scorecardresearch

ढहने लगा कांडा का किला

गीतिका शर्मा की खुदकुशी से उपजा विवाद आसमान में उड़ते नेता गोपाल कांडा को धरती पर ले आया है.

अपडेटेड 12 अगस्त , 2012

हरियाणा के भड़कीले और अमीर गृह (राज्‍य) मंत्री जब 5 अगस्त को रविवार की सुबह अपने सिरसा स्थित आलीशान घर में आराम कर रहे थे तभी उन्हें यह खबर मिली. उनकी सबसे चहेती 23 वर्षीया एयरहॉस्टेस गीतिका शर्मा ने खुदकुशी कर ली है. 

जब टीवी चैनलों ने यह खबर चलानी शुरू की कि दिल्ली पुलिस ने उन्हें नौजवान महिला को आत्महत्या करने को मजबूर करने का आरोपी बनाया है तो 46 वर्षीय गोपाल गोयल कांडा के लिए यह उनके जीवन का सबसे बड़ा दुःस्वप्न साबित हुआ. गीतिका ने दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने पिता के निवास पर खुद को पंखे से लटका लिया. उसने अपने दो पन्नों के सुसाइड नोट में इसके लिए कांडा और उनकी साथी अरुणा चड्ढा को जिम्मेदार ठहराया. चड्ढा को 8 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि पुलिस तमाम छापेमारी के बावजूद 10 अगस्त तक कांडा पुलिस की गिरफ्त से बाहर थे.

गीतिका ने कांडा की निष्क्रिय पड़ी एमडीएलआर (मुरलीधर लखराम) के साथ उड़ान भरी थी. कांडा की राजनीति और कारोबार में जबरदस्त छलांग हरियाणा में उनके साथियों को चक्कर में डालने के लिए काफी थी. सिरसा के सम्मानित वकील मुरलीधर लखराम के बेटे कांडा ने हिसारिया बाजार में ग्लोरियस शूज नाम की जूतों की एक दुकान शुरू करने के लिए स्कूल छोड़ दिया था. उनके पुराने परिचित बताते हैं कि वे अकसर ''हवाई चप्पल से शुरू करके हवाई जहाज उड़ाने तक'' का ख्वाब देखा करते थे.Gopal Kanda

वे ठीक यही करने भी जा रहे थे. मार्च, 2007 में उन्होंने भारत की पहली पूर्णतः शाकाहारी एअरलाइंस एमडीएलआर शुरू की. एअरलाइंस चलाने के बढ़ते हुए खचोर्ं के बावजूद उनकी एमडीएलआर तीन साल से कुछ कम समय तक चली. एयरलाइंस तो बंद हो गई लेकिन कांडा का जिंदादिल गीतिका शर्मा से परिचय हो गया जो अभी एक किशोरी ही थी और एयरहॉस्टेस के रूप में अपनी पहली नौकरी कर रही थी.

असफल एयरलाइन कांडा के जादुई प्रभाव में खरोंच मात्र थी. कांडा एमडीएलआर समूह में चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. इस समूह के पास गुड़गांव स्थित पार्क प्लाजा होटल, एमडीएलआर ग्लोब मल्टीप्लेक्स-कम-शॉपिंग मॉल, एक लाख वर्ग फुट में फैला हुआ 60 करोड़ रु. का हांगकांग बाजार और गोवा स्थित 30 करोड़ रु. के कैसिनो रियो है. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, इसकी भविष्य की योजनाओं में मानेसर और गुड़गांव में तीन होटल और पालम विहार में एक महंगे रेसिडेंशियल कॉम्पलेक्स का निर्माण करना शामिल है.

कहा जाता है कि गुड़गांव में उनके शुरुआती दिनों में एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कांडा को जमीन और मकान के कारोबार में काफी लाभ पहुंचाया. अफसर उन दिनों हुडा (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) के मुखिया थे. '90 के दशक के अंत और नई सदी के पहले दशक की शुरुआत में गुड़गांव के भारत के सबसे तेजी से विकसित होते शहर के साथ ही कांडा की संपत्ति भी दिन-दूनी रात-चौगुनी रफ्तार से बढ़ी. उनके पड़ोसी सुरेश गोयल बताते हैं, ''2001 में सिरसा छोड़ने के एक साल बाद ही कांडा मर्सिडीज से घर आए.''

