कई बार बच्चे चार से सात साल की उम्र में अकेले में किसी से बातें करते देखे जाते हैं. कई ऐसे उदाहरण भी दुनिया भर में देखे गए हैं. एक बच्चा अपनी किताब में चमगादड़ की तस्वीर को दूध पिला रहा था तो वहीं एक बच्चा अपने अदृश्य दोस्त से बात करता था. यह सुनने में अजीब लगता है, लेकिन इस बच्चे के लिए वह बस एक तस्वीर नहीं बल्कि उसका सबसे अच्छा दोस्त 'बिग बैट' था. आइए समझते हैं क्या होता है इसके पीछे का मनोविज्ञान, बच्चों का इमैजिनरी फ्रेंड होना अच्छा है या बुरा.
बच्चों के मनोविज्ञान पर अध्ययन कर रहे डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि बच्चों की कल्पना की दुनिया अनोखी होती है. कभी उनका दोस्त कोई टेडी बियर होता है, कभी कोई अदृश्य इंसान, तो कभी टमाटर का डिब्बा. रिसर्च बताती है कि 7 साल की उम्र तक 65% बच्चे अपने जीवन में कम से कम एक काल्पनिक दोस्त बना लेते हैं. ये दोस्ती महज़ एक खेल नहीं हेाती, बल्कि इसके पीछे कोई गहरी वजह छिपी होती है.
काल्पनिक दोस्त क्यों बनाते हैं बच्चे?
वेल्सले कॉलेज की मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर ट्रेसी ग्लीसन ने अपनी एक स्टडी में कहा कि काल्पनिक दोस्त बच्चों के लिए एक सुरक्षित रिश्ता होते हैं. वे उन दोस्तों से अपने दिल की बातें कर सकते हैं, बिना किसी डर के झगड़ सकते हैं और मन चाहे तो उस दोस्त को गायब भी कर सकते हैं. यह उनका एक कम्फर्ट जोन में बना ऐसा साथी होता है, जिसे वो हर समय साथ लेकर चल सकते हैं.
उन्होंने अपनी स्टडी में बताया है कि कैसे एक नौ साल की बच्ची का काल्पनिक दोस्त अदृश्य साइबेरियन टाइगर था, जो पावर स्वाइप मार सकता था, लेकिन बारिश से उसे डर भी लगता था. वहीं एक और बच्ची अपने अदृश्य दूध के डिब्बे को अपना सबसे अच्छा दोस्त मानती थी.
क्या ये चिंता की बात है?
डॉ सत्यकांत कहते हैं कि पुराने समय में ऐसा माना जाता था कि जो बच्चे काल्पनिक दोस्तों से बात करते हैं, वे अकेलेपन का शिकार होते हैं. लेकिन अब शोध बताते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है. दरअसल, जिन बच्चों के काल्पनिक दोस्त होते हैं, वे भावनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत होते हैं. हां, अगर कोई बच्चा किसी गहरे आघात से गुजरा है तो वो एक काल्पनिक दोस्त के जरिए खुद को सुरक्षित महसूस कर सकता है. उदाहरण के लिए, जिन बच्चों ने बचपन में किसी तरह का शोषण झेला होता है, वे अक्सर ऐसे काल्पनिक किरदार बनाते हैं, जो उनकी रक्षा करते हैं.
बड़े भी बनाते हैं काल्पनिक दोस्त?
अक्सर हम सोचते हैं कि काल्पनिक दोस्त सिर्फ छोटे बच्चों की चीज़ है, लेकिन कई टीनएजर्स और यहां तक कि वयस्क भी अपनी कल्पना में ऐसे किरदार गढ़ते हैं. उदाहरण के लिए एक 12 साल की लड़की का दोस्त था हैमी. ये एक टेडी हैम्स्टर था जो न सिर्फ गंदे जोक्स सुनाता था बल्कि बिजनेस टाइकून भी था. उसके पास दौलत की कोई कमी नहीं थी, वो स्काई डाइविंग करता था. यह ऐसा दोस्त था जो बच्ची को गलत गाइड करता था.
