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साहित्य और कला जगत के इन चेहरों से गुलज़ार हुआ 'साहित्य आजतक'

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आइए, विस्तार से देखते हैं कि साहित्य आजतक के तीन दिनों में क्या-क्या हुआ.

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दिल्ली में पिछले हफ़्ते 18 से लेकर 20 नवंबर तक मेजर ध्यानचंद नैशनल स्टेडियम में साहित्य आजतक महोत्सव आयोजित किया गया. साहित्य की दुनिया को एक ही मंच पर लाने वाला यह महोत्सव कई मायनों में खास रहा, जहां सिर्फ़ साहित्य की दुनिया ही नहीं, बल्कि संगीत, बॉलीवुड, कला, समाजसेवा जैसे क्षेत्रों से जुड़ी मशहूर शख्सियतों ने साहित्य आजतक के मंच को रौशन किया. इस महोत्सव को तीन दिन के लिए आयोजित किया गया था, जहां हर दिन, तीन मंचों पर अलग-अलग क्षेत्र से जुड़ी शख्सियतों ने अपने अनुभवों और कला से दर्शकों को प्रेरित किया. आइए, विस्तार से देखते हैं कि साहित्य आजतक के तीन दिनों में क्या-क्या हुआ.

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पहला दिन: साहित्य आजतक की हुई ज़ोरदार शुरुआत
रजनीगंधा द्वारा प्रस्तुत साहित्य आजतक के पहले दिन की शुरुआत इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने मंच पर मौजूद रहकर की. उन्होंने इस दौरान कहा कि 'साहित्य आजतक' भारत की संस्कृति और कला का जश्न है. इसके साथ ही, पहले दिन संगीत जगत के जाने-माने नाम कुतले खान, साधो बैंड, असीस कौर, सुरेंद्र-सौम्यजीत ने अपने जादुई संगीत ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. साथ ही, बॉलीवुड की मशहूर शख्सियतों जैसे दीप्ति नवल और दिव्या दत्ता ने भी साहित्य आजतक के मंच से दर्शकों के साथ अपने अनुभव साझा किए. वहीं इस मंच पर नॉबेल शांति पुरस्कार के विजेता और बचपन बचाओं आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी ने भी अपने अनुभव साझा किए. पहले दिन साहित्य आजतक के मंच पर साहित्यकारों ने भी रुख किया, जिनमें हरीश भिमानी, यतिंद्र मिश्रा, संजीवनी भेलांडे, अश्विन सांघी, नसीरा शर्मा, अब्दुल बिसमिल्लाह, भगवानदास मोरवाला, व्योमकेश शुक्ला, गीत चतुर्वेदी, उर्मिला शिरीश, चिन्मयी त्रिपाठी, जॉयल मुखर्जी, मृदुला गर्ग, मैत्रेयी पुष्पा, डॉ. बुद्धिनाथ मिश्रा, डॉ. विष्णु सक्सेना, अनामिका जैन अंबर, सोनरूपा विशाल, पंकज शर्मा, माल्विका हरीओम शामिल थे. 

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दूसरा दिन: साहित्य आजतक ने बिखेरे रंग
साहित्य आजतक महोत्सव के दूसरे दिन की शुरुआत मशहूर गायक और सांसद हंस राज हंस की मनमोहक गायकी से हुई. उन्होंने दिन की शुरुआत में ही माहौल में रंग बिखेर दिए थे. इसके बाद, मशहूर कवियों और साहित्यकारों ने अपनी कला से दर्शकों का दिल जीत लिया. इनमें मशहूर कवि कुमार विश्वास, लेखक चेतन भगत, लेखक कौसर मुनीर, अल्का सरावगी, ऋषिकेश सुलभ, मधु कनकरिया, पत्रकार और लेखक शिव अरूर, पत्रकार और लेखक गौरव सावंत, लेखक तनवीर गाज़ी, लेखक आलोक श्रीवास्तव, लेखक रितेश रजवाड़ा, सुरेंद्र मोहन पाठक, लेखक और सांसद महुआ माजी जैसी मशहूर शख्सियतें शामिल थीं. जिन्होंने अलग-अलग मंचों से अपनी रचनाओं और कला से साहित्य आजतक के दूसरे दिन को बेहद ही खास बना दिया. इसके साथ ही, बॉलीवुड और सिनेमा जगत के जाने-माने चेहरे जैसे संगीतकार प्रसून जोशी, अभिनेता कबीर बेदी, सवानंद किरकिरे, अभिनेता और सांसद मनोज तिवारी ने भी साहित्य आजतक के मंच पर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई. साहित्य आजतक के दूसरे दिन बिस्मिल बैंड, गायक आकांक्षा ग्रोवर, गायक प्रिया मलिक, गायक कशिश मित्तल ने सुरों की ऐसी महफ़िल जमाई कि दर्शक थिरकते नज़र आए.  

तीसरा दिन: हास्य, सुरों, और साहित्य का संगम
तीसरे दिन की शुरुआत सुरों की महफ़िल से हुई, जहां मशहूर गायिका अफ़साना खान ने अपने सुरीले अंदाज़ से दर्शकों का मन मोह लिया. इसके साथ ही, मशहूर गायक बी प्राक ने भी अपनी कला से ज़रिए साहित आजतक के मंच को सुरों से सजा दिया. इसके साथ ही, दिवंगत कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि देते हुए एक कार्यक्रम का मंचन भी किया गया, जिसमें मशहूर कॉमेडियन सुनील पाल, एहसान कुरैशी, नवीन प्रभाकर, सुरेश अल्बेला ने हंसी की महफ़िल लगाकर राजू श्रीवास्तव को याद किया. कॉमेडी के इस सफ़र को कॉमेडियन ज़ाकिर खान और कलाकार भुवन बाम ने भी अलग-अलग मंचों पर जारी रखा. साहित्य जगत से जुड़े कई लेखक और साहित्यकारों ने भी साहित्य आजतक के मंच पर अपनी रचनाएं पेश की, जिनमें आनंद नीलकंठन, दीक्षा द्विवेदी, स्वप्निल पांडे, नेहा द्विवेदी, डॉ. सूर्यबाला, ममता कालिया, उषा किरण खान, अशोक वाजपेयी, अनामिका, अरुण कमल के साथ-साथ मशहूर शायरों और कवियों जैसे वसीम बरेलवी, शीन काफ़ निज़ाम, नवाज़ देवबंदी, राजेश रेड्डी, आलोक श्रीवास्तव, सतलज राहत, शिखा अवधेश, कुमार विश्वास भी शामिल रहे. साहित्य आजतक के मंच पर निर्देशक और प्रोड्यूसर राकेश ओमप्रकाश मेहरा, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, प्रोफेसर ऊषा प्रियंवदा, प्रोफेसर संगीत कुमार रागी, लेखक अजय सिंह ने भी अपने अनुभव और कला के ज़रिए दर्शकों को प्रेरित किया. 

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कुल मिलाकर साहित्य आजतक के तीन दिन चले इस महोत्सव ने साहित्य जगत से लेकर कला जगत को एक मंच पर उतार दिया. साहित्य आजतक में शरीख हुई शख्सियतों ने अपनी कला और अनुभवों से इस महोत्सव को ऐसे कई यादगार पल दिए, जिनका जश्न हमेशा मनाया जाता रहेगा. 

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