scorecardresearch

छत्तीसगढ़: पानी के लिए लहूलुहान

राज्‍य में गहराता जलसंकट झगड़े-फसाद की जड़ बनता जा रहा है. राजधानी में ही पानी को लेकर पखवाड़े भर में आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं. मुंगेली जिले के सिंघनपुरी गांव मे 3 जून को पानी भरने को लेकर हुए विवाद में तीन लोगों की जान चली गई और एक दर्जन लोग जख्मी हुए.

अपडेटेड 23 जून , 2012

राज्‍य में गहराता जलसंकट झगड़े-फसाद की जड़ बनता जा रहा है. राजधानी में ही पानी को लेकर पखवाड़े भर में आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं. मुंगेली जिले के सिंघनपुरी गांव मे 3 जून को पानी भरने को लेकर हुए विवाद में तीन लोगों की जान चली गई और एक दर्जन लोग जख्मी हुए.

राज्‍य के कई हिस्सों में थर्मामीटर का पारा 47 डिग्री से अधिक चल रहा है. पानी सूखने से अधिकांश इलाकों में पेयजल की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है. सिंघनपुरी की सरपंच अनिता जांगड़े मानती हैं कि हैंडपंप अगर ठीक रहता तो तीन लोगों की जान नहीं जाती. सिंघनपुरी में राजू यादव और सोनू यादव का संयुक्त परिवार था.

साझे के समय ही यादव परिवार ने घर में बोर कराया था. मगर दो साल पहले दोनों परिवारों में बंटवारा हो गया. बोर सोनू यादव के हिस्से में आ गया. इसके बाद राजू का परिवार सरकारी हैंडपंप से काम चला रहा था. बंटवारे के बाद भी दोनों परिवारों में संबंध अच्छे थे. इस बार भीषण गरमी में सरकारी हैंडपंप ने जवाब दे दिया तो राजू की पत्नी नंदनी कुछ दिनों से सोनू के बोर से पानी ला रही थी. 31 मई को पानी भरने के टाइम को लेकर नंदनी का विवाद हो गया और बात इतनी बढ़ गई कि दूसरे पक्ष ने उसकी पिटाई कर दी.

ग्रामीणों का मानना है कि पुलिस अगर 31 मई को तत्परता से कार्रवाई करती तो यह वारदात नहीं होती. नंदनी के साथ मारपीट की घटना की रिपोर्ट मुंगेली के फास्टरपुर थाने में की गई थी. लेकिन पुलिस सोती रह गई. 

असल में, जिस दिन यह घटना हुई, उसी दिन नंदनी की सास का निधन हो गया. 3 जून को क्रिया कर्म के सिलसिले में नंदनी के पिता छेदूराम और चाचा बिसाहूराम सिंघनपुरी आए थे. दोनों ने सोनू के परिवार वालों से यह जानना चाहा कि नंदनी के साथ उन्होंने मारपीट क्यों की. बताते हैं कि नंदनी के पिता ने दोनों पक्षों को समझने की कोशिश की मगर यह फसाद की जड़ बन गया. इस दौरान गर्मागर्म बहस के बाद दोनों पक्षों ने लाठी, रॉड और फरसा लेकर एक-दूसरे पर हमला कर दिया. नंदनी के पिता और चाचा की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं, सोनू के बड़े बेटे तुलाराम की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई.

400 की आबादी वाले सिंघनपुरी में 90 फीदसी से अधिक लोग अनुसूचित जाति के हैं. इंडिया टुडे  संवाददाता ने देखा, गांव में स्थिति बेहद खराब है. पांच सरकारी हैंडपंप हैं, और दो प्राइवेट बोर. दो हैंडपंप अरसे से बिगडे़ हुए हैं. दो तालाब है, दोनों सूख गए हैं. लोगों के सामने निस्तारी की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है. मारपीट में बुरी तरह जख्मी नंदनी ने बताया, ''घर में एक बूंद पानी नहीं था. बच्चे कब से प्यासे थे. सो, बोर पर पानी लाने चली गई.''

प्रशासन मामले को आपसी रंजिश बताकर इसे हल्का करने की कोशिश कर रहा है. मुंगेली के कलेक्टर टीएस महावर कहते हैं, ''वह पारिवारिक झ्गड़ा था.'' उनका कहना है, ''जिले में पानी की दिक्कत जैसी कोई बात नहीं है. जिला प्रशासन चौकस है और दो घंटे के भीतर जहां जरूरत होगी, बोर करवा देंगे.'' लेकिन इंडिया टुडे संवाददाता ने मुंगेली के आधा दर्जन से अधिक गांवों में जो हालत देखी, वह कलेक्टर के कथन को झूठला रही थी. अनिता जांगड़े इस परेशानी के बारे में बताती हैं, ''अधिकारियों से हैंडपंप मरम्मत कराने का आग्रह करके हम लोग थक गए हैं.'' 

