आर्मी हॉस्पिटल आरआर (रिसर्च एंड रेफरल) के यूरोलॉजी विभाग ने रोबोटिक ट्रांसप्लांट (Recipient) की एक नई शुरुआत की है. इस सर्जरी के साथ, दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल (Safdarjung Hospital) के बाद एएचआरआर देश का दूसरा सरकारी अस्पताल बन गया है जिसने रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट (Robotic Renal Transplant) प्रोग्राम शुरू किया है.
179 मेड रेजिमेंट के हवलदार भोजराज सिंह की पत्नी अनीता (33 वर्षीय) का आर्मी हॉस्टिपल आरआर में सफल रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट हुआ. 179 मेड रेजिमेंट के हवलदार भोजराज ने ही अपनी पत्नी को किडनी दी है. दोनों की तबीयत फिलहाल ठीक है. इस सर्जरी का नेतृत्व यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख कर्नल अमित शाह ने किया था. यह सर्जरी कमांडेंट और AHRR के निदेशक जनरल अजीत नीलाकंर के मार्गदर्शन में संपन्न हुई.
रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट क्या है?
रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट एक प्रकार का किडनी प्रत्यारोपण है जिसमें सर्जरी करने के लिए रोबोटिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है. यह पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में तेजी से रिकवरी होती है.
रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट कैसे होती है?
रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट में, सर्जन रोगी के पेट में कई छोटे कट लगाकर रोबोटिक इक्विपमेंट्स को डालते हैं. इन इक्विपमेंट्स पर कई कैमरे भी लगे होते हैं जो सर्जन को शरीर के अंदर देखकर सर्जरी करने में मदद करते हैं. सर्जन फिर रोबोटिक इक्विपमेंट्स का उपयोग करके डोनर की किडनी को पेशेंट के शरीर में ट्रांसप्लांट करते हैं.
रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट के फायदे
रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण के जोखिम
सभी सर्जरी की तरह, रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण से भी कुछ जोखिम जुड़े होते हैं, जिनमें संक्रमण, रक्तस्राव और एनेस्थीसिया से प्रतिक्रियाएं शामिल हैं. रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में अधिक महंगा हो सकता है.