मध्य प्रदेश के विदिशा में शादी का जश्न मन रहा था लोग खुशियां मना रहा थे. अपनी बहन की शादी की खुशी में 24 साल की परिणीता डांस फ्लोर पर डांस कर रही थी, सब कुछ परफेक्ट चल रहा था, लेकिन अचानक परिणीता बेसुध होकर गिर गई, पहले तो लोगों को लगा कि शायद डांस की थकान से वो बेहोश हो गई होगी, लेकिन कुछ देर तक जब वो नहीं उठी तो घरवाले उसे तुरंत अस्पताल लेकर गए और फिर जो हुआ उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. महज 24 साल की लड़की की जान जा चुकी थी, डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला उसकी मौत साइलेंट अटैक से हुई है.
कुछ ही वक्त में ये.वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा और पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे एक लड़की खुशी में डांस कर रही है और अचानक वो गिर पड़ती है और उसकी जिंदगी एक झटके में खत्म हो जाती है. इस तरह से अचानक मौत का ये मामला कोई नया नहीं है अगर पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस तरह के मामले आए दिन हमारे सामने आने लगे हैं. अचानक चलते-फिरते हार्ट अटैक से मौतों के इस सिलसिले में एक बात जो नई देखी जा रही है, वो है किसी युवा लड़की का हार्ट अटैक.
महिलाओं में क्यों बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा?
ज्यादातर मामलों में ये देखा जा रहा था कि महिलाएं इस साइलेंट अटैक की शिकार नहीं हो रही थीं. पारंपरिक रूप से, यह माना जाता था कि महिलाएं हार्मोनल सुरक्षा के कारण हृदय रोगों से सुरक्षित हैं, विशेषकर रजोनिवृत्ति से पहले. लेकिन ऐसी घटनाएं इसको झुठलाती हुई नजर आ रही हैं. हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों से जानते हैं कि किन महिलाओं को हृदय रोग का खतरा होता है. यह खतरा कितना सीरियस होता है और क्या उनके लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं. महिलाएं हृदय रोग के लक्षण कैसे पहचानें और बचाव के लिए क्या करें.
सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली में कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रीति गुप्ता कहती हैं कि महिलाओं में हृदय रोगों को लेकर लगातार स्टडीज हो रही हैं. हाल ही में इंडियन जर्नल ऑफ हार्ट में इस पर आर्टिकल प्रकाशित हुआ है. इसमें बताया गया है कि महिलाओं के मामले में जिन लेडीज का मेनोपॉज हो जाता है, उनका हृदय रोगों के लिए रिस्क एक पुरुष के बराबर हो जाता है. वैसे आमतौर पर महिलाओं में हृदय रोगों की शुरुआत पुरुषों की तुलना में दस साल लेट होती है.
शायद वो पहले से ही हृदय रोगी हो और उसे पता न चला हो
डॉ प्रीति गुप्ता विदिशा की युवती को हुए साइलेंट अटैक के मामले में कहती हैं कि ऐसे केस में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि शायद वो पहले से ही हृदय रोगी हो और उसे पता न चला हो. इसके पीछे महिलाओं और पुरुषों में हृदय रोगों के लक्षणों पर भी अध्ययन किए गए हैं. महिलाओं में अक्सर ये लक्षण पुरुषों की तुलना में असामान्य होते हैं. जैसे एक पुरुष में जहां ये लक्षण चेस्ट पेन, बाएं हाथ में दर्द आदि हैं तो हो सकता है महिला में जी मिचलाना, उल्टी या फिर थकान आदि हो सकते हैं.
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के कॉर्डियो थोरेसिक एंड वस्कुलर सर्जरी विभाग के हेड व डायरेक्टर डॉ उदगिथ धीर का कहना है कि महिलाओं में हृदय रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है, क्योंकि इनके लक्षण पुरुषों से भिन्न हो सकते हैं और अक्सर अनदेखे रह जाते हैं. हाल के दिनों में अमेरिका में हार्ट डिजीज महिलाओं की सबसे बड़ी किलर बनकर उभरी है. मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एमआई) ने इनमें से कई मौतों में खास रोल निभाया है. डॉक्टर मानते हैं कि साइलेंट अटैक कहे जाने वाले मायोकार्डियल इंफार्क्शन के पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक असामान्य लक्षण होते हैं.
