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बूढ़ी होती आबादी वाले देश चीन में एकदम से दिखने लगे जुड़वा बच्चे, क्या है वजह?

इसी जनवरी में चीन ने माना कि उसके यहां जन्मदर पिछले 60 सालों में सबसे कम हो गई है. साल 2022 में हर हजार कपल्स में सिर्फ 7.52 बच्चों का जन्म हुआ. इस बीच एक नई चीज देखने में आई कि महिलाएं जुड़वा बच्चों के जन्म के लिए तकनीक का सहारा ले रही हैं.

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चीन में दशकों तक सिंगल-चाइल्ड पॉलिसी के चलते जन्मदर तेजी से गिरी. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
चीन में दशकों तक सिंगल-चाइल्ड पॉलिसी के चलते जन्मदर तेजी से गिरी. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

चीन में तेजी से बूढ़ी होती आबादी के बीच सरकार ने कई बड़े फैसले लिए. वन चाइल्ड पॉलिसी खत्म होने के साथ ही एक चीनी प्रांत सिचुआन ने ऐतिहासिक कदम उठाया. वहां बिना शादी किए भी कपल बच्चे पैदा कर सकेंगे. उन्हें वही फायदा मिलेगा जो विवाहित जोड़ों को मिलता है. आबादी बढ़ाने की पहल के बीच देश में अलग ही ट्रेंड दिख रहा है, वहां महिलाएं तकनीक के जरिए ट्विन्स को जन्म देना चाह रही हैं. 

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देश में बढ़ने लगी चिंता
कुछ समय पहले चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के न्यूजपेपर चाइना डेली में चीन में बढ़ते जुड़वा बच्चों की खबर आई थी. हेल्थ अधिकारियों ने माना कि थोड़े ही वक्त में देश में एकदम से मल्टीपल प्रेग्नेंसी बढ़ गई. यहां तक कि चीन के शहरी इलाकों में 20 प्रतिशत मामले मल्टीपल प्रेग्नेंसी के आने लगे. नेचुरल बर्थ में सिर्फ 1 प्रतिशत मामलों में ऐसा होता है, और ट्रिपलेट्स या इससे ज्यादा संतानें तो और भी रेयर हैं. तब क्या है कि महिलाओं को जुड़वा या ज्यादा बच्चे हो रहे हैं!

चीनी कपल इसके लिए मेडिकल तकनीक का सहारा ले रहे हैं. नेशनल हेल्थ एंड फैमिली प्लानिंग कमीशन ने चेताया कि ज्यादा बच्चों को जन्म देने के फेर में मां अपनी और आने वाले बच्चे, दोनों की सेहत से खिलवाड़ कर रही हैं. 

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एक से ज्यादा भ्रूण होने पर रिडक्शन कराने का नियम
साल 1988 में चीन में पहला टेस्ट ट्यूब बेबी हुआ. इसके बाद से हर साल ही वहां 3 लाख से ज्यादा टेस्ट ट्यूब बेबी होने लगे. यहां तक कि साल 2003 में चीन की हेल्थ मिनिस्ट्री ने इसपर कड़ी पाबंदी लगा दी. उसका कहना था कि तकनीक का इस्तेमाल गलत तरीके से हो रहा है. आईवीएफ ले रहे कपल्स को एक कंसेंट साइन करना होता था, जिसके मुताबिक मल्टीपल प्रेग्नेंसी में उन्हें फीटस रिडक्शन कराना होता था, जिसमें एक भ्रूण के अलावा बाकी सबको खत्म करना होता था. बर्थ रेट कम होने पर नियमों में ढिलाई आई. इसके बाद से मल्टीपल प्रेग्नेंसी बढ़ती ही गई. 

multiple pregnancies increase in china through in vitro fertilization poses health risks
चीन में बढ़ते जुड़वा बच्चे कॉस ऑफ कन्सर्न बने हुए हैं. साांकेतिक फोटो (Unsplash)

क्या है मल्टीपल प्रेग्नेंसी
जब महिला के गर्भ में दो या इससे ज्यादा संतानें पल रही हों तो मेडिकली इसे मल्टीपल प्रेग्नेंसी कहते हैं. आम भाषा में इन्हें ट्विन्स कहा जाता है. ये भ्रूण एक या दो अलग-अलग एग में हो सकते हैं, जिसे आधार पर ये क्रमशः आइडेंटिकल और फ्रेटरनल ट्विन्स कहलाते हैं. 

