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26/11 मुंबई हमला: दहशतगर्दी के दाग

कथित आतंकियों के परिजनों को उनसे संबंधित होने का सदमा और जिल्लत उठानी पड़ रही है.

अपडेटेड 11 जुलाई , 2012

जबीउद्दीन अंसारी परिवार का आदर्श बेटा था. बीड, महाराष्ट्र में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से इलेक्ट्रीशियन का डिप्लोमा करने के बाद जिस दिन से उसने कमाना शुरू किया था, उसी दिन से उसने बीमा एजेंट अपने पिता जकीउद्दीन का काम बंद करवा दिया और उन्हें आराम से घर बैठा दिया था.

लेकिन जकीउद्दीन के आराम की घड़ियां ज्‍यादा समय तक नहीं रह पाईं. 2006 में भारत से जबीउद्दीन की फरारी से यह सुनिश्चित हो गया था कि पुलिस रात-बिरात परिवार के दरवाजे पर दस्तक देती रहेगी. जकीउद्दीन की पांच बेटियां हैं, जिनमें से एक का तलाक इस वजह से हो गया क्योंकि परिवार का एक सदस्य आतंकवादी है. जकीउद्दीन अब दिल के मरीज हैं, जो दो बार लकवे का दौरे भी झेल चुके हैं.

आरडीएक्स और हथियारों की एक खेप ले जाने के मामलों में सुरक्षा एजेंसियों की निगाह में आ जाने के बाद जबीउद्दीन अंसारी बांग्लादेश भाग गया, और वहां से वह पाकिस्तान चला गया, जहां वह लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया और उसे अबू हमजा, अबू जिंदाल और अबू जंदाल जैसे उपनाम हासिल हुए.

अंसारी सऊदी अरब में एक पाकिस्तानी पासपोर्ट पर रह रहा था, जहां से अधिकारियों ने उसे 21 जून को भारत भेजा. जबीउद्दीन की मां रेहाना डायबिटीज की मरीज हैं. उन्होंने पिछले महीने अपनी एक बेटी की शादी की. तब वे उम्मीद कर रही थीं कि उनका बेटा उस शादी में जरूर शामिल होगा.Mumbai attack

जबीउद्दीन के प्रत्यर्पण के साथ उनकी इच्छा पूरी हो गई लगती है-हालांकि उस तरह नहीं, जिस तरह वे चाहती थीं. परेशान मां को यह कबूल करने में मुश्किल होती है कि उसके इकलौते बेटे का इस तरह कायापलट हो चुका है. वह मुहल्ले के एक आम लड़के की बजाए एक दाढ़ी वाला आदमी बन चुका है, जो शून्य में ताकता रहता है.

बिहार के दरभंगा जिले में 61 वर्षीय डॉ. फिरोज अहमद भी घटनाक्रम से कम परेशान नहीं हैं. उन्होंने अपने सबसे छोटे बेटे फसीह महमूद से 19 मई को आखिरी बार फोन पर सऊदी अरब में बात की थी. भारत की निशानदेही पर सऊदी अधिकारियों ने उस मैकेनिकल इंजीनियर को आतंकवादी एजेंट होने के आरोप में छह दिन पहले ही अपनी हिरासत में लिया था.

उस टेलीफोन कॉल ने उनके सबसे भयानक भय को खत्म कर दिया था-उनका बेटा जीवित था-लेकिन उससे भी बदतर भय की पुष्टि कर दी थी उनके बेटे के साथ एक आतंकवादी की तरह सलूक किया जा रहा था. उसके बाद से, फोन पर सुनी गई फसीह की कातर आवाज ''मैं बेकसूर हूं,'' बेनीपट्टी के इस प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को अभी भी आधी रात को जगा देती है. दिल के मरीज डॉ. फिरोज सिगरेट छोड़ चुके थे, लेकिन बेटे की गिरफ्तारी के बाद से वे एक बार फिर हर रोज सात सिगरेट पीने लगे हैं.

फसीह के बड़े भाई 32 वर्षीय सबीह महमूद कहते हैं, ''फसीह की गिरफ्तारी ने परिवार को तोड़ दिया है.'' दुबई में एक बड़े निजी बैंक में कार्यरत एमबीए शिक्षित सबीह बिना वेतन की अनिश्चितकालीन छुट्टी लेकर अपने माता-पिता की मदद करने के लिए वापस भारत आ गए हैं.

संयोग से, फसीह  दरभंगा के बाढ़ समैला का वह चौथा व्यक्ति है, जिसे कथित तौर पर आतंकवाद से संबंध रखने के लिए गिरफ्त में लिया गया है. सात महीने के दौरान इस गांव के उसके समेत चार लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. बाढ़ समैला बिहार की राजधानी पटना से पूर्वोत्तर में 155 किमी दूर स्थित दरभंगा जिले का एक अनजान-सा गांव है. जाहिर तौर पर हरेक गिरफ्तारी का नतीजा अगली गिरफ्तारी में निकला है.

