एक बार फिर से बिहार में स्टुडेंट पॉलिटिक्स गरमाने लगी है. पटना के बाद मगध यूनिवर्सिटी का छात्र संघ चुनाव इसी कड़ी का ताजा हिस्सा है. अब तक के चुनाव नतीजों से लगता है कि राज्य की स्टुडेंट पॉलिटिक्स सत्ता के राजनैतिक गठजोड़ से अलग इतिहास गढऩे की ओर बढ़ रही है. करीब 28 साल बाद पटना और मगध यूनिवर्सिटी के स्टुडेंट्स यूनियन के चुनाव नतीजों से कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं, जहां बीजेपी और जेडीयू के छात्र संगठनों ने अलग-अलग चुनाव लड़े. यही वजह है कि इनके नतीजे अलग-अलग रंगों में देखने को मिले हैं.
बिहार विधानसभा में कमजोर स्थिति वाले वामपंथी दलों के लाल रंग ने पटना यूनिवर्सिटी स्टुडेंट्स यूनियन के चुनाव नतीजों पर गहरा असर छोड़ा है. सत्ता पर काबिज एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) और विपक्षी दल आरजेडी के छात्र संगठनों को सेंट्रल पैनल के कुल पांच पदों में से एक-एक सीट मिली, जबकि वामपंथी दल के छात्र संगठन एआइएसएफ ने दो सीटों पर कब्जा जमाया. पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास में यह पहला मौका था जब लाल रंग का असर बाकी सभी रंगों से ज्यादा गहरा रहा है.
करीब डेढ़ माह बाद पिछले हफ्ते मगध यूनिवर्सिटी के चुनाव नतीजों में लाल रंग का असर फीका पड़ गया. हालांकि जेडीयू के संगठन छात्र जेडीयू और वामदल के छात्र संगठन एआइएसएफ ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन इस प्रयोग में दोनों संगठनों को निराशा हाथ लगी है. मगध यूनिवर्सिटी छात्र संघ के सेंट्रल पैनल के त्रिकोणीय मुकाबले में सभी पांच पदों पर भगवा पताका लहरा गई है.
जाहिर तौर पर बिहार में एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) गठबंधन की सरकार है. देखें तो इस राजनैतिक गठबंधन से अलग-अलग चुनाव लडऩे पर जेडीयू को नुकसान उठाना पड़ा है. बीजेपी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने छात्र जेडीयू और विपक्षी दल आरजेडी के छात्र संगठनों को पूरी तरह पराजित कर दिया.
इन पांच पदों को लेकर जबरदस्त खेमेबाजी हुई लेकिन राष्ट्रवादी विचारधारा के आधार पर चुनाव लडऩे वाली एबीवीपी की चुनावी रणनीति के आगे बाकी छात्र संगठनों ने घुटने टेक दिए. यूनिवर्सिटी के तहत 44 कॉलेज आते हैं, लेकिन कॉलेज प्रतिनिधियों के 137 पदों में से 61 पर एबीवीपी सदस्यों की जीत हुई है.
परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सुजय कुमार कहते हैं, ''चुनाव को प्रभावित करने के लिए कई प्रत्याशियों को लालच भी दिया गया. लेकिन ऐसे लोगों को निराशा हाथ लगी है. एबीवीपी को छात्र हितों के लिए संघर्षरत रहने से यह सफलता मिली है. '' एबीवीपी के रामनंदन कुमार अध्यक्ष पद पर जीते जबकि अमित कुमार उपाध्यक्ष, दीपक कुमार सचिव, राहुल कुमार संयुक्त सचिव और अमित कुमार कोषाध्यक्ष पद पर विजयी रहे. इन पांचों पदों पर ही छात्र जेडीयू और एआइएसएफ के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे.
मगध डिवीजन छात्र आंदोलन, नक्सल आंदोलन, जातिवाद और धनबल तथा बाहुबल के लिए अकसर सुर्खियों में रहा है. इस चुनाव में बाहुबल की भी हार हुई है. अध्यक्ष पद पर आरजेडी के बाहुबली विधायक डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव के बेटे विश्वनाथ कुमार सिंह निर्दलीय उम्मीदवार थे, लेकिन वे जीत नहीं सके.
गया जिले के नक्सल प्रभावित मोहनपुर प्रखंड के नीमा के रामनंदन अपनी स्टुडेंट पॉलिटिक्स के बूते बाजी मार ले गए. इंटर में पढ़ाई के दौरान रामनंदन ने एबीवीपी ज्वाइन की थी, वे तब से परिषद के कई पदों पर आसीन रहे. उनका कहना है, ''यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक अराजकता और भ्रष्टाचार को मिटाना हमारा प्रमुख लक्ष्य है.''