Dengue Fever: डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है. डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होने लगता है. डेंगू में शरीर की प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगती हैं. इसमें मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है, वरना समय पर इलाज ना मिलने के कारण मरीज की जान भी जा सकती है. डेंगू के लक्षणों को पहचानकर ही इसका इलाज किया जा सकता है.
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार, डेंगू संक्रमण दुनियाभर के 100 से अधिक देशों में होने वाली एक आम समस्या है और लगभग तीन अरब लोग डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं. इनमें भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य भाग, चीन, अफ्रीका, ताइवान और मैक्सिको शामिल हैं. नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में अकेले भारत में ही डेंगू के 67,000 से भी अधिक मामले दर्ज किए गए थे.
डेंगू के लक्षण (Symptoms of Dengue Fever)
डेंगू के लक्षण इंफेक्शन के लगभग 4 या 6 दिन बाद दिखते हैं.
1.तेज बुखार
2. सिर दर्द
3. आंखों में दर्द
4. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
5.थकान
6.जी मिचलाना
7.उल्टी होना
8.त्वचा पर लाल निशान
हालांकि,गंभीर मामलों में डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) होने का खतरा बढ़ जाता है. इस स्थिति में, रक्त वाहिकाएं (blood vessels) क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और प्लेटलेट्स गिरने लगती हैं. ऐसी स्थिति में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं:
1.पेट दर्द
2.लगातार उल्टी होना
3.मसूड़ों या नाक से खून आना
4.टॉयलेट या उल्टी में खून आना
5.सांस लेने में दिक्कत
6.थकान महसूस करना
7.चिड़चिड़ापन या बेचैनी
डेंगू का इलाज (Treatment for Dengue Fever)
डेंगू के लिए कोई खास दवा या सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है. इसमें कुछ घरेलू नुस्खे बड़े कारगर हो सकते हैं. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. अत्यधिक गंभीर मामलों में मरीज को इलेक्ट्रोलाइट सप्लीमेंट देने चाहिए. कुछ मामलों में ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग और ब्लड ट्रांस्फ्यूजन के जरिए भी इलाज किया जाता है. आप खुद से एस्पिरिन या इबुप्रोफेन जैसी दवाओं का सेवन भूलकर भी ना करें.
डेंगू से बचाव (Preventing Dengue Fever)
जितना हो सके आप मॉस्किटो रेपलेंट्स, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों को शाम होने से पहले बदं कर दें. शरीर को पूरी तरह से कवर करने वाले कपड़े पहनें. सुनिश्चित करें कि आसपास पानी इकट्ठा ना हो. कूलर का पानी बदलते रहें. पानी को ढक कर रखें. बाहरी पक्षी या पालतू जानवरों के पानी को नियमित रूप से बदलते रहें.