27 वर्ष का कतील अहमद सिद्दीकी बाढ़ समैला का वह पहला शख्स था, जिसे दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से कथित तौर पर इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) का कारिंदा बताकर 22 नवंबर, 2011 को गिरफ्तार किया गया था. एक दिन बाद, पुलिस ने इसी गांव के 32 वर्ष के गौहर अजीज खोमैनी को इसी तरह के आरोपों में दिल्ली से गिरफ्तार किया. गौहर एक डिप्लोमा धारक है, जिसने दिल्ली में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई थी.

इस वर्ष जनवरी में दिल्ली पुलिस की टीम कतील और खोमैनी को बाढ़ समैला भी लेकर गई थी, ताकि उनसे उनके परिवारों के सामने पूछताछ की जा सके. जाहिर है, पुलिस को उम्मीद थी कि इससे कुछ जानकारी निकल सकेगी.

पुलिस ने इस गांव से अगली गिरफ्तारी 6 मई को की, जब आंध्र प्रदेश और कर्नाटक पुलिस के एक संयुक्त दल ने-जो कुछ दिन पहले से टेलीफोन टावर इंजीनियरों के रूप में बाढ़ समैला में डटी हुई थी-26 वर्ष के कफील अहमद को चिन्नास्वामी स्टेडियम विस्फोट के मामले में उसके घर से गिरफ्तार कर लिया. इसके एक सप्ताह बाद, फसीह महमूद को सऊदी अरब के अल जुबैल शहर से गिरफ्तार किया गया, जहां वह इरम इंजीनियरिंग में काम करता था.

कतील को पिछले महीने पुणे की यरवदा जेल में दो कैदियों ने गला घोंट कर मार डाला, हालांकि वह जेल की सर्वाधिक सुरक्षा वाले अंडा सेल में था. इन चारों में कतील का परिवार सबसे गरीब है. एमए उर्दू का छात्र कफील अहमद दरभंगा के एक पब्लिक स्कूल में चार साल से पढ़ा रहा था और इससे 2,500 रु. महीने कमा रहा था. कफील अपना वेतन नकद लिया करता था, उसने जान-बूझ्कर किसी भी बैंक में खाता नहीं खुलवाया था, क्योंकि उसे ब्याज लेना पसंद नहीं था.

कफील के बुजुर्ग पिता अब्दुल सलाम कहते हैं, ''मेरे बेटे की नजर बहुत कमजोर है. वह अपने चश्मे के बिना एक जुमला भी पढ़ नहीं सकता. वह दहशतगर्द नहीं हो सकता.'' 6 मई को गिरफ्तार किए जाने के बाद से कफील को बंगलुरू सेंट्रल जेल में रखा गया है.

रोचक बात यह है कि दरभंगा के केवटी ब्लॉक में 5,000 से अधिक की आबादी वाले गांव बाढ़ समैला के जो चार युवक पुलिस जांच के दायरे में हैं-वे पड़ोसी भी हैं और रिश्तेदार भी. डॉ. फिरोज अहमद इसकी पुष्टि करते हैं. लेकिन यह सम्माननीय डॉक्टर सिर्फ अपने बेटे के बेकसूर होने का दावा करते हैं. वे कहते हैं, ''मैं सबके लिए नहीं कह सकता.'' यह चारों बेहद विनम्रता से बात करने वाले और श्रद्धालु किस्म के धार्मिक थे, जिनमें से किसी का भी आपराधिक इतिहास नहीं था.

स्वतंत्रता सेनानी मोहम्मद महमूद का पोता फसीह भी दिन में पांच बार पाबंदी के साथ नमाज पढ़ता था. 2011 में गांव में अपनी पिछली यात्रा के दौरान उसने स्थानीय मस्जिद के नवीकरण के लिए 50,000 रु. दान दिए थे. 7 सितंबर, 2011 को निकहत परवीन से शादी करने से एक साल पहले फसीह ने अपने माता-पिता की हज यात्रा का भी खर्च उठाया था.

निकहत याद करते हुए बताती हैं, ''13 मई को एक अज्ञात आदमी ने फसीह महमूद को उनके मोबाइल फोन पर फोन किया. फसीह अपने फ्लैट से नीचे गए और जब कुछ घंटे बाद वापस आए तो उन्हें पांच पुरुष और एक महिला अधिकारियों ने घेर रखा था.''

