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Omicron wave in India: भारत में कब आएगा ओमिक्रॉन का पीक? अमेरिका की डेटा साइंटिस्ट ने लापरवाही को लेकर चेताया

देश में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना की रफ्तार तेज हो गई है. संक्रमण के मामले लगातार बढ़ने लगे हैं और मौतों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है. ज्यादातर राज्यों में अब पाबंदियां और सख्त कर दी गईं हैं. ओमिक्रॉन के पीक को लेकर भी तरह-तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं. अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की डेटा साइंटिस्ट भ्रमर मुखर्जी इस वैरिएंट पर कई अहम जानकारियां दी हैं.

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भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले
भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ओमिक्रॉन के तेजी से बढ़ते मामले
  • हल्का नहीं है ओमिक्रॉन
  • आ सकते हैं और भी वैरिएंट्स

देश में कोरोना के मामलों मे लगातार इजाफा हो रहा है. इसके पीछे की मुख्य वजह ओमिक्रॉन वैरिएंट ही माना जा रहा है. दुनिया भर के वैज्ञानिक और हेल्थ एक्सपर्ट्स इस वैरिएंट को हल्का ना समझने की चेतावनी दे रहे हैं. वहीं, इसके पीक को लेकर भी तरह-तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं. अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की डेटा साइंटिस्ट भ्रमर मुखर्जी (Bhramar Mukherjee) ने ओमिक्रॉन वैरिएंट पर कई अहम जानकारियां दी हैं.

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ओमिक्रॉन पर भारत की वर्तमान स्थिति- प्रोफेसर मुखर्जी का कहना है कि कोरोना वायरस हर बार बहुत शांत तरीके से आता है और अचानक से इसका विस्फोट हो जाता है. इस पर पकड़ बनाए रखने के लिए इसके व्यवहार को समझना जरूरी है. जब ये धीमी गति से बढ़ रहा हो तभी इस पर रोक लगाने की रणनीति बनानी चाहिए. लोगों को लग रहा था कि ओमिक्रॉन भारत में नहीं आएगा लेकिन ये भारत में आया ही नहीं बल्कि पूरी तरह फैल भी गया. दिसंबर में भारत में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी थी. इसे रोकने की कोशिश तब की जा रही है जब ये हर तरफ फैल चुका है. हर लहर में सरकार की नीतियां भी अलग-अलग देखने को मिल रही हैं. 

दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में प्रोफेसर मुखर्जी ने कहा कि ओमिक्रॉन का पीक हर राज्य में अलग-अलग समय पर आएगा. जैसे कि मुंबई, दिल्ली, कोलकाता में ये जनवरी के अंत तक और देश भर में फरवरी के मध्य तक आ सकता है. 

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गंभीर बीमारी से बचा रही है वैक्सीन- प्रोफेसर मुखर्जी का कहना है कि भारत में फिलहाल 60 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों और 90 फीसदी लोगों को एक डोज लग चुकी है. पहले और दूसरे लहर की तुलना में लोग अब वायरस से ज्यादा सुरक्षित हैं. मौत और अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या काफी कम हुई है. ओमिक्रॉन एक हल्का वायरस लग रहा है लेकिन कुछ लोगों के लिए खतरनाक भी हो सकता है. वैक्सीन भी 100 फीसदी कारगर नहीं है इसलिए हो सकता है कि आने वाले समय में भारत में अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ जाए. इसका दबाव हेल्थ सिस्टम पर भी बढ़ सकता है. अमेरिका में ऐसा ही देखने को मिल रहा है.

प्रोफेसर मुखर्जी ने एक ट्वीट में लिखा, "मैं रोज सुनती हूं कि ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में माइल्ड है. ओमिक्रॉन की लहर को लेकर भारत की तैयारी अमेरिका से ज्यादा अच्छी है. हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम भले ही बहुत ज्यादा भयावह स्थिति में ना पहुंचे लेकिन हालात तब भी अच्छे नहीं कहे जा सकते."

ओमिक्रॉन पर वैज्ञानिकों की अलग-अलग राय- ओमिक्रॉन को लेकर वैज्ञानिकों की अलग-अलग राय है. कोई इस लहर को बहुत खतरनाक बता रहा है तो कोई इसे नेचुरल वैक्सीन की तरह बता रहा है जो बॉडी में एंटीबॉडी बनाने का काम कर रही है. कुछ लोगों का कहना है कि ओमिक्रॉन के साथ ही ये वायरस दुनिया से खत्म हो जाएगा, तो कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी और भी नए और खतरनाक वैरिएंट आने बाकी हैं. 

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प्रोफेसर मुखर्जी का कहना है कि शुरूआती डेटा से लग रहा था कि ओमिक्रॉन हल्का है लेकिन अब पता चल चुका है कि ये सबके लिए हल्की बीमारी नहीं है. डेटा से पता चलता है कि ओमिक्रॉन महामारी को खत्म नहीं करने वाला है. आगे और भी वैरिएंट आ सकते हैं और इसके हिसाब से हमें नया रिस्पांस सिस्टम बनाना चाहिए. हमें अस्पताल डेटा पर नजर रखनी चाहिए और उसके हिसाब से योजनाएं बनानी चाहिए. प्रोफेसर मुखर्जी ने बताया कि बच्चे भी ओमिक्रॉन से संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन मौतें कम हो रही हैं. दूसरे देशों के डेटा से पता चलता है कि बच्चों पर इसका हल्का असर है, लेकिन हमें हर तरह की सावधानी बरतनी चाहिए.

प्रोफेसर मुखर्जी का कहना है कि इससे बचाव के लिए लोगों जल्द से जल्द वैक्सीन की दूसरी डोज और बूस्टर लगवा लेनी चाहिए. लोगों की भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचना चाहिए. सरकार को भी लॉकडाउन की जगह सावधानी और सुरक्षित तरीके से चीजों को खुला रखने पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत में सेल्फ टेस्टिंग को बढ़ावा देना चाहिए ताकि लोग अपनी सुरक्षा खुद कर सकें. 

 

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