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मंकीपॉक्स के लक्षण मिलने पर विदेश से आने वाले दिल्ली एयरपोर्ट से सीधे LNJP अस्पताल भेजे जाएंगे!

दुनियाभर में तेजी से फैल रहे मंकीपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शनिवार को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है. WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि मंकीपॉक्स का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता करने वाला है. 

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मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने के बाद दिल्ली अलर्ट
मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने के बाद दिल्ली अलर्ट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली के उपराज्यपाल की बैठक में हुआ फैसला
  • केंद्र के दिशानिर्देंशों का पालन करने के लिए कहा गया

विदेश से दिल्ली आने वाले ऐसे यात्री जिनमें मंकीपॉक्स संक्रमण के लक्षण हैं, उन्हें इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा से लोकनायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल भेजा जाएगा. सूत्रों ने बताया कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना की अध्यक्षता में सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया है. 

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वहीं दिल्ली सरकार ने सभी डीएम और संबंधित अधिकारियों को मंकीपॉक्स संक्रमण के प्रबंधन पर केंद्र के दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि हवाईअड्डे या बंदरगाह से रेफर करने की व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है. सरकार ने मंकीपॉक्स के मद्देनजर एयरपोर्ट और पोर्ट हेल्थ ऑफिसर्स के अलावा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के क्षेत्रीय निदेशकों को सभी इंटरनेशनल ट्रैवलर्स की कड़ी स्वास्थ्य जांच करने के निर्देश दिए गए हैं. 

20 विशेषज्ञों की टीम तैयार की गई

सूत्रों ने बताया कि तेज बुखार, कमर और पीठ में तथा जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण वाले यात्रियों को दिल्ली हवाईअड्डा से एलएनजेपी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भेजा जाएगा. ऐसे मरीजों की देखरेख के लिए 20 लोगों की विशेष टीम भी तैयार की गई है.

सूत्रों के मुताबिक मंकीपॉक्स के लक्षण मिलने पर संदिग्ध मरीजों के नमूने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजे जाएंगे. वहीं जिला प्रशासन मरीज के परिवार के सदस्यों को क्वारंटाइन करेगा और ऐसे संदिग्ध मरीजों के संपर्क का पता लगाएगा.

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केरल, दिल्ली में मिले केस, तेलंगाना में मिला संदिग्ध

- दिल्ली में 24 जुलाई को मंकीपॉक्स का केस मिला था. फिलहाल वो लोकनायक जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल में भर्ती है और उसकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा है. मरीज को 10 दिन पहले बुखार आया था और बुखार के 5 दिन बाद स्किन में खरोच नजर आई थी. 

- रविवार को ही तेलंगाना के कामारेड्डी जिले में विदेश से लौटे एक शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखे हैं. 40 वर्षीय व्यक्ति को हैदराबाद के फीवर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. यह शख्स कुवैत से 6 जुलाई को आया था. 20 जुलाई को इसे बुखार आया. इसके बाद शख्स के शरीर पर 23 जुलाई को चकत्ते पड़ने लगे जिसके बाद उसे कामारेड्डी जिले के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. 

- केरल में मंकीपॉक्स के तीन केस मिल चुके हैं. केरल में 14 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला केस सामने आया था. इसके चार दिन बाद 18 जुलाई को दूसरे मामले की पुष्टि हुई थी फिर 22 जुलाई को तीसरा मामला सामने आया. तीनों मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री रिकॉर्ड की थी. ये तीनों ही मरीज यूएई से लौटे थे और वहीं किसी संक्रमित के संपर्क में आए थे. 

UP में मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट जारी

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मंकीपॉक्स को लेकर यूपी सरकार ने राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है. सरकार ने कहा है कि पड़ोसी राज्यों में मंकीपॉक्स के केस आने पर सावधानी बरतने की जरूरत है. ऐसे में सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड पर रखा है. राज्य सरकार ने मंकीपॉक्स को देखते हुए कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों में प्रत्येक में 10 बेड आरक्षित किए हैं. 
इसके अलावा, सरकार ने कहा है कि निगरानी के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों, फ्रंट लाइन के वर्कर्स (एएनएम और आशा) को प्रशिक्षित किया जाएगा. सरकार ने राज्य भर में निगरानी तेज करने के निर्देश जारी किए हैं.

6 से 13 दिन में पता चलने लगेंगे लक्षण 

मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन तक होता है. कई बार 5 से 21 दिन तक का भी हो सकता है यानी संक्रमित होने के बाद इतने दिनों में इसके लक्षण पता चलने लगेंगे. संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं.

मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है. बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है. शरीर पर दाने निकल आते हैं. हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं. ये दाने घाव जैसे दिखते हैं. ये खुद सूखकर गिर जाते हैं.  

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शरीर पर उठने वाले इन दानों की संख्या कुछ से लेकर हजारों तक हो सकती है. अगर संक्रमण गंभीर हो जाता है तो ये दाने तब तक ठीक नहीं होते, जब तक त्वचा ढीली न हो जाए.

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