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यह दिल दा नहीं जिस्म का मामला है

पोर्नोग्राफी, प्री-टीन सेक्स, बीवियों की अदला-बदली. भारत के छोटे शहर भी इस नए तरह के अनुभव लेने में जरा भी हिच• नहीं दिखा रहे. अब इस बदलाव के केंद्र में हैं औरतें.

अपडेटेड 19 दिसंबर , 2012

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद का उपनगरीय इलाका गोविंदपुर फाफामऊ पुल के दूसरी ओर पड़ता है. आम दिनों में यहां की संकरी गलियां रिक्शा, थ्री व्हीलर, आवारा जानवरों, बच्चों, धूल और कंकड़-पत्थर से भरी नजर आती हैं. सड़क किनारे मर्दों को बेशर्मी से पेशाब करते देखा जा सकता है. महिलाएं पेटीकोट, पाजामा और सस्ते कास्मेटिक्स से भरे स्टॉलों पर अपनी जरूरत का सामान उलटती-पलटती दिखती हैं. सरकारी अधिकारियों और छोटे कारोबारियों की इस कालोनी में लोग शाम छह बजे काम से लौटते हैं और रात 9 बजे तक बिस्तर में दुबक जाते हैं. लाइट ऑफ करने के बाद वे क्या करते हैं? चुप्प...सेक्स ऐसी चीज है जिस पर वे खुल्लमखुल्ला बात नहीं करते.

इस साल इंडिया टुडे-नीलसन के 10वें सेक्स सर्वे ने देश के छोटे शहरों की लव लाइफ पर से परदा हटाया है. अगर कोई सोचता है कि यौन वर्जनाओं और प्रतिबंधों की ऐसी तस्वीर देखने को मिलेगी, जहां युवा प्रेमियों को हर वैलंटाइन डे पर नियमित रूप से प्रताडऩा सहनी पड़ती है तो यह सर्वे उन्हें नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर देगा. भारत के छोटे शहर अब खुल रहे हैं. और बदलाव की इस कहानी के केंद्र में मर्द नहीं हैं.Sex

जिन चार महानगर और 12 छोटे शहरों में यह सर्वे किया गया उनमें यौन फैंटेसी, नैन सुख लूटने (वॉयरिज़्म) और सेक्स से भावनाओं को अलग रखने के मामले में राजस्थान का कोटा शीर्ष पर है. महाराष्ट्र का कोल्हापुर पोर्नोग्राफी के मजे, सबसे ज्यादा चरम सुख हासिल करने और किशोरावस्था से पहले यौन संबंधों का अनुभव लेने में अव्वल है. गुजरात का जामनगर ब्लाइंड डेट, हस्तमैथुन और मुख मैथुन के मामले में सबसे आगे है. मिजोरम के आइजॉल के लोग सबसे ज्यादा प्यार में पड़ते हैं और शादी से पहले यौन गतिविधियों के मामले में सबसे आगे हैं. केरल के कोट्टायम में विवाहेतर संबंधों में सबसे उदार रवैया अपनाया जाता है और यौन शक्ति बढ़ाने वाले साधनों के इस्तेमाल में भी आगे है यह शहर. उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद सगे-संबंधियों से यौनाचार के प्रति जागरूकता के मामले में अव्वल है. मध्य प्रदेश के रतलाम के लोग अपने पार्टनर को कपड़े उतारता देख उत्तेजना प्राप्त करने के मामले में शीर्ष पर हैं. तमिलनाडु में सेलम के लोग पार्टनर की तलाश के लिए सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और सेक्स को टालने के लिए सिरदर्द का बहाना बनाने में भी सबसे आगे हैं. आंध्र प्रदेश के गुंटूरवासी वन नाइट स्टैंड के लिए हां कहने के मामले में शीर्ष पर हैं. वहीं पत्नियों की अदला-बदली (वाइफ स्वापिंग) को स्वीकार्य एडल्ट गेम मानने को लेकर पश्चिम बंगाल के आसनसोल को सबसे ज्यादा नंबर मिले हैं.Sex

