हरिद्वार. 30 मई, 2021
बाबा रामदेव को पद्मासन में बैठने का शायद ही कभी समय मिलता हो, क्योंकि वे अपना सारा समय विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाने की मांग करने में लगाते आ रहे थे. उनके अथक प्रयासों के चलते हाल के कुछ महीनों में देश के बाहर गए 100 लाख करोड़ रु. के कुल काले धन में से 20 लाख करोड़ रु. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के रूप में वापस लाने में सफलता मिली है. लेकिन विदेशी निवेश के रूप में आने से यह रकम अब भी उन्हीं लोगों के हाथ में है जिनके पास पहले थी.
ऐसे लोगों के चेहरे से नकाब हटाने का माद्दा भी योगगुरु रखते हैं. बाबा गणित लगाते हुए कहते हैं कि 20 लाख करोड़ रु. का जो विदेशी निवेश देश में हुआ है उसमें से केवल 25 फीसदी ही व्हाइट मनी है. यानी 15 लाख करोड़ रु. का काला धन एफडीआइ के रूप में देश में वापस आया है. बाबा के मुताबिक, यह पैसा जिन लोगों का है उन्हीं का देश के अंदर और बाहर का पूरा काला धन है. लेकिन रामदेव इस तरह के दावों भर से शांत बैठने वाले नहीं हैं और वे बाकी बची रकम वापस लाने की मुहिम तेज कर रहे हैं. 10 साल के लंबे संघर्ष और आमरण अनशनों के बाद उन्होंने सरकार को उनकी आवाज सुनने के लिए मजबूर कर दिया है. ऐसे में अब उन्हें काला धन पर अपना ऐक्शन प्लान शुरू कर देना चाहिए, वरना हो सकता है रायसीना हिल एक बार फिर नीतियों के मामले में लुंज-पुंज हो जाए. रामदेव की योजना बहुत साहसिक है. हालांकि आलोचक उसे बचकानी मानते हैं. योजना पांच हिस्सों में है.
हालांकि उसमें विस्तृत ब्यौरे का अभाव है. पहला, टैक्स सिस्टम को ठीक करो, ताकि भारत में काला धन सफेद हो. दूसरा, एफडीआइ के असली स्वामित्व की घोषणा को अनिवार्य करो. सरकार ने इसे वैकल्पिक बना रखा है ताकि व्यक्ति के रूप में असली निवेशक की पहचान की जा सके, न कि फ्रंट कंपनी के संक्षिप्त नाम जाहिर किए जाएं. तीसरा, बैंकिंग सिस्टम पर पड़े गोपनीयता के नकाब को हटाया जाए. चौथा, पारदर्शी और न्यायपूर्ण आर्थिक व्यवस्था बनाओ. और आखिरी यह कि बड़ी राशि वाली करेंसी नोटों को खत्म करो क्योंकि इनसे पैसों का लाना-ले जाना और उसकी जमाखोरी आसान हो जाती है.
रामदेव मानते हैं कि इन उपायों से सारा काला धन वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन आधी रकम यानी 50 लाख करोड़ रु. तो वापस आ ही सकते हैं. बाबा इतने से भी संतुष्ट हो जाने के लिए तैयार हैं. वे हिसाब लगाते हुए कहते हैं, “इस देश में छोटे, बड़े करीब 600 जिले हैं. अगर आप इस धन को इन जिलों में बांट दें तो हर जिले के हिस्से में 10,000 करोड़ रु. आते हैं. इस हिसाब से हर तहसील को 1,000 करोड़ रु. मिल सकते हैं.” उनका मानना है कि इतनी रकम से कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा, सेना, बुनियादी ढांचा, वाटर रिचार्ज सिस्टम और कचरा प्रबंधन को मजबूत किया जा सकता है. बचा हुआ पैसा मित्र देशों को कर्ज के रूप में दिया जा सकता है.
रामदेव का कहना है कि वापस लाए गए काले धन को अगर इस तरह से इस्तेमाल किया गया तो देश से गरीबी और बेरोजगारी मिट जाएगी और भारत विश्व में एक ताकतवर देश बन जाएगा. वे कहते हैं, “हम एक ऐसा भारत बनाना चाहते हैं, जहां किसी तरह की सामाजिक और आर्थिक असमानता न हो. इस असमानता को खत्म करने के लिए समावेशी, टिकाऊ, विकेंद्रीकृत विकास ही एक रास्ता है. काला धन की वापसी से देश में विकास के इस मॉडल को लागू करने में मदद मिलेगी.”
