आयुर्वेद में कई बीमारियों का इलाज बताया गया है. यूरिक एसिड भी उन्हीं बीमारियों में से एक है. शरीर के खून में अगर यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाए तो उससे जोड़ों की दिक्कत, किडनी की बीमारी, दिल के दौरे जैसी खतरनाक बीमारियां भी हो सकती हैं. कई बार यूरिक एसिड शरीर में क्रिस्टल का रूप ले लेता है और धीरे धीरे जोड़ों के आसपास जमा होने लगता है. जिससे जोड़ों में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है.
आयुर्वेद में कई ऐसी चीजों के बारे में बताया गया है जिससे यूरिक एसिड के लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है. आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से-
गिलोय-गिलोय में एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं जिससे यह यूरिक एसिड बढ़ने से होने वाली इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद करता है. गिलोय को किडनी के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है.
गोखरू- गोखरू में कई आयुर्वेदिक गुण पाए जाते हैं. इसमें ड्यूरेटिक गुण पाए जाते हैं जिससे यूरिन का प्रोडक्शन बढ़ता है. यह शरीर में यूरिक एसिड के लेवल को कम करने में मदद करता है.
त्रिफला- त्रिफला तीन फलों का मिश्रण है- आमलकी, बिभीतकी और हरीतकी. यह पाचन, डिटॉक्स करने में मदद करता है, जो यूरिक एसिड के लेवल को मैनेज करने में मदद कर सकता है.
आंवला- आंवला में एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. यह यूरिक एसिड के साथ ही इंफ्लेमेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी कम करने में मदद करता है और किडनी को भी हेल्दी रखता है.
नीम- नीम में एंटी इंफ्लेमेटरी और डिटॉक्सीफाई करने वाले गुण पाए जाते हैं. यह शरीर में यूरिक एसिड के लेवल को कम करने में मदद करता है और शरीर के सभी टॉक्सिन को बाहर निकालता है.
हल्दी- हल्दी में करक्यूमिन नाम का कंपाउंड पाया जाता है जिसमें एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं. हल्दी शरीर में इंफ्लेमेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करती है और यूरिक एसिड के लेवल को भी कम करती है.
धनिया के बीज- धनिया के बीजों में ड्यूरेटिक गुण पाए जाते हैं, जिससे यूरिन का प्रोडक्शन बढ़ता है और यूरिक एसिड शरीर से बाहर निकलने लगता है.