गोविंदपुर की सड़कों से गुजरती जींस और टी-शर्ट पहने एक युवा महिला के बारे में सोचिए. लोगों को नजरें उसकी हाइ हील से लेकर पार्लर में बनवाए गए स्ट्रेट बालों पर एकदम घूम जाती है. चलिए उन्हें मिस एक्स बुला लेते हैं. यह 28 वर्षीया मार्केटिंग प्रोफेशनल सात साल पहले बेहतर मौकों की तलाश के लिए यह शहर छोड़ महानगरों की ओर कूच कर गई थीं. एक मां जैसी प्रौढ़ महिला अचरज के साथ उसका स्वागत करती हैं. महानगर मुंबई में इस कालोनी में रहने वाली लड़की के साथ कैसा व्यवहार होता है? क्या उसे कोई मर्द मिला? ‘‘चाहे कहीं भी पहुंच जाए, रह तो गई अकेली ही.’’

मिस एक्स वहां खड़े होकर सोचने लगती है कि यह वही महिला है जो हमेशा अपने बेडरूम के अंदर के अपने व्यवहार के बारे में डींगें हांकती रहती थी. वे बतातीं, ‘‘अपने 30 वर्ष के विवाहित जीवन में मैंने भी भी सेक्स के लिए पहल नहीं की.’’ मिस एक्स आह भरते हुए कहती है, ‘‘यहां कुछ नहीं बदला है.’’ बाकी के महानगरों की तरह उन्हें छोटे शहरों में सेक्स को लेकर एक बार फिर सोचने की जरूरत है. गोविंदपुर बदल रहा है. अब सड़कों पर बजाज चेतक स्कूटर और मारुति आल्टो कारें नजर आने लगी हैं. एकदम नए शॉपिंग कांम्प्लेक्स ने इस पुराने फैशन वाली जगह और महिलाओं के परिधानों में शहरी आधुनिकता का तड़का लगाया है: लड़कियों के लिए दुपट्टा अब तहजीब का प्रतीक है तो जींस की पेंट भी बूते से बाहर की बात नहीं रही.

भारत में पहली बार दूसरे और तीसरे दर्जे के शहर बढ़ रही डिमांड का नेतृत्व कर रहे हैं और वहां महानगरों जैसी शॉपिंग होने लगी है. नए-नए ब्रांड आ रहे हैं, नए उद्यमी मॉल खोल रहे हैं और मल्टीप्लेक्सेस नई-नई फिल्में दिखा रहे हैं. पर्सनल ग्रूमिंग से लेकर हेल्दी फूड तक, लाइफस्टाइल पर खर्च करना नया मंत्र है. छोटे शहर जिस तरह से अपने पर्स का मुंह खोल रहे हैं उसी तरह अपनी दबी-ढकी यौनेच्छाओं को भी.

मिस एक्स यह सुन-सुनकर बड़ी हुई हैं कि ‘लड़का बहुत जरूरी है.’ इस कालोनी में यही एकमात्र ऐसा परिवार था जिसमें दो बेटियां थीं. ट्रेड यूनियन नेता पिता और टीचर मां की यह बेटी कालोनी  की एकमात्र ऐसी लड़की थी जिसकी लड़कों से दोस्ती थी. उन्होंने कहा, ‘‘कोई और लड़की ऐसा नहीं करती थी. लड़कियां छुपकर आस-पास के लड़को से बात करने या प्रेम पत्रों को देने-लेने के लिए कभी-कभार छत पर जाया करती थीं. लेकिन वे खुले में कभी भी लड़कों से बात नहीं करती थीं.’’Sex

लेकिन अब लगता है कि वह सामाजिक बंदिश अतीत की बात हो गई है. छोटे शहरों की 67 फीसदी औरतों ने मर्दों को चूमने की बात मानी है. 74 फीसदी औरतों ने 12 से 21 वर्ष की उम्र में पहले चुंबन का स्वाद चखा. तो 18 फीसदी यह भी मानती हैं कि यह कोई प्यार या रोमांटिक भावना प्रदर्शित करने के लिए नहीं था. मिस एक्स को पहली बार अपने ही कालेज के 19 वर्षीय लड़के से प्यार हो गया था. वे बताती हैं, ‘‘यह पूरी तरह से भावावेश पर आधारित था और लंबे समय तक नहीं चल पाया.’’ उन्हें  इस बात का एहसास भी हो गया कि वे अपने जीवन-साथी में जिस गुण की सबसे ज्यादा चाहत रखती हैं, वह उस लड़के में है ही नहीं: दिमाग. उनका सोचना था कि वह दुर्लभ है. हालांकि अब सात साल बाद उनकी यह धारणा बदल गई है.