तेजी से बढ़ती महंगाई को देखते हुए अगर यह रकम कम पड़ी, जो असंभव भी नहीं, तो रामदेव का कहना है कि वे अपना सब कुछ न्यौछावर कर देंगे. शायद वे पतंजलि योगपीठ और उसकी संपत्तियों का नाम नहीं लेना चाहते हैं. बाबा कहते हैं कि 100 लाख करोड़ रु. जो देश के बाहर गए हैं, वह तो कुल काले धन का केवल 10 प्रतिशत है. बाकी 90 प्रतिशत यानी 900 लाख करोड़ रु. तो देश के भीतर ही है जो इन योगियों के इस देश में छिपा है. यह एक वास्तविक अनुमान है, सपना नहीं. इसे सोने, खनन, अचल संपत्ति, राजनीति, नशीली दवा, काला बाजारी, मानव तस्करी और आतंकवाद में निवेश के जरिए सफेद बनाया जा रहा है. गलत तरीके से जमा किए गए इस खजाने को जब जब्त कर लिया जाएगा, जो कि उनके मुताबिक एक दिन होकर रहेगा, तो हर भारतीय की जेब भर जाएगी. राजनीति सुधर जाएगी. राजनीति और माफिया का कॉकटेल खत्म हो जाएगा.
रामदेव के मुताबिक, हर कोई आबादी को इस देश की मुख्य समस्या मानता है. पर इसके लिए दो बातें सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं, निरक्षरता और गरीबी. काले धन की वापसी के बाद ये दोनों ही समस्याएं समाप्त हो जाएंगी और देश इस समस्या से उबर जाएगा. बाबा रामदेव का कहना है कि यह सब खयाली भविष्यवाणियां नहीं बल्कि एक पुरातन आर्थिक विवेक है. वे कहते हैं, “भारत विश्व की एक असली आर्थिक शक्ति है. लेकिन अर्थव्यवस्था चूंकि संदिग्ध, गंदे और काले धन पर आधारित है, इसलिए भारत की ताकत का पता नहीं चल रहा. काले धन की वापसी के बाद यह स्थिति बदल जाएगी. इससे राजनीति पर माफिया की पकड़ खत्म हो जाएगी और भारत एक सैनिक और आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा.” बशर्ते राजनेता और अर्थशास्त्री उनकी इस सलाह पर गौर करें.
बाबा रामदेव को पद्मासन में बैठने का शायद ही कभी समय मिलता हो, क्योंकि वे अपना सारा समय विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाने की मांग करने में लगाते आ रहे थे. उनके अथक प्रयासों के चलते हाल के कुछ महीनों में देश के बाहर गए 100 लाख करोड़ रु. के कुल काले धन में से 20 लाख करोड़ रु. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के रूप में वापस लाने में सफलता मिली है. लेकिन विदेशी निवेश के रूप में आने से यह रकम अब भी उन्हीं लोगों के हाथ में है जिनके पास पहले थी.
ऐसे लोगों के चेहरे से नकाब हटाने का माद्दा भी योगगुरु रखते हैं. बाबा गणित लगाते हुए कहते हैं कि 20 लाख करोड़ रु. का जो विदेशी निवेश देश में हुआ है उसमें से केवल 25 फीसदी ही व्हाइट मनी है. यानी 15 लाख करोड़ रु. का काला धन एफडीआइ के रूप में देश में वापस आया है. बाबा के मुताबिक, यह पैसा जिन लोगों का है उन्हीं का देश के अंदर और बाहर का पूरा काला धन है. लेकिन रामदेव इस तरह के दावों भर से शांत बैठने वाले नहीं हैं और वे बाकी बची रकम वापस लाने की मुहिम तेज कर रहे हैं. 10 साल के लंबे संघर्ष और आमरण अनशनों के बाद उन्होंने सरकार को उनकी आवाज सुनने के लिए मजबूर कर दिया है. ऐसे में अब उन्हें काला धन पर अपना ऐक्शन प्लान शुरू कर देना चाहिए, वरना हो सकता है रायसीना हिल एक बार फिर नीतियों के मामले में लुंज-पुंज हो जाए. रामदेव की योजना बहुत साहसिक है. हालांकि आलोचक उसे बचकानी मानते हैं. योजना पांच हिस्सों में है.