क्या महिलाओं को हार्ट अटैक नहीं आते?
डॉ धीर का कहना है कि पारंपरिक रूप से यह धारणा एकदम गलत है. ऐसा कहना कि महिलाएं मीनोपॉज से पहले हृदय रोगों से सुरक्षित हैं, पूरी तरह से सही नहीं है. हाल के अध्ययनों से पता चला है कि यह धारणा गलत है, और महिलाएं भी हृदय रोगों के उच्च जोखिम में हैं. ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के अनुसार, ब्रिटेन में प्रतिदिन 77 महिलाएं हृदय संबंधी समस्याओं के कारण मृत्यु का शिकार होती हैं. यह मिथक कि हृदय रोग केवल पुरुषों की समस्या है, महिलाओं में इसके लक्षणों की अनदेखी और उपचार में देरी का कारण बनता है.
महिलाओं में हार्ट अटैक की वजह?
टेंशन और स्ट्रेस: जिस तरह आज की बदलती लाइफस्टाइल में स्ट्रेस बढ़ा है, उससे टेंशन और एंजाइटी की समस्या भी बढ़ी है. डॉ धीर का कहना है कि अत्यधिक मानसिक तनाव हृदय की सेहत को प्रभावित करता है. महिलाओं में हार्ट डिजीज की एक बड़ी वजह ये भी बना है.
मोटापा और डायबिटीज: खानपान में प्रोसेस्ड फूड और अनहेल्दी लाइफस्टाइल ने मोटापे की समस्या भी बढ़ाई है. कई बार शरीर में मोटापा भले ही नहीं नजर आता लेकिन लिवर में फैट जमने की समस्या बढ़ी होती है. डॉक्टर मानते हैं कि बीमार लिवर से हृदय के रोगों को पनपने में मदद मिलती है. इसके अलावा ब्लड में शुगर बढ़ा लेवल हृदय रोग के खतरे को बढ़ाता है.
हाई ब्लड प्रेशर व कोलेस्ट्रॉल: हाई ब्लड प्रेशर हार्ट पर अतिरिक्त भार डालता है. वहीं खून में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हृदय की धमनियों में रुकावट पैदा कर सकता है. पर्याप्त नींद न लेने, एक्सरसाइज से दूरी बनाने और अनहेल्दी फूड ही इसके पीछे बड़ा कारण हैं.
धूम्रपान: सिगरेट पीना हृदय रोग का एक प्रमुख कारण माना जाता है. वहीं,वर्तमान में बढ़े वायु प्रदूषण ने भी हृदय रोगों का खतरा बढ़ा दिया है. वातावरण में मौजूद पीएम 2.5 प्रदूषकों के कारण भी हार्ट डिजीज के खतरे बढ़े हैं.
महिलाओं में हार्ट प्रॉब्लम्स के लक्षण?
सीने में दर्द या असहजता: यह दर्द सीने के बीच या बाईं ओर महसूस हो सकता है और कुछ मिनटों से अधिक समय तक रह सकता है.
सांस की कमी: बिना किसी शारीरिक गतिविधि के भी सांस फूलना.
पसीना आना: ठंडा पसीना आना या अचानक पसीना आना.
थकान: बिना किसी स्पष्ट कारण के अत्यधिक थकान महसूस होना.
गर्दन, जबड़े, कंधे, ऊपरी पीठ या पेट में दर्द: ये लक्षण महिलाओं में सामान्य हैं और अक्सर अनदेखे रह जाते हैं.
मतली या उल्टी: हार्ट अटैक के दौरान कुछ महिलाओं को मतली, उल्टी या पेट दर्द हो सकता है.
ऐसे करें बचाव
स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले उत्पादों का सेवन करें.
नियमित व्यायाम: रोजाना कम से कम 30 मिनट शारीरिक गतिविधि करें.
धूम्रपान से बचें: सिगरेट और तंबाकू उत्पादों का सेवन न करें.
वजन नियंत्रित रखें: संतुलित वजन बनाए रखें.
तनाव प्रबंधन: योग, ध्यान और अन्य तकनीकों से तनाव को कम करें.
नियमित स्वास्थ्य जांच: ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर लेवल की नियमित जांच करवाएं.