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गुलियन बैरी सिंड्रोम से देश में तीसरी मौत! महाराष्ट्र के बाद अब बंगाल में 17 साल के लड़के की गई जान

गुलियन बैरी सिंड्रोम पश्चिम बंगाल में एक 17 साल के लड़के की मौत हो गई, जिसके बाद अब इस बीमारी से देशभर में मौतों का आंकड़ा 3 हो गया है. अस्पताल के मुताबिक छात्र की मौत सेप्टिक शॉक और मायोकार्डिटिस के कारण हुई है. डॉक्टरों का अनुमान है कि इसकी मूल बीमारी गुलियन बैरी सिंड्रोम हो सकती है.

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Guillain Barre Syndrome (Photo: Meta AI)
Guillain Barre Syndrome (Photo: Meta AI)

गुलियन बैरी सिंड्रोम से देश में तीसरी मौत हो गई है. पश्चिम बंगाल के कोलकाता के नील रतन सरकार अस्पताल में भर्ती उत्तर 24 परगना जिले के 12वीं कक्षा के छात्र की कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में मौत हो गई.

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अस्पताल के मुताबिक छात्र की मौत सेप्टिक शॉक और मायोकार्डिटिस के कारण हुई है. डॉक्टरों का अनुमान है कि इसकी मूल बीमारी गुलियन बैरी सिंड्रोम हो सकती है.

127 मामले आ चुके हैं सामने

इससे पहले आज ही महाराष्ट्र के पुणे में गुलियन बैरी सिंड्रोम से एक मौत हुई थी. इससे पहले पुणे में ही एक शख्स की इस सिंड्रोम की वजह से मौत हुई थी. बता दें कि इस सिंड्रोम के अब तक 127 मामले सामने आ चुके हैं. इससे लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए 200 ब्लड सैंपल एनआईवी पुणे भेजे गए हैं.

स्वास्थ्य विभाग ने की बैठक

इस बीच पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग ने गुलियन बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) को लेकर बैठक की, जिसमें स्वास्थ्य सचिव और दूसरे अधिकारी भी शामिल हुए. बैठक के दौरान राज्य के सभी सरकारी और जिला अस्पतालों को निर्देश दिया गया कि वे जीबीएस के किसी भी मामले की सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग को दें.

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बुनियादी स्टॉक रखने के निर्देश

स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को प्लाज्मा थेरेपी, वेंटिलेशन सपोर्ट सिस्टम और अंतःशिरा इम्यूनोग्लोबुलिन इंजेक्शन सहित आवश्यक उपचारों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और इन उपचारों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे का स्टॉक करने का भी निर्देश दिया है.

अस्पतालों को दिशा-निर्देश जारी

बैठक में विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया है, जिसमें बांगुर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज के न्यूरोलॉजिस्ट, बीसी रॉय चाइल्ड हॉस्पिटल के निदेशक, कोलकाता मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के प्रमुख और संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर योगीराज रे शामिल रहे. स्थिति की समीक्षा करने के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने अस्पतालों को दिशा-निर्देश जारी किए.

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