चिकन पॉक्स और स्मॉल पॉक्स के बारे में तो आप सबने सुना ही होगा. पूरा विश्व अभी कोरोना महामारी के प्रकोप से ठीक से उबरा तक नहीं था कि अब एक नई और दुर्लभ बीमारी ने दस्तक दे दी है. इस बीमारी का नाम है मंकीपॉक्स. यह बीमारी ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और अमेरिका में फैल रही है.
राहत की बात यह है कि अब तक भारत में इसका एक भी केस मामला सामने नहीं आया है. लेकिन डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में इस पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी. डब्ल्यूएचओ के अनुसार मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिए भरता है और इससे कई तरह के कॉम्प्लिकेशंस भी हो सकते हैं.
मंकीपॉक्स से 10 फीसदी मौत होने की संभावना
यदि हम अधिकारिक तौर पर आंकड़ों की बात करें तो विश्वभर में मंकीपॉक्स के 100 से ज्यादा संदिग्ध और पुष्ट मामले मिले हैं. दूसरी ओर कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों में इस बीमारी के पॉसिबल सैंपल की जांच इस वक्त की जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बीमारी में मृत्यु दर 10 फीसदी तक होने की संभावना है.
मंकीपॉक्स एक अति दुर्लभ बीमारी
आज तक ने एलएनजेपी के डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार से बात की और जाना कि यह बीमारी कितनी खतरनाक है और इससे कैसे निजात पाया जा सकता है. डॉ. सुरेश कुमार बताते हैं कि मंकीपॉक्स स्मॉल पॉक्स से अलग है. मंकीपॉक्स एक अति दुर्लभ बीमारी है जो जानवरों से मनुष्य में फैलने वाले वायरस के कारण होती है.
चूहों-गिलहरियों से आता है वायरस
दरअसल मंकीपॉक्स का जो वायरस है वह एक डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जिसका संबंध ऑर्थो पॉक्सवायरस जींस से है. वैसे इस वायरस का परिवार पॉक्सविरेडे परिवार से संबंध रखता है. शोधकर्ताओं का यह मानना है कि यह वायरस चूहों, गिलहरियों, बुश मीट, गेम पिया पाउच वाले चूहे में पाया जाता है.
सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनें
हालांकि अभी भी इस पर शोध जारी है लेकिन प्राथमिक रूप से यह इन्हीं जानवरों की प्रजातियों में पाया जाता है. वैसे देखा जाए तो यह बीमारी आसानी से फैलती है. इसका संक्रमण दर भी काफी तेज है, इसीलिए यदि किसी व्यक्ति को मंकीपॉक्स हो तो उससे 2 गज दूरी बनाए रखें और मास्क अवश्य पहनें.
ये हैं बीमारी के लक्षण
डॉ. सुरेश कुमार बताते हैं कि यह संक्रमण आमतौर पर 5 से 13 दिनों तक रहता है लेकिन इसकी अवधि 5 से 21 दिनों तक की भी हो सकती. यदि हम इसके लक्षणों की बात करें तो बुखार आना, तेज सिर दर्द होना, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी महसूस करना, लिंफ नोड्स की सूजन माने जाते हैं. इसके साथ ही मंकीपॉक्स में स्किन रैशेज की समस्या भी होती है और चेहरे और हाथ पांव पर ब्लिस्टर्स आने लगते हैं. इसमें चेहरे और हाथ के लिए और पैरों के तलवे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
आसपास रखें साफ-सफाई
हालांकि, इस बीमारी का कोई प्रमाणिक इलाज नहीं पाया गया है. डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि इस बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें. अपने आसपास साफ-सफाई यानि हाइजीन वाला वातावरण बनाए रखें. और साथ ही संक्रमित व्यक्ति से बहुत दूर रहें.
भारत में चिंता का विषय नहीं मंकीपॉक्स
डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि अब तक इस बीमारी में भारत में दस्तक नहीं दी है इसलिए फिलहाल हमारे लिए चिंता का विषय नहीं है, लेकिन जरूरी है कि हम अपने खान-पान और सफाई का ध्यान रखें.