कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ गए हैं. केन्द्र सरकार ने कोरोना के लक्षणविहीन और हल्के-फुल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए होम आइसोलेशन की अवधि कम कर दी है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में जहां ये अवधि 14 दिन की थी, वहीं अब सिर्फ 7 दिन की होम आइसोलेशन की जरूरत है.
यूपी में भी होम आइसोलेशन की ये गाइडलाइंस लागू होगी. संशोधित गाइडलाइन के अनुसार, बिना लक्षण वाले (Asymptomatic) मरीज और हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए 7 दिन आइसोलेट रहना ही काफी बताया गया है. सात दिन तक आइसोलेशन में रहने के बाद अगर बुखार नहीं है तो इन मरीजों को दोबारा कोविड टेस्ट कराने की भी जरूरत नहीं होगी.
कौन हैं लक्षणविहीन मरीज
नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, लक्षणविहीन उन मरीजों को माना गया है जिनका कोविड टेस्ट तो पॉजिटिव आया है लेकिन उनमें बुखार और खांसी के लक्षण नहीं हैं. और उनका ऑक्सीजन लेवल 93 से कम नहीं है.
माइल्ड यानी हल्के लक्षण वाले मरीज वो हैं जिनको सर्दी, गले में खराश और बुखार के लक्षण हों लेकिन ऑक्सीजन लेवल 93 से कम ना हो. गाइडलाइंस के अनुसार, आपका होम आइसोलेशन 7 दिन का है तो भी आखिरी के 3 दिन आपको बुखार नहीं होना चाहिए. अन्यथा आइसोलेशन की अवधि बढ़ जाएगी.
होम आइसोलेशन (Home Isolation) में क्या करें, क्या न करें?
इस बार संक्रमण की खास बात ये है कि टेस्ट में पॉजिटिव आने के बाद भी अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम है. ऐसे में घर में ही लोग आइसोलेट हो रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि होम आइसोलेशन में Do’s and Don’ts का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और UP मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ पी के गुप्ता कहते हैं, ‘इस बार लक्षणों में गले में खराश, हल्का सर्दी-ज़ुकाम और हल्का बुखार ज्यादातर लोगों में देखने को मिल रहा है. ये लक्षण पिछली बार के लक्षणों से थोड़ा अलग है. पिछली बार ज्यादा लोगों को सूखी खांसी थी. साथ ही बुख़ार भी तेज आता था.'
अलग रहें पर कमरे में वेंटिलेशन जरूरी
डॉ पी के गुप्ता कहते हैं ‘अगर आप होम आइसोलेट हैं तो अपने कमरे को एकदम बंद मत कीजिए. अलग रहिए पर कमरा हवादार होना चाहिए. यानी उसमें वेंटिलेशन पर्याप्त होना चाहिए. सुबह शाम खिड़की खोलें. अगर ठंड लगे तो ब्लोअर का इस्तेमाल करें. होम आइसोलेशन को लेकर विस्तृत गाइडलाइंस जारी किए हैं. उनका पालन करें.'
लखनऊ के CMO डॉ मनोज अग्रवाल कहते हैं 'ऐसे मरीजों को भले ही लक्षण हों या न हों, घर में दूसरे सदस्यों से एकदम अलग रहना चाहिए. खास तौर पर बुजुर्ग और co-morbid (एक ही समय में दो गंभीर बीमारी से पीड़ित लोग) वाले सदस्यों से बिल्कुल अलग रहना चाहिए जिससे किसी तरह वो उनके सम्पर्क में नहीं आएं.
मास्क लगाए रहें
अगर अपने रूम में बैठे हैं तो कई लोग ये सोचते है कि मास्क की जरूरत नहीं. पर ऐसे मरीजों को हमेशा ट्रिपल लेयर मास्क लगाकर रखना चाहिए और हर 8 घंटे में मास्क को हटाकर नया मास्क लगाना चाहिए. इससे पहले भी अगर मास्क हल्का गीला हो जाए तो उसे हटा दें, दूसरा मास्क लगाएं.'
डॉ मनोज अग्रवाल कहते हैं कि गाइडलाइंस के अनुसार, मरीज को तरल पदार्थ लेते रहना चाहिए क्योंकि पर्याप्त हाइड्रेशन बहुत जरूरी है.
होम आइसोलेशन में साफ-सफाई का बहुत ज्यादा महत्व है. डॉ पी के गुप्ता कहते हैं, 'भले ही अकेले बैठे हों लेकिन हाथ साबुन से धोते रहना चाहिए. जिस कमरे में पेशेंट है, उसमें दरवाजे के हैंड्ल, मेज या कोई ऐसी सतह जिसे बार बार मरीज छूता हो, उसे भी सैनिटाइजर या साबुन से साफ करते रहना चाहिए. ये काम मरीज द्वारा खुद भी किया जा सकता है. लेकिन अगर थकान हो रही हो तो ऐसा न करें.'
लखनऊ के CMO डॉ मनोज अग्रवाल कहते हैं, 'मरीज की देखभाल करने वाले (caregiver) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. मरीज के कमरे में प्रवेश करते समय पूरी सुरक्षा (N 95 Mask, gloves) जरूरी है. जारी गाइडलाइंस के अनुसार, इस समय मरीज को खुद से अपना ब्लड टेस्ट या दूसरे पैथोलॉजिकल टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है. ये सब डॉक्टर की सलाह पर ही करें.'
ये गलतियां ना करें
ज्यादातर डॉक्टर मानते हैं कि पैरासिटामॉल ही लेना चाहिए. डॉ पी के गुप्ता कहते हैं 'पैरासिटामॉल लें. दूसरे पेनकिलर न लें. अक्सर देखा गया है कि लोग ज्यादा स्टेरॉयड लेते हैं. अच्छा होगा कि डॉक्टर की सलाह से ही लें.'
डॉक्टर पिछली बार की तरह ही दो बातों पर जोर देते हैं- स्टीम(भाप) और गर्म पानी से गरारा (warm water gargles). डॉ मनोज अग्रवाल कहते हैं, 'ये जरूर करें. दिन में दो से तीन बार नमक के गुनगुने पानी से गरारा करें. लेकिन तीन बार से ज्यादा गरारा या स्टीम ना लें. कोई भी ठंडी और दही जैसी चीज न खाएं. क्योंकि लक्षण न होने पर लोग इस बात को भूल जाते हैं.'
डॉ पीके गुप्ता कहते हैं कि गले को आराम देना इस समय बहुत जरूरी है. प्रायः देखा गया है कि लोग अकेले बैठे हैं तो फोन पर दिन भर बात करते रहते हैं. ऐसा न करें और टेक्स्ट के जरिए लोगों से बात करें.'