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१७ साल की झांसी की बेटी वंशिका मिश्रा ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, बनी झांसी की पहली समकालीन साहित्य की किताब "योसावा-द प्रिंसेस ऑफ मून एंड द वॉरियर ऑफ मार्स की बेस्टसेलिंग ऑथर

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वंशिका मिश्रा बनी झाँसी की सबसे कम उम्र की कंटेम्पररी बेस्टसेलिंग ऑथर | पाठको का कहना है की कहानी शुरू से अंत तक उन्हें बाँधे रखने की क्षमता रखती है।

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • वंशिका मिश्रा बनी झाँसी की सबसे कम उम्र की कंटेम्पररी बेस्टसेलिंग ऑथर
  • योसावा किताब ने अमेज़न किंडल पर बेस्टसेलर्स में #१ स्थान पर
  • वंशिका मिश्रा को नेशन प्राइड अवार्ड से सम्मानित किया गया है

२ अगस्त , २०२२ का दिन युवा लेखिका वंशिका मिश्रा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित हुआ। योसावा जैसी मनोरम किताब लिखने में उन्होंने जितनी मेहनत करी थी, वो रंग लायी। योसावा किताब ने अमेज़न किंडल पर बेस्टसेलर्स में #१ पर पहुँच कर एक नया रिकॉर्ड बनाया। १७ साल की वंशिका मिश्रा झाँसी की एकलौती कंटेम्पररी बेस्टसेलिंग ऑथर बन गयीं। किंडल हॉट नई रिलीसेस में भी योसावा ही #१ पर कब्ज़ा ज़माने में कामयाब हुई। अमेज़न मूवरस एंड शेकर्स लिस्ट में भी ये किताब विश्व के तमाम नामी गिरामी लेखकों की किताबों के बीच लिस्ट हुई - जो किसी भी युवा के एक बहुत ही बड़ी अप्रत्याशित अचीवमेंट है।

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वंशिका मिश्रा बनी झाँसी की सबसे कम उम्र की कंटेम्पररी बेस्टसेलिंग ऑथर
सपने पूरे होते हैं तो ख़ुशी सभी को होती है, और वंशिका प्रसन्नता पूर्वक कहती हैं की उन्होंने तो कल्पना भी नहीं करी थी की उनकी पहली ही किताब इतनी जल्दी बेस्टसेलर बन जाएगी। उन्होंने बताया की ये किताब लिखने की प्रेरणा उन्हें अपनी माँ डॉ. सीमा शुक्ल मिश्रा से मिली।

लोगों नें इस पुस्तक को पढ़ कर इसकी बहुत प्रशंसा करी। पाठको का कहना है की कहानी शुरू से अंत तक उन्हें बाँधे रखने की क्षमता रखती है। १७ वर्ष की आयु में किताब लिखना अपने आप में ही एक बड़ी बात है। वंशिका मिश्रा को अपने इस हॉरर फिक्शन उपन्यास के लिए नेशन प्राइड अवार्ड से सम्मानित भी किया गया है।


सितारों व सुप्रसिद्ध पर्सनालिटीज ने करी तारीफ़

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साथ निभाना साथिया टीवी सीरियल में सुप्रसिद्ध उर्मिला बेन का किरदार निभाने वाली मंझी हुई अदाकारा वंदना विट्ठलानी नें हाल में ही इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया जिसमे उन्होंने वंशिका मिश्रा की खूब तारीफ़ करते हुए योसावा के बारे में दर्शकों को अवगत कराया। उन्होंने बताया की वंशिका की फ्री फ्लोइंग राइटिंग की वो खुद फैन बन चुकी हैं। आने वाले समय में वंशिका जैसे युवा लेखिका ही भारतीय साहित्य का गौरव प्रैक्टिकल तौर पर बरकार रखने में सक्षम हैं।

 

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