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राजस्थानः कांग्रेस में जारी खींचतान

राजस्थान के प्रभारी महासचिव माकन के सामने कुछ विधायकों ने संगठन की नियुक्तियों और सियासी पोस्टिंग में हो रही बहुत अधिक देरी की शिकायत दर्ज कराई

असहज स्थिति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट
असहज स्थिति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट
अपडेटेड 19 अगस्त , 2021

राजस्थान कांग्रेस में पिछले दो महीनों में काफी हलचल देखी गई. वरिष्ठ नेताओं ने कई बार दिल्ली से जयपुर नाप दिया, पर आलाकमान ने अभी तक यह बताया नहीं कि इस पूरी कवायद का नतीजा क्या रहा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बागी नेता सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान की कहानी पुरानी है, लेकिन बीच-बीच में कुछ न कुछ ऐसा होता रहता है जिससे अटकलों के नए दौर शुरू हो जाते हैं. गांधी परिवार—सोनिया, प्रियंका और राहुल गांधी—में से किसी ने भी, इसका कोई संकेत नहीं दिया है कि दिसंबर 2023 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा किसे बनाया जाएगा. इससे यथास्थिति तो बनी हुई है, लेकिन गहलोत सरकार और पायलट के भविष्य को लेकर अनिश्चितता भी बनी रहती है

उधर, बागी नवजोत सिंह सिद्धू की पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति (पीसीसी) प्रमुख के रूप में नियुक्ति के बाद पायलट खेमे ने राजस्थान सरकार और संगठन में बड़ी भूमिका मिलने की उम्मीद लगा रखी है. लेकिन गहलोत गुट का कहना है कि पंजाब और राजस्थान को एक ही पलड़े में नहीं रखा जा सकता. इसके अलावा, गहलोत ने आलाकमान को अश्वासन दिया है कि अगर उन्हें अपनी रणनीति के मुताबिक चलने दिया गया तो वे अगले साल खाली हो रही भाजपा के कब्जे वाली राज्यसभा की चार में से तीन सीटें कांग्रेस की झोली में डाल देंगे. पिछले साल राज्यसभा चुनाव से पहले मार्च में गहलोत ने अपने खिलाफ भाजपा की तख्तापलट की साजिश को भांप लिया था.

हालांकि चुनाव को कोविड लॉकडाउन की वजह से जून के लिए टाल दिया गया. फिर, कांग्रेस में अंतिम विद्रोह जून में राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू हुआ और तुरंत बाद पूर्ण शक्ति प्रदर्शन में बदल गया. गहलोत का कहना है कि चुनाव इसलिए टाले गए ताकि विद्रोहियों को साधने और उन्हें कांग्रेस के खिलाफ वोट देने के लिए राजी करने का वक्त मिल जाए. अगले राज्यसभा चुनावों में भाजपा, कांग्रेस के बागियों के वोट न हासिल कर ले, इसे लेकर आलाकमान सतर्क है.

आलाकमान और राज्य कांग्रेस के बीच कोई अलग खिचड़ी पक रही है, इन अटकलों को इसलिए हवा मिली क्योंकि दो पीसीसी प्रमुख, कर्नाटक से डी.के. शिवकुमार और हरियाणा से कुमारी शैलजा, भी क्रमश: 1 और 3 अगस्त को गहलोत से मिलने आए. इन बैठकों को तो निजी मुलाकात बताया गया पर गहलोत विरोधी खेमे ने कहा कि ये बैठकें गहलोत पर दबाव बनाने के लिए थीं कि वे पायलट और उनके विधायकों को समायोजित करें. वहीं, गहलोत के सहयोगियों ने बताया कि दोनों बैठकें राहुल गांधी को मजबूत करने सहित कई राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए हुई थीं. लेकिन गहलोत विरोधी खेमे की मांगों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत समझते हुए महासचिव अजय माकन और के.सी. वेणुगोपाल, गहलोत से मिलने के लिए 24 जुलाई की देर शाम दिल्ली से जयपुर पहुंचे थे.

राजस्थान के प्रभारी महासचिव माकन ने पिछले पखवाड़े विधायकों के साथ बैठक की और उनकी राय दर्ज की. एक सामान्य फीडबैक यह रहा कि अधिकतर विधायकों ने गहलोत में अपना भरोसा दोहराया. पर कुछ विधायक जो गहलोत के साथ हैं और पायलट के साथ नहीं, उन्होंने भी कुछ मंत्रियों के खराब प्रदर्शन, अहंकार और विधायकों से मिलने से कतराने की शिकायत करते हुए मंत्रिपरिषद में फेरबदल की मांग की. उन्होंने संगठन में नियुक्तियों और सियासी पोस्टिंग में हो रही बहुत देरी की भी शिकायत दर्ज कराई.

माकन की विस्तृत कवायद के नतीजे क्या रहे, इसका इंतजार कांग्रेसियों, प्रशासन और यहां तक कि जनता को भी है. ऐसे संकेत हैं कि दोनों खेमों में इस बात पर सहमति बहुत कम है कि पहले कैबिनेट फेरबदल और विस्तार किया जाए या पहले कम महत्वपूर्ण सियासी और संगठनात्मक नियुक्तियां की जाएं. पायलट खेमे को छह से आठ मंत्रिपद और समकक्ष पदों की उम्मीद है और वह कुछ मंत्रियों को हटाना चाहता है. लेकिन गहलोत अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी के लिए इतनी दरियादिली को तैयार नहीं हैं. माना जाता है कि गहलोत विस्तार को टालने के इच्छुक हैं, पर वे कुछ विधायकों और अन्य प्रमुख नेताओं को बोर्ड और निगमों के साथ-साथ पार्टी के अहम पदों पर समायोजित करने के इच्छुक हैं.

गहलोत खेमा इस बात पर भी जोर देता है कि कांग्रेस सरकार का समर्थन करने वाले भी कुछ इनाम की तलाश में रहे हैं. गहलोत भी विधायकों की मांगों को मानने में काफी नरमी दिखा रहे हैं. कुछ मंत्रियों के रवैये को अगर छोड़ दें तो सरकार जिस तरह विधायकों की मांगें सुन रही है, उससे ज्यादातर विधायक खुश हैं. लेकिन, ऐसा लगता है कि राजस्थान में कांग्रेस में खींचतान अभी खत्म नहीं होने जा रही है.

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