डॉ सत्यकांत कहते हैं कि यह एक बहुत संवेदनशील चीज है. अपने बच्चे से इस बारे में ज्यादा चर्चा नहीं करनी चाहिए. हालांकि बच्चों की इस दुनिया को सिर्फ एक खेल मानकर नजर अंदाज़ नहीं किया जा सकता. ये दोस्त उनकी भावनाओं को संभालने में मदद करते हैं, उन्हें समाज के नियम समझाते हैं और कभी-कभी जिंदगी के उलझे हुए सवालों के जवाब भी देते हैं. इसलिए बच्चे की एक्टिविटी पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है. अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे का इमैजिनरी फ्रेंड उसे गलत तरीके से डील कर रहा है, तो आप बच्चे को उसके बारे में समझाएं. उसे आप ज्यादा टाइम देंगे तो बच्चे की जिंदगी से खुद ब खुद ऐसे इमैजिनरी दोस्त चला जाएगा.
तो अगली बार जब आपका बच्चा किसी अदृश्य दोस्त से बातें करे, तो घबराने की जरूरत नहीं है. हो सकता है कि वो अपनी दुनिया को थोड़ा और बेहतर समझने की कोशिश कर रहा हो. डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि कोविड लॉकडाउन के सुनसान दिनों में जब सामाजिक दूरी ने हमें एक-दूसरे से दूर कर दिया था, उस दौर में कई छोटे बच्चों के माता-पिता ने इस बारे में सलाह ली कि उनका बच्चा अकेले में बात करता है. एक पेरेंट्स ने बताया कि उनका 7 साल का बच्चा किसी अजनबी से बात करता है. बच्चे ने बताया कि वो उसका दोस्त है. वो उस दोस्त के बारे में भी बताता है और यह भी कहता है कि वो मेरे बगल में ही बैठा है. उस अपने दोस्त के बारे में ये बताता है कि वो बहुत जिद्दी है, कभी समय पर न खुद सोता है और न मुझे सोने देता है. पेरेंट्स को पहले ये भी लगा कि शायद उस पर कोई भूत प्रेत का साया हो, लेकिन जब इसके बारे में पढ़ा तो इमैजिनरी फ्रेंड के बारे में बताया.उस बच्चे की लगातार काउंसिलिंग के बाद उसके व्यवहार में बदलाव हुआ.
बढ़ती है कल्पना शक्ति
आज के आधुनिक शोध बताते हैं कि 65 प्रतिशत से अधिक बच्चे सात साल की उम्र तक कम से कम एक काल्पनिक दोस्त बना लेते हैं. ये दोस्त कभी खिलौने की गुत्थी, कभी किसी पालतू जानवर की तस्वीर, तो कभी बिलकुल अनोखे जैसे कि टमाटर का डिब्बा भी हो सकता है. यह बच्चों की सोच की गहराई और उनके भावनात्मक विकास का प्रतिबिंब है. वेल्सले कॉलेज की मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर ट्रेसी ग्लीजन का मानना है कि ये काल्पनिक दोस्त बच्चों को समाज की जटिलताओं से निपटने का एक सुरक्षित मंच प्रदान करते हैं.
हां, ये जरूर है कि काल्पनिक दोस्ती के खेल में मस्ती भी होती है और कभी-कभी छोटी-मोटी लड़ाइयां भी. एक बच्चे ने बताया कि उसका इमैजिनरी फ्रेंड एक टाइगर था जो कभी कभी उसके बाल खींच लेता था. वहीं दूसरी ओर, एक लड़की ने अपने खिलौने के घोड़े को एक सीक्रेट एजेंट बताया, जिसके पास एक्स-रे विजन भी था. माता-पिता का कहना है कि इन काल्पनिक दोस्तों के साथ खेलना उनके बच्चों के लिए सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि अपनी भावनाओं को समझने और व्यक्त करने का एक जरिया भी है. जब असली दुनिया में दोस्ती के नियम इतने कठोर और अपरिभाषित होते हैं, तब इन अनदेखे मित्रों के साथ बच्चे बिना किसी दबाव के अपनी कल्पना की उड़ान भरते हैं.