देश के कई राज्यों में जीका वायरस की मौजूदगी की पुष्टि के बाद से एक हड़कंप की स्थिति बन गई है. विशेषज्ञ इससे घबराने से ज्यादा जागरूकता और सावधानी बरतने पर जोर दे रहे हैं. आइए जानते हैं भारत में जीका वायरस को लेकर क्या सचमुच डरने की जरूरत है, अभी किस तरह का खतरा है.
भारत में जीका वायरस धीरे-धीरे फैल रहा है. पिछले साल इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के एक अध्ययन में 1,475 नमूनों में 64 मामले पाए गए थे. अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश, केरल, तेलंगाना, झारखंड, राजस्थान, पंजाब और दिल्ली में जीका वायरस की उपस्थिति की पुष्टि हुई है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि अधिक जागरूकता और सावधानी बरतने की जरूरत है.
दिल्ली की संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकिता बैद्य ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि चाहे कोई भी बीमारी हो. सबसे पहले इससे बचाव इसका रास्ता है. जीका ज्यादातर संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. ये मच्छर दिन और रात दोनों समय काटते हैं. विशेषज्ञ मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने की सलाह देते हैं, जो आमतौर पर रुके हुए पानी में होता है. पानी जमा होने से रोकने के अलावा मच्छरों से बचने के लिए घरों में स्क्रीन लगानी चाहिए. बाहर निकलते समय, ऐसे कपड़े पहनना बेहतर होता है जो पैरों और बाहों को पर्याप्त रूप से ढकते हों.
एक अच्छा कीट विकर्षक सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत हो सकता है. ऐसा भी कई रिपोर्ट्स में आया है कि जीका संक्रमित व्यक्ति के साथ सेक्स करने से भी फैल सकता है; विशेषज्ञ सुरक्षित रहने के लिए कंडोम का उपयोग करने की सलाह देते हैं.
संक्रमित होने पर लक्षणों और उपचार के बारे में जागरूकता जरूरी है. अधिकांश के लिए, जीका एक हल्का संक्रमण है. इसमें सामान्य लक्षणों में बुखार, दाने, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, लाल आंखें और मांसपेशियों में दर्द शामिल है. इन लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर्स दवा प्रिस्क्राइब करते हैं. यह महत्वपूर्ण है कि ली गई किसी भी दवा को डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब जरूर होना चाहिए, आप अपनी मर्जी से कोई दवा न लें. इसके साथ ही भरपूर आराम, पानी और हल्का आहार भी ठीक होने में मदद करता है. डॉक्टर कई तरह की दवाओं से बचने की सलाह भी देते हैं.
बता दें कि जीका वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है. यह मां से बच्चे में फैल सकता है और जन्म दोष, गर्भपात और मृत बच्चे की जन्म का कारण बन सकता है. माताओं को मच्छरों के काटने से सुरक्षित रखने के कदमों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि अभी भी इस बीमारी का कोई ज्ञात इलाज नहीं है.
उम्मीद है कि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने कहा है कि उसका जीका वायरस वैक्सीन जल्द ही दूसरे चरण के ह्यूमन डायग्नोस्टिक टेस्ट में प्रवेश करने के लिए तैयार है. यह तरीका सफल हुआ तो ज़ीका से सुरक्षित रहने का एक अधिक गारंटीकृत तरीका होगा. तब तक, मच्छरों को खत्म करना और उनके संपर्क को कम करना सबसे अच्छा कदम है.