सिंघनपुरी लछनपुर ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है. लछनपुरा की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है. 300 की आबादी में चार हैंडपंप हैं. इनमें से दो अरसे से बिगड़े हुए हैं. पानी के लिए लोगों को घंटे-घंटे भर तक लाइन लगानी पड़ती है.

मुंगेली जिले के धर्मपुरा गांव में 95 फीसदी से अधिक अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर इस गांव के बाशिंदे वर्षों से खारे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. गांव के लोग तीन किमी दूर से सिर पर पानी ढोकर लाने के लिए मजबूर हैं. सुबह उठते ही सिर पर घूंडी लेकर पानी के लिए निकल जाना, गांव की महिलाओं की दिनचर्या में शुमार हो गया है.

मुंगेली जिले की सीमा पर स्थित बिलासपुर जिले के नवापारा गांव की स्थिति तो और दयनीय है. कहने के लिए गांव में छह हैंडपंप लगे हैं मगर इसमें से एक भी सही-सलामत नहीं है. लिहाजा, लोगों को बैलगाड़ी पर ढोकर दूसरे गांवों से पानी लाना पड़ रहा है.

नवापारा पंचायत की सरपंच सरिता साहू कहती हैं, ''लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों से कई बार हैंडपंप बिगड़ने की शिकायत की. इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई तो 1 जून को लोगों का गुस्सा फूट पड़ा.'' गांव की महिलाएं, बच्चे, पुरुषों ने बिलासपुर-मुंगेली मुख्यमार्ग पर चार घंटे तक चक्का जाम किया. इस दौरान सरकारी एंबुलेंस भी ग्रामीणों के आक्रोश का शिकार बनी. गांव के एलम पटेल का कहना है, ''सरकार दो रु. किलो चावल दे रही है मगर पानी होगा तभी तो चावल पकाएंगे.''

लेकिन राज्‍य के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के इंजीनियर इन चीफ राज्‍य में पेयजल की स्थिति को गंभीर नहीं मानते. सिंघनपुरी की घटना को वे भी पारिवारिक विवाद करार देते हुए कहते हैं कि कहीं भी पानी की कोई समस्या नहीं है. उनका विभाग पेयजल आपूर्ति के लिए मुस्तैद है.

जबकि आलम यह है कि राज्‍य के गृह मंत्री ननकीराम कंवर को अपने निर्वाचन क्षेत्र के भैसमा इलाके में बोर कराने के लिए 2 जून को अघोषित धरने पर बैठना पड़ा. जब बोर करने वाली मशीन आई तभी वे वहां से हटे. भैसमा के लोग पिछले छह माह से बोर की मांग कर रहे थे. और कंवर ने कई बार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी महकमे के अफसरों को इसके लिए पत्र भी लिखा था.

रायपुर से 35 किमी दूर अभनपुर ब्लॉक के हसदा गांव में भी पानी की स्थिति खराब है. नहाने और कपड़े धोने के लिए बैलगाड़ी और साइकिल पर पानी लाना पड़ता है. उप सरपंच बसंत साहू का कहना है, ''गांव में बोर सफल नहीं है और हैंडपंप बिगड़े हुए हैं.''

केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड ने भी सरकार को चेताया है कि राज्‍य में भूजल स्तर गिरता जा रहा है. बोर्ड की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 15 ब्लॉकों में स्थिति बेहद गंभीर है. 10 ब्लॉकों में पानी का दोहन ज्‍यादा हो रहा है.

रायपुर में भी पेयजल की स्थिति अच्छी नहीं है. झुग्गी बहुल इलाके को तो कौन पूछे, मोवा क्षेत्र की कई कॉलोनियों के बोर सूख गए हैं. लोग नगर निगम के सुबह-शाम आने वाले टैंकरों पर आश्रित हैं. सरकारी नलों में दो घंटे की जगह आधा घंटा पानी आ रहा है. टैंकर कर्मियों को लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है. सरकारी नलों पर बर्तनों की कतार राजधानी का आम नजारा है.

राजधानी के गिरते जलस्तर को देखने पिछले साल मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने रायपुर का भ्रमण कर तालाबों के जीर्णोद्धार के निर्देश दिए थे. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव आर.एस. विश्वकर्मा का कहना है, ''पेयजल आपूर्ति के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं है. महकमे के लोगों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि शिकायतों का फौरन निराकरण किया जाए.''

सरकार के पास हर समस्या के बदले में देने के लिए वादे हैं लेकिन उसके अधिकारी-कर्मचारी लोगों की शिकायतों पर कान नहीं धरते वरना पानी के लिए लहू न बहता.