इंडिया टुडे हेल्थ कॉन्क्लेव-2023 का आगाज हो चुका है. सबको साथ लेकर जुड़ने और आगे बढ़ने के ख्याल के साथ इंडिया टुडे हिंदी पत्रिका पहला हेल्थ कॉन्क्लेव कर रही है. कॉन्क्लेव के स्वागत भाषण में इंडिया टुडे हिंदी के एडिटर सौरभ द्विवेदी ने कहा कि ख्याल रखना बहुत जरूरी है. अपना और अपनों का. और अपने देश का. जब मुश्किल आती है तब यह ख्याल खासकर सेहत का ख्याल सबसे ज्यादा आता है.
कॉन्क्लेव के तीसरे सत्र में महाजन इमेजिंग के फाउंडर और रेडियोलॉजिस्ट डॉ हर्ष महाजन, मैक्स हॉस्पिटल, बठिंडा के डायरेक्टर और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ रोहित मोदी और पीडियाट्रिक यूरोलॉजिस्ट डॉ सुजीत चौधरी ने हिस्सा लिया. इस सत्र में इन्होंने मेडिकल क्षेत्र में डिजिटिल युग और इसके भविष्य पर खुलकर बात की.
आज टेक्नॉलॉजी पहले भारत आती है: डॉ हर्ष महाजन
मेडिकल क्षेत्र में भारत में आए बदलाव से लेकर डॉ. हर्ष महाजन से जब यह पूछा गया कि भारत के मेडिकल क्षेत्र में किस तरह का बदलाव आया है. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 1991 में हमने एमआरआई लगाया था. तब और अब में बदलाव यह हुआ है कि तब हम पश्चिमी देशों से 10-15 साल पीछे थे आज हम उनके साथ खड़े हैं. आज कोई नई टेक्नॉलॉजी भारत में पहले आती है और वेस्टर्न कंट्री में उसके बाद.
उन्होंने आगे कहा कि आज हम विकसित देश बनने जा रहे हैं. 90 के दशक में MRI इम्पोर्ट पर सरकार 204 प्रतिशत ड्यूटी लगाती थी. हमने लोन लेकर इस मशीन को मंगाया था. उसमें भी 27 प्रतिशत पर. उस वक्त देश में सिर्फ 5-6 मशीन थे. आज हम वहां हैं जब देश में हजारों MRI मशीन हैं. पहले जो हम पोस्टमार्टम रिपोर्ट में देख पाते थे, आज की तारीख में हम चंद मिनटों में देख लेते हैं.
आज हजारों-लाखों लोग विदेश से इलाज कराने भारत आ रहे हैं. 1990 से शुरू हुई यह जर्नी टिपिंग पॉइन्ट पर पहुंच गई है. आने वाले कुछ सालों में भारत का कद और बड़ा होगा. उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत का मेडिकल खर्च पड़ोसी देशों की तुलना में 20-25 प्रतिशत कम है. हम इसे और कम करने की कोशिश कर रहे हैं.
रोबोटिक सर्जरी के लिए सर्जन जरूरीः डॉ. सुजीत चौधरी
पीडियाट्रिक यूरोलॉजिस्ट डॉ सुजीत चौधरी से रोबोटिक सर्जरी को लेकर जब पूछा गया कि अब रोबोटिक सर्जरी हो रही है. जब रोबोट सर्जरी करेगा तो डॉक्टर क्या करेगा और रोबोट सर्जरी के दौरान कुछ गड़बड़ी हुई तो क्या होगा?
इस पर डॉ. चौधरी ने कहा कि जिस तरह से बिना पाइलट हवाई जहाज नहीं उड़ सकता. वही, यहां भी है. रोबोट सिर्फ मशीन है. हम अभी उससे काफी दूर हैं जहां बिना सर्जन की मदद से रोबोट सर्जरी कर ले. रोबोट सर्जरी को आसान भाषा में यह कह सकते हैं कि पेट या छाती की सर्जरी में डॉक्टर का हाथ नहीं जाकर रोबोट का हाथ जा रहा होता है बस. उसको कंट्रोल सर्जन ही कर रहा होता है.
हार्ट अटैक को कोविड वैक्सीन से को-रिलेट करना ठीक नहीं: डॉ. रोहित मोदी
कोविड के बाद देश में बढ़े हार्ट अटैक के मामले और उसके शिकार हो रहे आयु वर्ग में दर्ज की गई कमी पर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रोहित मोदी ने कहा कि हर चीज को कोविड से को-रिलेट करना ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह सच है कि कोविड और उसके वैक्सीनेशन के बाद हार्ट अटैक के मामलों में भी अचानक बढ़ोतरी देखी गई है. लेकिन इसमें 10-15 प्रतिशत केस सडन हार्ट अटैक का होता है. ऐसे में हमारा यह विचार है कि एक्सरसाइज में मॉडरेशन को बनाए रखना जरूरी है. जब हम एक्सेसिव एक्सरसाइज करते हैं. खासकर जब हम एक्सट्रीम वेदर कंडीशन में इस तरह का एक्सरसाइज करते हैं तो यह एक्सरसाइज सडन हार्ट अटैक या डेथ प्रोजेक्ट कर सकता है.
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ रोहित मोदी ने आगे कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि कोविड एक ऐसा वायरल है जो हर सिस्टम को इफेक्ट करता है. और अगर लंबे समय तक कोविड रहे तो उसके प्रभाव लंबे समय बाद भी दिखता है. इसके कुछ कार्डियक इफेक्ट भी हैं. लेकिन हर चीज को कोविड से को-रिलेट करना ठीक नहीं है. स्टडी में इसका को-रिलेशन तो है लेकिन ऐसा कुछ सामने नहीं आया है. वैक्सीनेशन ने इस दुनिया को बचाया है. उसको ब्लेम करना कि कोविड वैक्सीनेशन की वजह से ऐसा हो रहा है. ये कहना सही नहीं है.