इंडिया टुडे हेल्थ कॉन्क्लेव-2023 का आगाज हो चुका है. कॉन्क्लेव के दौरान मैक्स हेल्थकेयर के सीनियर डायरेक्टर अनस वाजिद ने कहा कि भारत का आउटकम जो सफलता का मापदंड है वह दुनिया के अन्य देशों के बराबर ही है. लेकिन हमारी इलाज दुनिया की कीमतों के तुलना में 20-25 प्रतिशत कम है.
सबको साथ लेकर जुड़ने और आगे बढ़ने के ख्याल के साथ इंडियी टुडे हिंदी पत्रिका पहला हेल्थ कॉन्कलेव कर रही है. स्वागत भाषण में इंडिया टुडे हिंदी के एडिटर सौरभ द्विवेदी ने कहा कि ख्याल रखना बहुत जरूरी है. अपना और अपनों का. और अपने देश का. जब मुश्किल आती है तब यह ख्याल खासकर सेहत का ख्याल सबसे ज्यादा आता है.
कॉन्क्लेव के पांचवें सत्र में मैक्स हेल्थकेयर के सीनियर डायरेक्टर अनस अब्दुल वाजिद के अलावा यशोदा सुपर स्पेशियलटी हॉस्पिटल की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ उपासना अरोड़ा ने भी हिस्सा लिया. इस दौरान दोनों ने मेडिकल टूरिज्म और भारत में मेडिकल टूरिज्म पर बात की.
भारत में इलाज 20-25 प्रतिशत कमः अनस अब्दुल वाजिद
पिछले एक साल में लगभग 8 लाख मेडिकल टूरिस्ट भारत आए हैं. यानी दुनिया भर के लगभग आठ लाख लोग पिछले एक साल में अपना इलाज कराने भारत आए हैं. मैक्स हेल्थकेयर के सीनियर डायरेक्टर से जब यह पूछा गया कि ऐसा क्या है जो यहां की मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया भर को आकर्षित कर रही है.
इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "इसके तीन कारण हैं. पहला- जहां से ये लोग आ रहे हैं वहां इसका इलाज उपलब्ध नहीं है. दूसरा- कई देश ऐसे हैं जहां सुविधा तो है लेकिन वेटिंग लिस्ट है. मरीजों की लंबी कतार है. और तीसरा कारण यह है कि कुछ देशों में सुविधाएं तो हैं लेकिन काफी महंगी. जिसे वो अफोर्ड (वहन) नहीं कर सकते हैं.
जबकि भारत में इन तीनों चीजों का समावेश है. कॉन्क्लेव के दौरान अनस वाजिद ने कहा कि भारत का आउटकम जो कि सफलता का मापदंड है वह दुनिया के अन्य देशों के बराबर ही है. लेकिन हमारी इलाज दुनिया की कीमतों के तुलना में 20-25 प्रतिशत कम है."
उन्होंने बताया कि भारत में सबसे ज्यादा मिडिल ईस्ट देशों से मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण-पूर्वी देशों से भी मरीज आते हैं. पहले अफगानिस्तान से भी भारी संख्या में मरीज आते थे. लेकिन वीजा समस्याओं के कारण अब थोड़ा कम आ रहे हैं.
मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है सरकार: डॉ उपासना अरोड़ा
यशोदा सुपर स्पेशियलटी हॉस्पिटल्स की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ उपासना अरोड़ा ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि भारत सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है. जी-20 का प्रमुख मुद्दा भी मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बनाया गया है. वेलनेस टूरिज्म में भारत की रैंकिग काफी अच्छी है. कॉस्टिंग की रैंकिग में भारत नंबर वन है. भारत में इलाज 65 से 90 प्रतिशत ज्यादा अफोर्डेबल है.
डॉ उपासना ने आगे कहा कि जैसे-जैसे भारत में मेडिकल टूरिज्म बढ़ेगा. उसकी आमदनी की मदद से इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा. भारत जिस तरह से मेडिकल के हर फील्ड में आगे बढ़ रहा है हम अपने आप को और भी सक्षम करते जा रहे हैं.
विदेशी मरीज कैसे आते हैं भारत?
कॉन्क्लेव के दौरान मैक्स हेल्थकेयर के सीनियर डायरेक्टर अनस अब्दुल वाजिद ने बताया कि इलाज के लिए जो लोग भारत आते हैं, उनके लिए मेडिकल वीजा की एक अलग कैटेगरी बना दी गई है. वो लोग मेडिकल वीजा लेकर आते हैं तभी उनका इलाज भारत में संभव है. इसमें इमरजेंसी इलाज शामिल नहीं है.
मेडिकल वीजा लेने के लिए वीजा इनविटेशन लेटर की जरूरत होती है. जो भारत के अस्पताल जारी करते हैं. इसमें मरीज के बुनियादी जानकारियां होती हैं.
उन्होंने बताया कि मेडिकल वीजा पर भारत सरकार काफी काम कर रही है. इलाज के लिए भारतीय वीजा लेने में अब ज्यादा समस्या नहीं आ रही है. भारत सरकार कोशिश कर रही है कि हमारी जो क्षमता है उसे दुनिया तक पहुंचाया जाए.