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क्या हैं Hot और Cold फ्लैश? Menopause के दौर से गुजर रही हैं तो जरूर समझें हार्मोंस के इस पूरे गणित को

NCBI की एक स्टडी के अनुसार, मेनोपॉज के दौरान 75% महिलाएं हॉट फ्लैशेज का अनुभव करती हैं. मेनोपॉज के दौरान हॉट और कोल्ड फ्लैशेज आम समस्या होती है. हॉट फ्लैश में अचानक शरीर में गर्मी का तेज़ अहसास होता है, जिससे पसीना, घबराहट और बेचैनी महसूस होती है.

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मेनोपॉज के दौरान मह‍िलाओं का ख्याल रखना जरूरी
मेनोपॉज के दौरान मह‍िलाओं का ख्याल रखना जरूरी

केस 1: 
45 वर्षीय मीना, एक शिक्षिका हैं, जिन्होंने मेनोपॉज के दौरान गंभीर डिप्रेशन का सामना किया. हॉट फ्लैशेज और रात-रात भर नींद न आने के कारण उनका एनर्जी लेवल एकदम डाउन हो गया था. उनके काम करने की क्षमता अचानक कम हो गई थी. इस सबके कारण वो तनाव और एंजाइटी का श‍िकार हो गईं. जब उनके काम पर इसका काफी असर पड़ने लगा तो एक काउंसलर से सलाह ली. 

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केस- 2: 
50 वर्षीय अनुराधा, एक कॉर्पोरेट लीडर हैं. मेनोपॉज के दौरान उन्हें भूलने की समस्या होने लगी, जिससे उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगा. समय पर मेडिकल हेल्प और मेंटल हेल्थ थेरेपी ने उनकी समस्या को काफी हद तक हल कर दिया. 

केस- 3:
47 साल की सुमन एक गृहिणी हैं, जिन्हें मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ेपन के कारण अपने बच्चों और पति के साथ रिश्तों में खटास का सामना करना पड़ा. योग और मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या में शामिल कर उन्होंने अपने मूड को संतुलित करने में काफी हद तक सफलता पाई. 

यह सिर्फ मीना, अनुराधा या सुमन की बात नहीं है, असल में मेनोपॉज की जर्नी एक औरत के जीवन में काफी कठ‍िनता भरी होती है. ये वो दौर होता है जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. इस दौरान हॉट फ्लैशेज, मूड स्विंग्स, अनिद्रा जैसी समस्याएं आम होती हैं, लेकिन इनका सीधा असर महिलाओं की मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है. NCBI (National Center for Biotechnology Information) की कई स्टडीज इस बात की पुष्टि करती हैं कि मेनोपॉज सिर्फ हार्मोनल बदलाव नहीं, बल्कि मानसिक चुनौतियों का भी बड़ा कारण बन सकता है.

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क्या होते हैं हॉट और कोल्ड फ्लैशेज, समझें 
NCBI की एक स्टडी के अनुसार, मेनोपॉज के दौरान 75% महिलाएं हॉट फ्लैशेज का अनुभव करती हैं. मेनोपॉज के दौरान हॉट और कोल्ड फ्लैशेज आम समस्या होती है. हॉट फ्लैश में अचानक शरीर में गर्मी का तेज़ अहसास होता है, जिससे पसीना, घबराहट और बेचैनी महसूस होती है. यह आमतौर पर छाती, गर्दन और चेहरे पर सबसे ज्यादा महसूस होता है. वहीं, कोल्ड फ्लैश इसके विपरीत होता है, जिसमें शरीर ठंडा महसूस करने लगता है, कंपकंपी होती है और शरीर का तापमान गिरने का अहसास होता है.

क्यों होते हैं ये फ्लैशेज?
ये दोनों समस्याएं हॉर्मोनल असंतुलन के कारण होती हैं, खासतौर पर एस्ट्रोजन लेवल में गिरावट इसका प्रमुख कारण है. ब्रेन के हाइपोथैलेमस हिस्से, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है, में गड़बड़ी के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है.

फोर्ट‍िस शालीमार गार्डेन की डॉ. उमा वैद्यनाथन (Director - Obstetrics & Gynaecology) बताती हैं कि हॉट और कोल्ड फ्लैशेज मेनोपॉज के सामान्य लक्षण हैं, जो मुख्य रूप से हार्मोनल उतार-चढ़ाव, खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में गिरावट के कारण होते हैं. जैसे-जैसे एस्ट्रोजन का स्तर कम होता है, शरीर का तापमान संतुलित रखने की प्रक्रिया अस्थिर हो जाती है, जिससे अचानक गर्मी, पसीना और कभी-कभी ठंड लगने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

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इनसे बचाव के उपाय:

कैफीन, स्पाइसी फूड और शराब के सेवन से बचें.
गहरी सांस लेने की तकनीक अपनाएं, जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित हो सके.
हल्के और ढीले कपड़े पहनें ताकि गर्मी और ठंड का असर कम हो.
रेगुलर एक्सरसाइज करने से हॉर्मोनल बैलेंस में सुधार होता है.

