तेज रफ्तार जिंदगी में हम सभी अपने करियर, फिटनेस और सोशल लाइफ को संतुलित करने की कोशिश करते हैं. लेकिन कई बार बाहरी रूप से सब कुछ सामान्य दिखने के बावजूद अंदर से हम थकान, खालीपन और उदासी महसूस करते हैं. इस कंडीशन को'साइलेंट बर्नआउट' कहा जाता है. आइए समझते हैं कि यह क्या है, इसके लक्षण, कारण और इससे बचने के उपाय भी जानते हैं.
साइलेंट बर्नआउट क्या है?
साइलेंट बर्नआउट एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति बाहरी रूप से सामान्य और सक्रिय दिखता है, लेकिन अंदर से मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से थका हुआ महसूस करता है. यह स्थिति धीरे-धीरे विकसित होती है और अक्सर व्यक्ति को इसका एहसास भी नहीं होता.
सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली के मनोचिकित्सक डॉ. राजीव मेहरा बताते हैं कि साइलेंट बर्नआउट में व्यक्ति अपनी डेली एक्टिविटी को तो पूरा करता रहता है, लेकिन अंदर ही अंदर वह मानसिक थकान और तनाव से जूझ रहा होता है. यह स्थिति खतरनाक हो सकती है क्योंकि इसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है.
साइलेंट बर्नआउट के लक्षण
लगातार थकान: पर्याप्त नींद लेने के बावजूद थकान महसूस होना.
काम में रुचि की कमी: पहले जिन कार्यों में आनंद आता था, उनमें अब रुचि नहीं रहना.
चिड़चिड़ापन: छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना या परेशान होना.
नींद की समस्या: नींद न आना या बार-बार जागना.
शारीरिक समस्याएं: सिरदर्द, पेट दर्द या मांसपेशियों में दर्द.
साइलेंट बर्नआउट की ये हैं आम वजहें
वर्क का ज्यादा प्रेशर: लगातार काम का दबाव और समय की कमी.
सोशल मीडिया का प्रभाव: दूसरों की जीवनशैली से तुलना करना और खुद पर अतिरिक्त दबाव डालना.
व्यक्तिगत समय की कमी: खुद के लिए समय न निकाल पाना और लगातार व्यस्त रहना.
इमोशनल सपोर्ट की कमी: दोस्तों या परिवार से खुलकर बात न कर पाना.
भोपाल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि आज के दौर में लोग अपने काम और सोशल लाइफ में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे अपनी मानसिक सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते. यह साइलेंट बर्नआउट का प्रमुख कारण है. साइलेंट बर्नआउट न केवल मेंटल बल्कि शारीरिक सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है. यह डिप्रेशन, एंग्जायटी, हृदय रोग और इम्यून सिस्टम की कमजोरी जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है.
एक स्टडी के अनुसार साइलेंट बर्नआउट से ग्रस्त लोगों में डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है.
साइलेंट बर्नआउट से बचाव के उपाय
स्वयं के लिए समय निकालें यानी दिन में कम से कम 30 मिनट अपने पसंदीदा गतिविधियों के लिए रखें.
नियमित व्यायाम जैसे योग, ध्यान या हल्का व्यायाम मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है.
सोशल मीडिया से दूरी बहुत जरूरी है, दिन में कुछ समय के लिए डिजिटल डिटॉक्स करें.
दोस्तों या परिवार के सदस्यों से अपनी भावनाएं जरूर साझा करें.
यदि जरूरी हो तो मनोचिकित्सक या काउंसलर से सलाह लें.
बता दें कि साइलेंट बर्नआउट एक गंभीर समस्या है जिसे अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए. अपनी मानसिक और शारीरिक सेहत का ध्यान रखना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अपने करियर और सामाजिक जीवन का. इसलिए जीवन में संतुलन बनाएं, स्वयं के लिए समय निकालें और जरूरत पड़ने पर मदद लेने में संकोच न करें.