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हत्‍या: किशोर होने लगे बेकाबू

वासना के उन्माद ने दो लड़कियों को माता-पिता की हत्या की साजिश करने के लिए उकसाया. इसवाकए के बाद उनके गांव में सन्नाटा. अब अपवाद नहीं रहीं इस तरह की घटनाएं.

अपडेटेड 11 जुलाई , 2011

सत्रह जून की रात जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर कोटपुतली से 20 किलोमीटर दूर कारवास गांव में पप्पू राम जाट और उनकी पत्नी राजबाला घर के अहाते में सो रहे थे. यही कोई आधी रात के आसपास उनकी छोटी बिटिया का ब्वॉयफ्रेंड धर्मेंद्र कुल्हाड़ी लिए चुपके से वहां पहुंचा और दोनों की जान ले ली.

स्कूल में पढ़ रही उनकी दोनों बेटियां 19 वर्षीया भावना और 18 वर्षीया पपीता अब जयपुर की जेल में हैं. उन्होंने धर्मेंद्र को उनके पिता का गला काटते और मां की हत्या करते देखा. अब वे कहती हैं, ''गलती हो गई.''

इस जुर्म ने 1,500 की आबादी वाले इस शांत-से गांव को हिलाकर रख दिया. पप्पू राम अपने गांव कारवास में जाना-पहचाना नाम था. दिल्ली की अनाज मिलों को वे मजदूरों मुहैया कराते थे. उनका ज्‍यादातर समय बाहर ही बीतता था. उसकी तीन बेटियों में से दो को अक्सर गांव के जवान लोगों के साथ देखा जाता था.

इस वजह से लोग उनके बारे में रस ले-लेकर बातें करते थे. पप्पू राम और उनकी पत्नी को इस बात का पता चला तो उन्होंने तीनों लड़कियों की शादी दूसरे गांव में तय कर दी. पप्पू राम ने काम पर जाना बंद कर दिया और दिन भर बेटियों पर नजर रखने लगा. रात में पत्नी और वो खुद आंगन में सोते तो बेटियों को घर के अंदर बंद कर देते.

पर कामवासना रास्ता निकाल ही लेती है, खासकर अगर वह किसी जवान के सिर चढ़ी हो. पपीता का धर्मेंद्र से इश्क था जो पड़ोस के धनचोली गांव में 12वीं का छात्र था. उसका आरोप है कि पपीता ने अपने मां-बाप की हत्या करने के लिए उसे उकसाया ताकि उनका प्रेमप्रसंग चलता रहे.

पुलिस का कहना है कि दोनों लड़कियां अपने मां-बाप पर गुस्सा थीं. धर्मेंद्र ने उनके मां-बाप को बेहोश करने के लिए नशे की गोलियां भी लाकर दीं, जिससे बाद में प्रेमी-प्रेमिका भाग सकें. लेकिन वह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई.

17 जून को पपीता ने धर्मेंद्र को उसके मोबाइल पर फोन किया और उससे कहा कि योजना पर काम चल रहा है. भावना ने अपने पिता और बड़ी बहन को नींद की गोली खिला दी. आधी रात से थोड़ा पहले धर्मेंद्र दीवार फांदकर आंगन में आया और उस कमरे के दरवाजे का ताला खोल दिया जहां पपीता और भावना बंद थीं, ताकि वे अपने माता-पिता की हत्या होते देख सकें.

पपीता की मां शोर सुनकर उठ बैठी लेकिन पपीता उसका गला दबाने के लिए दौड़ी. धर्मेंद्र ने उस पर कुल्हाड़ी से हमला किया और उसकी हत्या कर दी. इसके बाद पुलिस को गुमराह करने और दूर के एक चाचा पर उसकी मां के साथ बलात्कार करने की कोशिश करने का आरोप लगाने के लिए, उन्होंने अपने माता-पिता के कुछ कपड़े उतार दिए ताकि ऐसा लगे कि कोई उन पर टूट पड़ा था.

दोनों लड़कियां शुरू से संदेह के घेरे में थीं. कोटपुतली के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विनीत बंसल का कहना है, ''दोनों लड़कियां विरोधाभासी बयान दे रही थीं. उनकी टेलीफोन बातचीत पर नजर रखी जा रही थी और यहीं से इस मामले का भंडाफोड़ हुआ.''