अब पटना में रह रहीं निकहत इस बारे में कुछ प्रासंगिक सवाल उठाती हैं कि भारतीय एजेंसियों ने उनके पति की गिरफ्तारी को किस तरह संभाला. निकहत कहती हैं, ''शुरू में, जब हमने उनके पता-ठिकाने के बारे में सवाल उठाया, तो भारत सरकार ने बार-बार इस बात से इनकार किया था कि फसीह को गिरफ्तार कर लिया गया है.

अगर सऊदियों ने उन्हें अपने आप गिरफ्तार किया होता, तो उन्हें अब तक या तो मुक्त कर दिया होता, या उन्हें दोषी साबित कर दिया होता. फिर, जब हमने चीख-पुकार मचाई, तो सरकार ने एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया और फसीह को जर्मन बेकरी और चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया. वे केवल कहानियां गढ़ रहे हैं.'' फसीह की गिरफ्तारी के बाद निकहत स्वदेश लौट आईं और उन्होंने अपने शौहर की रहस्यमय गिरफ्तारी के बारे में मीडिया को बताया.

फसीह अपने बचपन से अच्छा और शालीन छात्र था. दरभंगा से प्रारंभिक शिक्षा के बाद, फसीह ने अलीगढ़ से मैट्रिक किया था. उसने दरभंगा मिल्लत कॉलेज से इंटरमीडिएट किया था और उसे भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित में 75 फीसदी अंक मिले थे.

डॉ. फिरोज याद करते हैं, ''मैं चाहता था कि वह बिहार में किसी भी कॉलेज से इंजीनियरिंग करे; लेकिन उसकी मां और उसके मामा ने उसे कर्नाटक के अंजुमन इंजीनियरिंग कॉलेज में भर्ती करा दिया. अगर मेरी याददाश्त सही है, तो हमने कुछ डोनेशन भी दिया था.''

माना जाता है कि इंडियन मुजाहिदीन की स्थापना करने वाले दो भटकल भाइयों-रियाज और इकबाल भटकल-ने भी इसी कॉलेज में पढ़ाई की है. यह वही कॉलेज है जहां से इस साल की शुरुआत में बिहार से गिरफ्तार किए गए इंडियन मुजाहिदीन के एक और प्रमुख कारिंदे मोहम्मद तारिक अंजुम हसन ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी.

फसीह के दोस्त उसे कभी हार न मानने वाला, बेहद सतर्क युवा बताते हैं, जो अपना ध्यान किसी भी चीज से भंग नहीं होने देता था. एक स्थानीय क्रिकेट मैच में, अंतिम पहले ओवर में गेंदबाजी करते हुए फसीह ने तीन विकेट तब लिए थे, जब टीम में हर कोई हार मान चुका था.

एक अलग संदर्भ में, आतंकवाद के इन संदिग्धों के लिए नोट्स एक दूसरे को सौंपने के लिए क्रिकेट भी एक जरिया हुआ करता था. 13 जुलाई को मुंबई में हुए सीरियल विस्फोटों के मामले में एक प्रमुख संदिग्ध त.की अहमद की इंडियन मुजाहिदीन के कथित कारिंदे गयूर जमील के साथ पहली बार बातचीत 2009 में दरभंगा में एक क्रिकेट मैदान में हुई मानी जाती है.

जमील ने तकी का परिचय कतील सिद्दीकी से और फिर यासीन भटकल उर्फ इमरान से करवाया. सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि वह कथित डॉ. इमरान भारत का मोस्ट वांटेड यासीन भटकल था, जो बिहार के दरभंगा और मधुबनी जिलों में 2008 और 2009 में देखा गया था. बाढ़ समैला से 25 किमी दूर डेउरा बंधौली गांव के दो भाइयों मोहम्मद तकी अहमद और नकी अहमद को चिन्नास्वामी स्टेडियम, जर्मन बेकरी और जामा मस्जिद विस्फोटों में कथित तौर पर लिप्त होने के आरोप में दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था. डेउरा बंधौली गांव के एक और युवक नदीम अख्तर को भी गिरफ्तार किया गया था.

इस बीच, मुस्लिम बहुल बाढ़ समैला गिरफ्तारियों की इस झ्ड़ी से कांप गया है. चार महीने पहले पड़ोस के गांव बाबू सलेमपुर से दिल्ली हाइकोर्ट विस्फोट में उसकी कथित मिलीभगत के लिए मोहम्मद दिलकश रहमान की गिरफ्तारी से वे लोग और परेशान हो गए हैं.

डॉ. फिरोज अपने मोबाइल फोन को हाथों में घुमाते रहते हैं, लेकिन कोई नंबर डायल नहीं करते. वे जानते हैं कि सऊदी अरब के उस नंबर पर कोई फोन नहीं उठाएगा, जहां से उनके बेटे ने एक बार उन्हें फोन किया था.