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बिहार में सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और जद (यू) में ठनी

बिहार में सीट बंटवारे को लेकर भाजपा, जद(यू), नीतीश कुमार, अमित शाह में अभी से ठन गई है, दोनों के अपने-अपने दांव

सोनू किशन
सोनू किशन
अपडेटेड 11 जुलाई , 2018

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए जद (यू) के साथ सीट समझौते पर चर्चा के एजेंडे के साथ 12 जुलाई को पटना पहुंचने वाले हैं. अपनी सहयोगी भाजपा से 40 लोकसभा सीटों में 25 सीटों की मांग करने वाली जद (यू) को भरोसा है कि वह अपने लिए सम्मानजनक संख्या में सीट हासिल करने के लिए शाह को राजी कर लेगी.

वहीं शाह नीतीश कुमार को यह संदेश दिलवा चुके हैं कि 2014 में भाजपा ने जितनी सीटें (22) जीती थीं, उनमें से कुछ सीटों पर भाजपा दावेदारी तभी छोड़ेगी जब राज्य में मुख्यमंत्री बारी-बारी से दोनों दलों के नेता बनेंगे.

राज्य में बारी-बारी से मुख्यमंत्री के विकल्प पर चर्चा भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में पहली बार उस वक्त हुई थी जब नीतीश ने राजद से नाता तोड़ कर भाजपा के साथ सरकार बनाने का फैसला किया था. तब भाजपा ने इस विकल्प को छोड़ दिया था क्योंकि जद(यू) के कई विधायकों के राजद के साथ जाने की संभावना थी. अब फिर उसे तूल दिया जा रहा है.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, "जद (यू) के लिए अधिकतम आठ सीटों की गुंजाइश बनती है. इससे ज्यादा सीटें तभी छोड़ी जा सकती हैं जब उसकी ओर से भाजपा को कोई सियासी फायदा (भाजपा का मुख्यमंत्री) हो.''

क्या भाजपा नीतीश के बिना चुनाव लडऩे की सोच रही है? पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जी.वी.एल. नरसिम्ह राव कहते हैं, "हमारा जहां भी गठबंधन है वहां के सहयोगी दलों के साथ ही हम लोकसभा चुनाव लडऩा चाहते हैं और लड़ेंगे.

सीट बंटबारे पर विकल्प निकल आएगा.'' जद (यू) महासचिव के.सी. त्यागी भी कहते हैं कि 2019 में दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे, पर वे मानते हैं कि सीटों का बंटवारा आसान नहीं है.

जद (यू) के एक नेता कहते हैं कि भाजपा-जद (यू) के सीटों के बीच 2-4 सीटों से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए. क्या जद(यू) बारी-बारी से मुख्यमंत्री के फॉर्मूले को मानने के लिए राजी है?

पार्टी के एक नेता बताते हैं, "दिल्ली में 7 और 8 जुलाई को जद(यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.''

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