सर्वेक्षण में शामिल 21 फीसदी औरतों का दावा है कि वे ‘‘पुरुषों के साथ डेट पर गई हैं’’—इनमें से 40 फीसदी का कहना है कि उन्होंने एक से ज्यादा मर्दों को साथ डेटिंग की है. क्या डेटिंग गहरे अंतरंग संबंधों में बदलती है? जी हां. करीब 19 फीसदी महिलाओं का कहना है कि उन्होंने यौन संबंधों का पहला अनुभव किशोरावस्था में ही लिया है जबकि दो फीसदी तो इससे भी पहले ऐसे अनुभव लेने की बात मानती हैं. वे अपने पार्टनर में क्या ढूंढ़ती हैं? 51 फीसदी से ज्यादा औरतें ‘ईमानदारी और निष्ठा’ जैसे प्रशंसनीय गुणों की तलाश करती हैं लेकिन 64 फीसदी आखिरकार अपने साथी के ‘सौंदर्य’ पर ही लट्टू हो जाती हैं.

मिस एक्स को तो अपने सपनों का राजकुमार नहीं मिल पाया, लेकिन सर्वे में शामिल 67 फीसदी औरतों ने दावा किया कि उन्हें ‘आदर्श’ सेक्स पार्टनर मिल चुका है यानी पति (मिक्स एक्स का कहना है, ‘अच्छा’). करीब 42 फीसदी हफ्ते में तीन बार सेक्स करती हैं, 38 फीसदी ‘हमेशा’ या ‘ज्यादातर’ चरम-सुख तक पहुंचती हैं और 52 फीसदी ‘संतुष्ट’ महसूस करती हैं.

लेकिन मिस एक्स कहती हैं, ‘‘क्या उन्हें संतुष्टि का मतलब भी पता है? ज्यादातर को लिए सेक्स पांच मिनट का खेल होता है और यह लाइट बंद होने के साथ शुरू होता है. औरतें हर समय यही बात करती रहती हैं कि पति उन्हें डांटते रहते हैं, उन पर चिल्लाते रहते हैं या उनका मजाक उड़ाते हैं.’’Sex

छोटे शहरों की यह बदलती तस्वीर हकीकत है या अफसाना? दिलचस्पी भरा सेक्स मर्दों की चीज है? क्या औरतें वाकई खुद का आनंद ले रही हैं? पुराने फैशन वाले कपड़े पहने सेक्स करने की संस्कृति और परंपरागत शादी के बीच फंसी औरतें वास्तव में खुद आनंद ले पा रही हैं? वे लगातार महानगरों की औरतों के मुकाबले कम संतुष्ट क्यों रहती हैं-सामाजिक जीवन से लेकर भावनात्मक जीवन तक? और क्यों छोटे शहर की ‘कुंआरियां’ अपना ‘कौमार्य गंवा चुकी’ औरतों के मुकाबले जीवन से ज्यादा संतुष्ट होने की बात कहती हैं?  

ऐसे समय में जब भारतीय मेट्रो शहर संबंधों की संस्कृति का जश्न मना रहे हैं, छोटे शहरों में शरीर दिल से ज्यादा मायने रखता है. लंबे समय से छोटे शहरों के प्रेम की बुनियाद रहे ‘अरेंज्ड लव’ की जगह अब सेक्स और रोमांच ने हथिया ली है. जल्द ही मिस एक्स की अच्छी लड़की/बुरी लड़की का द्वंद्व महिलाओं की आने वाली पीढ़ी के लिए खुद की अभिव्यक्ति का एक जरिया बन जाएगा.