विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि प्राचीन बीमारियां हैं, जो दुनिया के लिए बड़ा खतरा बनी हुई है. जैसे- खसरा (Measles). यह बीमारी दुनिया के हर इलाके के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. पिछले साल दुनिया में करीब 4 करोड़ बच्चों ने कम से कम खसरा का एक टीका नहीं लगवाया. या छूट गया. खसरा एक वायरल रेस्पिरेटरी बीमारी है. इसका संक्रमण कोविड जैसा होता है. जो एक इंसान से दूसरे में हवा के जरिए फैलता है.
खसरा के संक्रमण में शरीर पर चक्कत्ते आते हैं. इसके अलावा बुखार आता है. गंभीर स्थिति होने पर इंसेफलाइटिस यानी दिमाग में सूजन, दृष्टिहीनता और निमोनिया हो सकता है. दुनिया में हर साल 90 लाख मामले सामने आते हैं. करीब 1.28 लाख की मौत हो जाती है. खसरा की वैक्सीन अकेले या फिर किसी अन्य वैक्सीन के साथ लगाई जा सकती है. आमतौर पर यह मम्पस और रुबेला के साथ मिलाकर MMR के रूप में लगाई जाती है.
ज्यादातर देशों में खसरा के दो टीके लगाए जाते हैं. पहला टीका बच्चे को तब दिया जाता है जब वह एक साल का होता है. दूसरी डोज चार साल की उम्र में. यह वैक्सीन लंबे समय तक खसरे से बच्चों को बचाती है. वैक्सीन से 99 फीसदी सुरक्षा मिलती है. WHO ने कहा कि विकासशील देशों में वैक्सीन लगाने की दर कम है. इसलिए वहां हर दस में से एक बच्चे की मौत खसरे की वजह से हो जाती है.
युद्धक्षेत्रों और रेफ्यूजी इलाकों में यह समस्या ज्यादा होती है. क्योंकि वहां पर पोषण का दर भी कम है. ऐसी जगहों पर मृत्युदर बढ़ने का खतरा भी रहता है. इस समय यह खतरा Ukraine में ज्यादा है. दुनियाभर में दो डोज सिर्फ 71 फीसदी लग पाती है. जबकि एक डोज 81 फीसदी. इंग्लैंड में 2021-22 में सिर्फ 89 फीसदी बच्चों को खसरे का एक ही टीका लग पाया है. अगर बच्चे खसरे की बीमारी से बच भी जाते हैं तो उन्हें लंबे समय तक इम्यून एमनेसिया से जूझना पड़ता है.
Ancient Pathogen Is 'Imminent Threat' in Every Part of The World, WHO Warns https://t.co/lLhLleZ10f
— ScienceAlert (@ScienceAlert) December 7, 2022
दुनिया भर में खसरे के माइल्ड केस की वजह से वैक्सीन न लगवाने वाले बच्चों के शरीर में 33 फीसदी एंटीबॉडीज कम हो जाती हैं. कई देशों में एंटी-वैक्सीन प्रोटेस्ट की वजह से भी दिक्कत होती है. जैसे एंड्र्यू वेकफील्ड का दावा है कि MMR से ऑटिज्म होता है. लेकिन ये गलत है. वैक्सीन से कोई नुकसान नहीं है.