वर्ष 2000 में कारोबार से राजनीति की ओर बढ़ते हुए वे अपने बचपन के दोस्त और तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पुत्र अभय सिंह चौटाला से जुड़ गए. जल्द ही उनकी और उनके भाई गोबिंद की छवि बिल्ला (अभय) के खास आदमी की बन गई. एयरहॉस्टेस की खुदकुशी के मामले में कांडा के खिलाफ  कार्रवाई करने की मांग करते हुए ओम प्रकाश चौटाला ने कांडा के साथ किसी भी तरह के संबंधों से इनकार कर दिया. इंडियन नेशनल लोकदल (आइएनएलडी) के अध्यक्ष चौटाला ने बयान दिया, ''हमारे कांडा से कभी भी किसी तरह के कारोबारी या निजी ताल्लुकात नहीं रहे हैं.''

2005 के बाद जब चौटाला सत्ता से बाहर हो गए तब कांडा ने अपने आर्थिक साम्राज्‍य का उपयोग करते हुए कांग्रेसी नेताओं से दोस्ती कर ली. 2009 के चुनाव में उन्होंने सिरसा से विधायक पद की दावेदारी पेश की. जब आइएनएलडी और कांग्रेस, दोनों दलों के संभावितों की सूची में उनका नाम आया तो दोनों दलों ने उन्हें ठुकरा दिया. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हुए कांडा ने खुद को वैश्य समुदाय के होने के भावनात्मक मुद्दे के सहारे चुनाव जीत लिया. उनसे हारने वाले आइएनएलडी के पदम जैन कहते हैं, ''कांडा ने चुनाव में करोड़ों रु. खर्च किए और वोटरों को लुभाने के लिए सभी तिकड़मों का सहारा लिया.''

नब्बे सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के भूपिंदर सिंह 'ड्डा के मात्र 40 सीटों पर जीतने के बाद कांडा ने अपने अकूत धन और संपर्कों के सहारे 'ड्डा को दोबारा मुख्यमंत्री बनवाने के लिए जरूरी छह विधायकों को उनके पक्ष में लाकर

मौके का पूरा लाभ उठाया. लेकिन सभी अच्छे बिजनेस मैन की ही तरह उन्होंने लाभ में अपना हिस्सा लिया. वे गृह राज्‍य, शहरी स्थानीय निकाय, उद्योग और वाणिज्‍य मंत्रालय के मुखिया बने. ये सभी मंत्रालय गुड़गांव-मानेसर में उनके कारोबार में लाभ पहुंचाने वाले थे.

हुड्डा को कांडा के रूप में एक ऐसा व्यक्ति मिल गया जो चौटाला को उनके घर सिरसा में टक्कर दे सकता था. लेकिन जिन दबंग तौर-तरीकों से उन्होंने मुख्यमंत्री के दिल में अपनी जगह बनाई शायद उसी ने गीतिका के साथ उनके संबंधों को ग्रस लिया. दिल्ली में वित्त मंत्रालय में एकाउंटेंट अनुराधा शर्मा की बड़ी बेटी गीतिका को अक्तूबर, 2006 में एमडीएलआर में मात्र 17 साल की उम्र में केबिन क्रू के जूनियर ट्रेनी के रूप में नौकरी मिली.

खूबसूरत किशोरी गीतिका ने अशोक विहार के कुलाची हंसराज स्कूल से स्कूली शिक्षा ली थी और उस समय एयरहॉस्टेस एकेडमी से निकली ही थी. उस पर फिदा कांडा ने युवती को बहुत तेजी से तरक्की दी. 2009 तक एमडीएलआर के अपने शुरुआती चार वर्षों में गीतिका सबसे निचले पद से तरक्की पाकर कोऑर्डिनेटर बन गई. बताया जाता है कि वह अनपेक्षित रूप से 60,000 रु. की मोटी तनख्वाह घर लाने लगी. उसके पड़ोसी बताते हैं कि वह बीएमडब्ल्यू का इस्तेमाल करती थी.