मेंटल हेल्थ भी होती है प्रभाव‍ित 
वरिष्ठ मनोच‍िक‍ित्सक डॉ अन‍िल स‍िंह शेखावत कहते हैं कि मेनोपॉज के दौरान मह‍िलाओं को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी ये समस्याएं आमतौर पर देखने को मिलती हैं:  

डिप्रेशन और एंग्जायटी: मेनोपॉज के वक्त हार्मोनल बदलाव के कारण मूड स्विंग्स और उदासी महसूस होना आम है. NCBI की रिसर्च के मुताबिक, मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में डिप्रेशन का जोखिम 2 गुना तक बढ़ सकता है.

इंसोम्निया (अनिद्रा): हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव और हॉट फ्लैशेज के कारण नींद प्रभावित होती है, जिससे थकान और चिड़चिड़ापन बढ़ता है.

भूलने की समस्या (Brain Fog): मेनोपॉज के दौरान याददाश्त कमजोर होना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना और चीजें भूल जाना आम लक्षण हैं. सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट साइकियाट्रिस्ट डॉ. (प्रो.) राजीव मेहता का कहना है कि हॉट फ्लैशेज मेनोपॉज का सबसे आम लक्षण है, जिसे अक्सर एंजायटी से जोड़कर देखा जाता है. एंग्जायटी के लक्षण किसी भी अन्य स्थिति के समान होते हैं, जिसमें भविष्य को लेकर चिंताएं, असुरक्षा की भावना, अनिश्चितता, शक और पैनिक अटैक जैसी समस्याएं शामिल होती हैं. 

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पैनिक अटैक के आम लक्षण:

  • नजर धुंधली होना
  • मुंह और गले का सूखना
  • निगलने में कठिनाई
  • दिल की धड़कन तेज होना
  • मतली या उल्टी जैसा महसूस होना
  • बेचैनी महसूस होना
  • शरीर में गर्माहट या ठंड लगना
  • हाथ-पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन

इन लक्षणों का मुख्य कारण शरीर में हार्मोनल बदलाव होता है, खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में गिरावट होती है. अगर लक्षण हल्के हों तो इन्हें जीवनशैली में बदलाव और कुछ घरेलू उपायों से संभाला जा सकता है. लेकिन, यदि लक्षण मध्यम से गंभीर स्तर के हों तो इसका इलाज दवाइयों और साइकोथेरेपी के माध्यम से किया जाना चाहिए. इस स्थिति में किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना सबसे उचित होता है. 

मेनोपॉज के दौरान होने वाले व्यक्तिगत नुकसान
मनोवैज्ञान‍िक डॉ व‍िध‍ि एम पिलन‍िया के अनुसार मेनोपॉज के दौर में महिलाओं के स्वभाव में अचानक से बदलाव आता है. उनमें असुरक्षा की भावना भी बढ़ती है. इस दौरान मेंटल हेल्थ के बिगड़ने पर महिलाओं को कई तरह के व्यक्तिगत नुकसान झेलने पड़ सकते हैं, जैसे कि- 

रिश्तों पर असर: चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स के कारण पार्टनर, बच्चों या सहकर्मियों के साथ मतभेद बढ़ सकते हैं.

करियर पर प्रभाव: इस दौरान एकाग्रता में कमी के चलते महिलाओं के कार्य प्रदर्शन में गिरावट आ सकती है.

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आत्मसम्मान में गिरावट: बार-बार थकान, हॉट फ्लैशेज और डिप्रेशन के कारण खुद पर विश्वास कम हो सकता है.
आइसोलेशन (एकाकीपन): मानसिक अस्थिरता के कारण कई महिलाएं लोगों से दूरी बना लेती हैं, जिससे अकेलापन और बढ़ सकता है.

मेनोपॉज के दौरान महिलाएं क्या करें 
एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाएं: यही वो समय है जब योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज की तरफ बढ़ना चाहिए. इससे हॉर्मोन बैलेंस करने में मदद म‍िलती है. 

संतुलित आहार लें: फल, सब्जियां, ओमेगा-3 फैटी एसिड और प्रोटीन युक्त आहार मेंटल हेल्थ को सुधार सकता है.

सोशल सपोर्ट: परिवार, दोस्तों या बड़े शहरों में इसके लिए सपोर्ट ग्रुप बनते हैं, वहां अपनी बात रखने से भावनात्मक तनाव कम हो सकता है.डॉक्टर की सलाह लें: यदि मेंटल हेल्थ के लक्षण गंभीर हो रहे हों तो साइकोथेरेपी या दवाइयों का सहारा लेना चाहिए.

हमें भी समझना होगा 
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. NCBI की स्टडीज बताती हैं कि सही जानकारी, सपोर्ट और लाइफस्टाइल में बदलाव के जरिए महिलाएं इस दौर को ज्यादा सहजता से पार कर सकती हैं. महिलाओं के लिए सबसे जरूरी है कि वे अपनी मेंटल हेल्थ को लेकर सजग रहें और खुद के प्रति संवेदनशीलता बनाए रखें. इसके अलावा यदि आपके पर‍िवार में कोई महिला मेनोपॉज की कठ‍िन जर्नी का सामना कर रही है तो आपको उसका सहयोग करना चाहिए. 

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