कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट को पिछले डेल्टा स्ट्रेन के मुकाबले हल्का बताया जा रहा है. कई एक्सपर्ट ओमिक्रॉन संक्रमितों में फ्लू जैसे लक्षण दिखने का भी दावा कर रहे हैं. इस बीच WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने मंगलवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि कोरोना को एक महामारी की बजाय फ्लू जैसी बीमारी समझने की भूल बिल्कुल ना करें. WHO का कहना है कि ओमिक्रॉन का प्रसार अभी स्थिर नहीं हुआ है.
यूरोप के लिए WHO की सीनियर इमरजेंसी ऑफिसर कैथरीन स्मॉलवुड ने मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, 'हम अभी भी बड़ी अनिश्चितताओं से घिरे हुए हैं. वायरस अभी भी तेजी से विकसित हो रहा है. नई चुनौतियां सामने आ रही हैं. हम अभी उस स्थिति में नहीं हैं जहां इस महामारी को एक इलाके तक सीमित बीमारी घोषित कर दिया जाए.'
WHO ने यह टिप्पणी स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज के उस बयान के बाद की है जिसमें उन्होंने कोरोना की महामारी के साथ फ्लू की तरह व्यवहार करने की बात कही थी. सांचेज ने सोमवार को रेडियो पर दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि शायद अब वो समय आ चुका है जब कोविड-19 का फ्लू जैसी किसी स्थानीय बीमारी की तरह मूल्यांकन किया जाना चाहिए, क्योंकि इसकी गंभीरता का स्तर घटता जा रहा है. इसका मतलब साफ है कि कोरोना का इलाज महामारी की बजाए एक स्थानीय बीमारी समझकर करना होगा.
क्यों कोविड-19 को ना समझें फ्लू?
एक्सपर्ट कहते हैं कि कोविड-19 और फ्लू के लक्षणों की गंभीरता इंसान के स्वास्थ्य के हिसाब से तय होती है. कई गंभीर मामलों में दोनों ही इंफेक्शन लोवर रेस्पिरेटरी सिस्टम में फैल सकते हैं और निमोनिया जैसी मुश्किलों को पैदा कर सकते हैं. बहती नाक, डायरिया, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और नाक बंद रहने ही की समस्या दोनों ही इंफेक्शन में दिखाई देती है. फिर भी कई स्टडीज खुद इस बात का साक्ष्य हैं कि कोविड-19 फ्लू से कहीं ज्यादा घातक है.
कोविड-19 और फ्लू में कैसे ढूंढें फर्क
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 और फ्लू दोनों में ही खांसी और बुखार जैसे लक्षण ज्यादा जल्दी नजर आते हैं. लेकिन कोविड-19 में बंद नाक और डायरिया जैसी दिक्कत बहुत कम देखने को मिलती है, जबकि फ्लू में अक्सर ऐसे लक्षण देखे जाते हैं. कोविड-19 में थकावट और शरीर में दर्द के लक्षण भी किसी-किसी मरीज में देखे जाते हैं, जबकि फ्लू में ये लक्षण काफी तेज होते हैं.
लक्षणों को लगातार मॉनिटर कर आप इस फर्क को बेहतर समझ सकते हैं. शरीर में इसके लक्षणों को नजरअंदाज करने की बजाए तुरंत जांच करवाएं. तकरीबन 10 दिन तक आइसोलेशन में रहें. संपर्क में आए लोगों को जांच करवाने की सलाह दें और जल्दी रिकवरी के लिए डॉक्टर्स की सलाह लेकर ही काम करें.