके मन की स्थिति को प्रभावित करती है. डेटा से पता चलता है कि एंग्जाइटी युवा लोगों की तुलना में बुजुर्ग लोगों की मेंटल हेल्थ पर ज्यादा प्रभाव डालती है.
इस सर्वे में 18-25 साल की आयु के 40 प्रतिशत लोगों ने एंग्जाइटी की बात स्वीकार की है, जबकि 60 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों में यह अनुपात बढ़कर 53 प्रतिशत मापा गया.