लेकिन कहीं कोई गड़बड़ जरूर थी. गीतिका की मां अनुराधा बताती हैं,  ''उसके जीवन में कुछ गड़बड़ थी. जब भी कांडा का फोन आता था वह डरी हुई दिखती थी.'' वे कहती हैं कि गीतिका उनसे अकसर कहती थी, ''कांडा अच्छा आदमी नहीं है.'' हालांकि गीतिका के माता-पिता यह साफ करने में असमर्थ रहे कि जब गीतिका कांडा के साथ विभिन्न यात्राओं पर शहर से बाहर जाती थी तब उन्होंने कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई. कंपनी के कर्मचारी बताते हैं कि इन यात्राओं में 2009 में गोवा में कैसिनो खरीदने के बाद वहां की कई यात्राओं समेत हाल ही में सिंगापुर में की गई एक व्यवसायिक यात्रा भी शामिल है. कांडा के साथ उनके परिवार की तस्वीर दिखाए जाने पर गीतिका के भाई अंकित का कहना है कि वे सभी भारी दबाव में ली गई थीं.

गीतिका का उत्पीड़न हुआ था इस बात पर जोर देने के लिए उसके रिश्तेदार कहते हैं कि उसने 22 मई, 2010 को एमडीएलआर की नौकरी छोड़ कर अमीरात एअरलाइंस में इस उम्मीद के साथ नौकरी कर ली थी कि दुबई में उसकी जिंदगी की नई शुरुआत होगी.

अनुराधा ने दिल्ली पुलिस में की गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि जब तक दुबई में उनकी बेटी की नौकरी नहीं चली गई कांडा अमीरात एयरलाइंस के अधिकारियों समेत विभिन्न अधिकारियों को उनकी बेटी पर झूठे आरोप लगाने वाले ईमेल भेजते थे. इस बात की भी जांच हो रही हैकि क्या गुड़गांव के  थानेदार  ने दुबई के कानून विभाग को गीतिका के प्रत्यर्पण के लिए लिखा था. गीतिका के अंकल सुशील कुमार बताते हैं कि उसके ऊपर धोखाधड़ी का आरोप लगाने वाला पत्र इंडियन कांसुलेट जनरल को भी भेजा गया था.

इन सबके बावजूद अगस्त, 2010 में दुबई से लौटते ही गीतिका अपने कथित शोषक के पास लौट आई. इस बार उसने एमडीएलआर के गुड़गांव स्थिति कॉर्पोरेट ऑफिस में निदेशक का पद ग्रहण किया. इस साल अप्रैल में उसने एमबीए करने के लिए कांडा से साढ़े सात लाख रु. का लोन भी स्वीकार किया और सिरसा स्थित मुरलीधर कांडा इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन का पद संभाला.

कांडा गीतिका के साथ किसी भी तरह के शारीरिक या प्रेम संबंध से इनकार करते हैं. एक टीवी चैनल पर उन्होंने इसे उनके विपक्षियों की साजिश बताते हुए कहा कि शर्मा परिवार को बरगलाया जा रहा है. वे कहते हैं कि कई करोड़ों के कारोबार में किसी 23 वर्षीय को डायरेक्टर बनाना कहीं से भी अटपटा नहीं है.

उनका कहना है, ''मेरी 19 साल की बेटी है और वह भी डायरेक्टर है.'' हालांकि गीतिक के भाई अंकित शर्मा ने कहा, ''कांडा गीतिका को हर कीमत पर अपने साथ रखना चाहता था.'' आइएनएलडी, बीजेपी और हरियाणा जनहित कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियां उनके पीछे पड़ी हैं लेकिन इस पूर्व मंत्री को मुख्यमंत्री से भी राहत मिलती नहीं दिख रही.

एक केंद्रीय मंत्री कांडा के राहुल गांधी के विश्वसनीय और सिरसा से सांसद अशोक तंवर का विरोध किए जाने की याद दिलाते हुए कहते हैं, ''वे चौटाला के खिलाफ हमारे उपयोगी सहयोगी थे लेकिन वे सिरसा में कांग्रेस की अनेदखी करके इस गठबंधन से बहुत पहले बाहर हो चुकेथे.'' गोपाल गोयल कांडा के लिए आगे की राह मुश्किल और तनहाई भरी होने वाली है.

-साथ में पीयूष बबेले