हालांकि उसमें विस्तृत ब्यौरे का अभाव है. पहला, टैक्स सिस्टम को ठीक करो, ताकि भारत में काला धन सफेद हो. दूसरा, एफडीआइ के असली स्वामित्व की घोषणा को अनिवार्य करो. सरकार ने इसे वैकल्पिक बना रखा है ताकि व्यक्ति के रूप में असली निवेशक की पहचान की जा सके, न कि फ्रंट कंपनी के संक्षिप्त नाम जाहिर किए जाएं. तीसरा, बैंकिंग सिस्टम पर पड़े गोपनीयता के नकाब को हटाया जाए. चौथा, पारदर्शी और न्यायपूर्ण आर्थिक व्यवस्था बनाओ. और आखिरी यह कि बड़ी राशि वाली करेंसी नोटों को खत्म करो क्योंकि इनसे पैसों का लाना-ले जाना और उसकी जमाखोरी आसान हो जाती है.
रामदेव मानते हैं कि इन उपायों से सारा काला धन वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन आधी रकम यानी 50 लाख करोड़ रु. तो वापस आ ही सकते हैं. बाबा इतने से भी संतुष्ट हो जाने के लिए तैयार हैं. वे हिसाब लगाते हुए कहते हैं, “इस देश में छोटे, बड़े करीब 600 जिले हैं. अगर आप इस धन को इन जिलों में बांट दें तो हर जिले के हिस्से में 10,000 करोड़ रु. आते हैं. इस हिसाब से हर तहसील को 1,000 करोड़ रु. मिल सकते हैं.” उनका मानना है कि इतनी रकम से कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा, सेना, बुनियादी ढांचा, वाटर रिचार्ज सिस्टम और कचरा प्रबंधन को मजबूत किया जा सकता है. बचा हुआ पैसा मित्र देशों को कर्ज के रूप में दिया जा सकता है.
रामदेव का कहना है कि वापस लाए गए काले धन को अगर इस तरह से इस्तेमाल किया गया तो देश से गरीबी और बेरोजगारी मिट जाएगी और भारत विश्व में एक ताकतवर देश बन जाएगा. वे कहते हैं, “हम एक ऐसा भारत बनाना चाहते हैं, जहां किसी तरह की सामाजिक और आर्थिक असमानता न हो. इस असमानता को खत्म करने के लिए समावेशी, टिकाऊ, विकेंद्रीकृत विकास ही एक रास्ता है. काला धन की वापसी से देश में विकास के इस मॉडल को लागू करने में मदद मिलेगी.”
तेजी से बढ़ती महंगाई को देखते हुए अगर यह रकम कम पड़ी, जो असंभव भी नहीं, तो रामदेव का कहना है कि वे अपना सब कुछ न्यौछावर कर देंगे. शायद वे पतंजलि योगपीठ और उसकी संपत्तियों का नाम नहीं लेना चाहते हैं. बाबा कहते हैं कि 100 लाख करोड़ रु. जो देश के बाहर गए हैं, वह तो कुल काले धन का केवल 10 प्रतिशत है. बाकी 90 प्रतिशत यानी 900 लाख करोड़ रु. तो देश के भीतर ही है जो इन योगियों के इस देश में छिपा है. यह एक वास्तविक अनुमान है, सपना नहीं. इसे सोने, खनन, अचल संपत्ति, राजनीति, नशीली दवा, काला बाजारी, मानव तस्करी और आतंकवाद में निवेश के जरिए सफेद बनाया जा रहा है. गलत तरीके से जमा किए गए इस खजाने को जब जब्त कर लिया जाएगा, जो कि उनके मुताबिक एक दिन होकर रहेगा, तो हर भारतीय की जेब भर जाएगी. राजनीति सुधर जाएगी. राजनीति और माफिया का कॉकटेल खत्म हो जाएगा.
रामदेव के मुताबिक, हर कोई आबादी को इस देश की मुख्य समस्या मानता है. पर इसके लिए दो बातें सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं, निरक्षरता और गरीबी. काले धन की वापसी के बाद ये दोनों ही समस्याएं समाप्त हो जाएंगी और देश इस समस्या से उबर जाएगा. बाबा रामदेव का कहना है कि यह सब खयाली भविष्यवाणियां नहीं बल्कि एक पुरातन आर्थिक विवेक है. वे कहते हैं, “भारत विश्व की एक असली आर्थिक शक्ति है. लेकिन अर्थव्यवस्था चूंकि संदिग्ध, गंदे और काले धन पर आधारित है, इसलिए भारत की ताकत का पता नहीं चल रहा. काले धन की वापसी के बाद यह स्थिति बदल जाएगी. इससे राजनीति पर माफिया की पकड़ खत्म हो जाएगी और भारत एक सैनिक और आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा.” बशर्ते राजनेता और अर्थशास्त्री उनकी इस सलाह पर गौर करें.