कैसे होता है ये मुमकिन
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के दौरान मैच्योर एग्स को अंडाशय से बाहर निकालकर लैब में रखा जाता है. इसके बाद स्पर्म के साथ इन्हें फर्टिलाइज कराया जाता है. इस दौरान कभी-कभी एक से ज्यादा एग फर्टिलाइज हो जाते हैं और मल्टीपल प्रेग्नेंसी हो जाती है. ट्विन्स चाहने वालों के लिए ऐसा जानबूझकर किया जाता है. 

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आईवीएफ के जरिए जुड़वा बच्चों को जन्म देने के चलन पर शंघाई फर्स्ट मैटरनिटी एंड इन्फेंट हॉस्पिटल में साल 2015 में ही हुआ सर्वे चौंकाने वाला था. लगभग 4 हजार युवा जोड़ों पर हुए सर्वे में 90% से ज्यादा ने माना कि वे ट्विन्स को जन्म देना चाहेंगे. वहीं लगभग किसी को भी इसके खतरों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. तीन चौथाई लोगों ने माना सिंगल प्रेग्नेंसी और मल्टीपल प्रेग्नेंसी में समान खतरे हैं. सिर्फ 3 प्रतिशत लोग इस बारे में थोड़ा-बहुत जानते थे. 

multiple pregnancies increase in china through in vitro fertilization poses health risks
मल्टीपल प्रेगनेंसी के बाद पोस्टपार्टम रिकवरी का समय बढ़ जाता है. साांकेतिक फोटो (Pixabay)

क्या होते हैं खतरे
दो या इससे ज्यादा संतानों के गर्भ में होने पर समय से पहले डिलीवरी हो सकती है. इसके अपने नुकसान हैं, जैसे भ्रूण का पूरी तरह से विकास नहीं हो पाता, और कई मामलों में वे न्यूरल ट्यूब डिफिशिएंट, कार्डिएक डिफिशिएंट और गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिफिशिएंट होते हैं. ये जन्मजात बीमारियां हैं. कई बार ऐसे मामलों में स्टिलबर्थ होता है, यानी मृत शिशु का जन्म होना. अक्सर ही जुड़वा या इससे ज्यादा संतानें लो बर्थ वेट होती हैं. बच्चों के अलावा प्रेग्नेंट महिला को भी कई खतरे रहते हैं. ट्विन्स के गर्भ में रहने के दौरान मां में जेस्टेशनल डायबिटीज का डर रहता है. इसके बाद पोस्टपार्टम रिकवरी में भी ज्यादा समय लगता है क्योंकि शरीर से ज्यादा पोषण जा चुका होता है. 

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मेडिकल असिस्टेंस से जुड़वा बच्चों को जन्म देने का चलन
चीन की सोसायटी महिलाओं को लेकर खास खुली नहीं. ऐसे में प्रेग्नेंसी और पोस्ट-प्रेग्नेंसी काम रुकने पर नौकरी जाने का डर रहता है. यही वजह है कि फिलहाल ज्यादातर युवतियां या तो बच्चे ही नहीं चाह रहीं, या फिर एक ही बार में दो संतानों को जन्म देना चाह रही हैं. चूंकि नेचुरली इसकी संभावना बहुत कम रहती है तो वे इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन की मदद ले रही हैं. 

टेलीविजन से भी मिला बढ़ावा
वन-चाइल्ड पॉलिसी के दौरान ही ये ट्रेंड आ गया था. तब एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर तो मनाही थी, लेकिन मल्टीपल प्रेग्नेंसी पर कोई रोक नहीं थी. यही वजह है कि ज्यादा बच्चे पाने के लिए चीनी कपल्स मेडिकल तकनीक अपनाने लगे. इस बीच बहुत से चीनी ड्रामा भी ऐसे आए, जिसमें क्वीन या हीरोइन को जुड़वा बच्चों को जन्म देते दिखाया गया. इसके बाद से ये ट्रेंड चीन के लगभग सभी बड़े शहरों तक पहुंच गया.

 

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