Monkeypox Virus: कोरोना महामारी के बीच अब दुनिया पर एक और वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. यूरोप से लेकर अमेरिका तक मंकीपॉक्स का संक्रमण फैल रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, अब तक 12 देशों में 92 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस बीमारी में हर 10 में से एक व्यक्ति की मौत का खतरा रहता है. हालांकि, मंकीपॉक्स पर चेचक की वैक्सीन असरदार है.
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, 1958 में मंकीपॉक्स बीमारी पहली बार सामने आई थी. तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में चेचक जैसा संक्रमण देखा गया था. चूंकि ये बीमारी बंदरों को हुई थी, इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया था.
वहीं, WHO के मुताबिक, इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने का पहला मामला 1970 में सामने आया था. तब कॉन्गो में रहने वाला एक 9 साल का बच्चा इससे संक्रमित मिला था. मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद चेचक जैसे ही लक्षण दिखते हैं.
दुनियाभर में जब मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसी बीच WHO ने एक अहम जानकारी साझा की है. WHO ने बताया कि अभी तक मंकीपॉक्स वायरस के म्यूटेट होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. WHO से जुड़े रोसमुंड लुईस ने न्यूज एजेंसी को बताया कि इस वायरस में म्यूटेशन आमतौर पर बहुत कम होता है. हालांकि, मामले क्यों बढ़ रहे हैं, ये जानने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग भी करना होगा. हेल्थ एक्सपर्ट ने वायरस में म्यूटेशन होने की आशंका जताई थी.
WHO से जुड़ी साइंटिस्ट मारिया वैन केरखोव ने न्यूज एजेंसी को बताया कि उत्तरी अमेरिका और यूरोप में फैल रहा मंकीपॉक्स का संक्रमण गंभीर नहीं है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अफ्रीका में भले ही अब ये बीमारी एंडेमिक की ओर हो, लेकिन दूसरी जगह ये फैल रही है और इससे हम नजरें नहीं हटा सकते.
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कितनी खतरनाक है ये बीमारी?
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इस वायरस से संक्रमित हर 10 में से एक व्यक्ति की मौत हो सकती है. मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के दो से चार हफ्ते बाद लक्षण अपने आप ठीक हो जाते हैं. अमेरिका के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि आम लोगों में इस संक्रमण फैलने की आशंका अभी बहुत कम है.
- मंकीपॉक्स एक ऐसा वायरस है, जिससे संक्रमित होने पर बुखार और शरीर पर छोटे-छोटे दाने उठ जाते हैं. कुछ हफ्तों बाद ये दाने अपने आप ठीक हो जाते हैं. जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा है. ऐसे लोगों में एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन भी हो सकता है.
- अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि ये चेचक की तरह ही है, लेकिन उसके मुकाबले हल्का है. उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स में मृत्यु दर 1% के आसपास है. ज्यादातर लोग दो से चार हफ्ते में ठीक हो जाते हैं.
- एक्सपर्ट्स का मानना है कि मंकीपॉक्स, कोरोना की तरह आसानी से नहीं फैल सकता है. उनका मानना है कि संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने या उसकी किसी चीज का इस्तेमाल करने या स्कीन टू स्कीन कॉन्टेक्ट करने से मंकीपॉक्स से संक्रमित हो सकते हैं. मैसाचुएट्स जनरल हॉस्पिटल के डॉ. मार्टिन हीर्श ने न्यूज एजेंसी को बताया कि कोरोना सांस के जरिए फैल सकता है और ज्यादा संक्रामक है. मंकीपॉक्स के मामले में ये नहीं दिखता है.
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क्या हैं इसके लक्षण?
- मंकीपॉक्स का इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन का होता है. कई बार 5 से 21 दिन तक का भी हो सकता है. इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण कितने दिन में दिखते हैं.
- संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं. मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है.
- बुखार होने से एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखने लगता है. शरीर पर दाने निकल आते हैं. हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं. ये दाने घाव जैसे होते हैं और कुछ हफ्तों में खुद सूखकर गिर जाते हैं.
- शरीर पर उठने वाले इन दानों की संख्या कुछ से लेकर हजारों तक हो सकती है. अगर संक्रमण गंभीर हो जाता है तो ये दाने तब तक ठीक नहीं होते, जब तक त्वचा ढीली न हो जाए.
आइसोलेशन में कब तक रहना चाहिए?
- WHO के मुताबिक, यूके, स्पेन और पुर्तगाल में मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के अलावा अमेरिका के बोस्टोन में भी एक मामला सामने आ चुका है. अब तक 12 देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं.
- WHO ने चिंता जताई है कि आने वाले समय में ये संक्रमण और फैल सकता है, क्योंकि गर्मियों की छुट्टियों में लोग फेस्टिवल, पार्टी और हॉलीडे पर जुटेंगे.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि किसी भी संदिग्ध मामले की तुरंत जांच की जानी चाहिए और अगर उसमें संक्रमण की पुष्टि हो जाती है, तो उसे तब तक आइसोलेट रहना चाहिए, जब तक उसके घावों पर पपड़ी नहीं बन जाती और पपड़ी गिरकर नई त्वचा नहीं आ जाती.