एक तरफ चीन, अमेरिका और जापान समेत कई देशों में कोरोना कहर मचा रहा है तो वहीं भारत में भी इसका असर दिखना शुरू हो गया है. अब गाजियाबाद के हर्ष हॉस्पिटल में ब्लैक और व्हाइट फंगस का पहला केस सामने आया है. कोविड-19 की नई लहर के खतरे के बीच अब इस केस ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है, जिस मरीज में ब्लैक और व्हाइट फंगस का केस मिला है, उसकी उम्र 55 साल है.
ब्लैक फंगस कोरोना के उन मरीजों में पाया जाता है, जिन्हें बहुत ज्यादा स्टेरॉयड दिए गए हों, जबकि व्हाइट फंगस के केस उन मरीजों में भी संभव हैं, जिन्हें कोरोना नहीं हुआ. ब्लैक फंगस आंख और ब्रेन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, जबकि व्हाइट फंगस आसानी से लंग्स, किडनी, आंत, पेट और नाखूनों को प्रभावित करता है.
इसके अलावा ब्लैक फंगस ज्यादा डेथ रेट के लिए जाना जाता है. इस बीमारी में डेथ रेट 50% के आसपास है. यानी हर दो में से एक व्यक्ति की जान जाने का खतरा है. लेकिन व्हाइट फंगस में डेथ रेट को लेकर अभी तक कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है.
डॉक्टर कहते हैं कि व्हाइट फंगस एक आम फंगस है जो कोरोना महामारी से पहले भी लोगों को होता था. वाराणसी के विट्रो रेटिना सर्जन डॉ. क्षितिज आदित्य बताते हैं कि 'ये कोई नई बीमारी नहीं है. क्योंकि जिन लोगों की इम्युनिटी बहुत ज्यादा कम होती है, उनमें ऐसी बीमारी हो सकती है.
ब्लैक फंगस यानी म्युकरमाइकोसिस एक अलग प्रजाति का फंगस है, ये भी ऐसे ही मरीजों को हो रहा है, जिनकी इम्युनिटी कम है. ब्लैक फंगस नाक से शरीर में आता है और आंख और ब्रेन को प्रभावित करता है. लेकिन व्हाइट फंगस यानी कैनडिडा अगर एक बार खून में आ जाए तो वो खून के जरिए ब्रेन, हार्ट, किडनी, हड्डियों समेत सभी अंगों में फैल सकता है. इसलिए ये काफी खतरनाक फंगस माना जाता है.'
डॉ. हनी साल्वा बताती हैं, 'व्हाइट फंगस भी जानलेवा है अगर वो हमारे खून या लंग्स में मौजूद है. इस बीमारी का इलाज भी अलग होता है. इसे व्हाइट फंगस इसलिए कहते हैं क्योंकि जब इसे डिटेक्ट करने के लिए टेस्ट करते हैं तो इसमें व्हाइट कलर का ग्रोथ देखा जाता है.' डॉ. हनी साल्वा कहती हैं कि "ब्लैक फंगस की तरह व्हाइट फंगस भी कहीं भी हो सकता है, लेकिन इसका इलाज अलग है.'
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि व्हाइट फंगस के केस में अच्छे स्किन स्पेशलिस्ट से सलाह लेकर इस बीमारी से ठीक हुआ जा सकता है. व्हाइट फंगस के ज्यादा मामले सामने भी नहीं आते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्लैक फंगस की तरह ही ये भी ज्यादा तेजी से फैल सकता है.