देश में कोरोना वायरस के बाद अब जीका वायरस ने खतरे की घंटी बजा दी है. कर्नाटक के रायचूर में जीका वायरस का पहला मामला सामने आया है. पांच साल की एक बच्ची में जीका वायरस की पुष्टि हुई है. इसके बाद से जीका वायरस को लेकर लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं. लेकिन सरकार का कहना है कि वह इससे निपटने को लेकर हरसंभव कदम उठाने जा रही है.
गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को इससे अधिक बचाव की जरूरत है. एडीज मच्छर के काटने से जीका वायरस शरीर में प्रवेश करता है और गर्भ में पल रहे बच्चे को माइक्रोसेफेली रोग का शिकार बना देता है.
क्या है जीका वायरस?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, जीका वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. एडीज मच्छरों के काटने से ही डेंगू, चिकनगुनिया और येलो फीवर भी फैलता है. ये तीनों वायरस लगभग एक जैसे ही हैं. इन तीनों के फैलने की शुरुआत पश्चिम, मध्य अफ्रीका और दक्षिणपूर्व एशिया से हुई. जीका वायरस गर्भवती महिला से गर्भ मे पल रहे बच्चे में फैलता है.
संक्रमित लोगों को जानकारी नहीं
याप आइलैंड पर फैले जीका के बाद हुई एक रिसर्च से पता चला था कि जीका से संक्रमित 80 फीसदी लोगों को पता ही नहीं था कि वे इस वायरस से संक्रमित हैं. उनमें जीका के किसी तरह के लक्षण भी देखने को नहीं मिले. कुछ ही लोगों को बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और सिर दर्द जैसी समस्याएं से दो-चार होना पड़ा था. इसके बाद की स्टडी से यह साफ हो गया था कि चूंकि इसके लक्षण बेहद आम हैं इसलिए लोगों को इल्म ही नहीं होता कि वे इस वायरस की चपेट में आ गए हैं.
वहीं, फ्रांस के पोलिनेसिया में जीका फैलने के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि जीका गुइलेन-बर्र सिंड्रोम से जुड़ा हुआ है, जो कि घातक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है.
जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस के लक्षण बेहद आम हैं. इनमें शरीर पर लाल चिकत्ते पड़ना, बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और सिर में दर्द शामिल है. जीका वायरस से संक्रमित ज्यादातर लोगों में इसके लक्षण नहीं मिलते.
जीका से बचाव
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, जीका की कोई वैक्सीन या कोई इलाज नहीं है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीका से संक्रमित होने के बाद पर्याप्त मात्रा में आराम और लगातार पानी पीते रहना बहुत जरूरी है. अधिक मात्रा में पानी पीने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है और आराम करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है.
इससे संक्रमित होने पर लक्षणों और इलाज के बारे में जागरूकता जरूरी है. अधिकांश लोगों में जीका एक हल्का संक्रमण है. इसमें सामान्य लक्षणों में बुखार, दाने, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, लाल आंखें और मांसपेशियों में दर्द शामिल है. इन लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर्स दवा प्रिस्क्राइब करते हैं. यह महत्वपूर्ण है कि ली गई किसी भी दवा को डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब जरूर होना चाहिए, आप अपनी मर्जी से कोई दवा न लें. इसके साथ ही भरपूर आराम, पानी और हल्का आहार भी ठीक होने में मदद करता है. डॉक्टर कई तरह की दवाओं से बचने की सलाह भी देते हैं.
चूंकि, जीका मच्छरों से फैलता है इसलिए जीका से बचने के लिए मच्छरों से बचना बहुत जरूरी है. मच्छर स्प्रे को छिड़कना बेहद सहायक हो सकता है. इस वायरस से सबसे ज्यादा खतरा गर्भवती महिलाओं को है, क्योंकि वह जीका वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा आती हैं. जीका वायरस अगर गर्भवती महिला के भ्रूण में फैला तो इससे अजन्मे बच्चे में मास्तिष्क दोष पैदा हो सकता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को विशेष तौर पर सावधानी बरतनी चाहिए.
जीका का इतिहास
जीका वायरस का पहला मामला 1947 में युगांडा में सामने आया था. उस समय बंदरों में जीका की पुष्टि हुई थी. इंसानों में जीका का पहला मामला 1952 में सामने आया था. जीका वायरस का प्रकोप बड़े पैमाने पर 2007 में याप आइलैंड में देखने को मिला था. इसके बाद 2013-2014 में फ्रांस के पोलिनिसिया में जीका संक्रमण ने तबाही मचाई थी. इसके अगले साल ब्राजील में जीका खूब फैला. अक्टूबर 2015 से जनवरी 2016 के बीच ब्राजील में लगभग 4,000 बच्चे जीका वायरस के साथ पैदा हुए थे.