पपीता और धर्मेंद्र चुप हैं और इस बारे में कुछ नहीं बता रहे हैं कि भागने की बजाए उन्होंने माता-पिता की हत्या क्यों की? बंसल का कहना है, ''कारवास में मां-बाप लड़कियों की सुध नहीं लेते, जिसकी वजह से यह नौबत आई.''

पुलिस के लिए इस तरह के यौन अपराध नई आफत के रूप में उभर रहे हैं. 4 जून को, कोटपुतली पुलिस ने 17 वर्षीय विजेंद्र जांगिड़, उसकी गर्लफ्रें ड 18 वर्षीया मनीषा मीणा और उनके एक दोस्त 20 वर्षीय सुरेश मीणा को गिरफ्तार किया. इन पर 12 मई को एक इलेक्ट्रिक मोटर मैकेनिक 22 वर्षीय संतलाल की हत्या का आरोप है.

ये लोग संतलाल के मनीषा और सुरेश की बहन के साथ सोने और उन दोनों को उसकी गर्लफ्रेंड के साथ न सोने देने से नाराज थे. दोनों आरोपी संतलाल को मनीषा के साथ सेक्स का लालच देकर अपने साथ ले गए और उसे गोली मार दी. उसका शव 17 दिन बाद 29 मई को एक कुएं से बरामद हुआ.

कारवास की तरह, हाल के दिनों में जाट समुदाय की दूसरी जवान औरतें इसी तरह के मामलों में लिप्त पाई गई हैं. परंपरागत तौर पर यह समुदाय महिलाओं को आजादी नहीं देता.19 वर्षीय छात्रा अरुणा की सगाई 20 वर्ष के कृष्णा से हुई थी, वह भी राजस्थान के झुंझ्नूं जिले का छात्र था. दोनों की शादी 9 जुलाई को होनी थी लेकिन अरुणा एक दूसरे लड़के 24 वर्षीय विकास जाट से विवाह करना चाहती थी.

30 जून को अरुणा विकास के साथ कृष्णा के गांव राजपुरा गई. उसने कृष्णा को एक मैदान में बुलाया और विकास को अपना भाई बताकर उससे परिचय कराया. उसने कृष्णा को कोल्ड ड्रिंक पीने के लिए दिया जिसमें उसने नींद की गोलियां मिला दी थीं. गोलियों का असर होने पर दोनों ने बिजली के केबल से उसका गला घोंट दिया. अरुणा को अपने मां-बाप को किसी दूसरे लड़के से विवाह करने की अपनी इच्छा बताने की बजाए अपने मंगेतर की हत्या करना आसान लगा. उसने पुलिस को बताया, ''मुझे लगा कि भागने से मां-बाप की छवि खराब होगी और कृष्णा की हत्या की गुत्थी अनसुलझी रहेगी.'' अरुणा और विकास को 1 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया.

2008 में सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त, 2001 को हरियाणा के हिसार के नजदीक अपने मां-बाप सहित आठ रिश्तेदारों की हत्या के आरोप में 22 वर्षीया सोनिया पूनिया और उसके पति संजीव कुमार को मौत की सजा दी थी. उसके पिता रेलूराम पुनिया विधायक रह चुके थे.

सोनिया ने पुलिस को बताया कि उसके पिता उसके साथ दुर्व्यवहार करते थे और चाहते थे कि वह अपने पति से तलाक ले ले, लेकिन पुलिस का कहना है कि उसके पिता के अपनी संपत्ति उसके सौतेले भाई को दे देने की वजह से वह परेशान थी.

दक्षिण दिल्ली के वुमंस पॉलिटेक्निक की छात्रा प्रियंका चौधरी और अंजु सिंह ने 10 नवंबर, 2008 को मेरठ में प्रियंका के माता-पिता की हत्या कर दी. इन दोनों लड़कियों की उम्र उस वक्त 22 साल थी. प्रियंका के रिश्तेदारों ने दोनों पर समलैंगिक होने और एक सैक्स रैकेट में शामिल होने का आरोप लगाया. दोनों ने अपने शोषण और दुर्व्यवहार के खिलाफ अक्तूबर में राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी. दोनों को 2010 में जमानत मिल गई.

मैक्स हेल्थ केयर के मानसिक रोगी विभाग के प्रमुख डॉ. समीर पारिख का कहना है, ''इस तरह की घटनाएं बढ़ते गुस्से का संकेत हैं. कुंठा, साथियों की ओर से ऐसे बर्ताव के लिए प्रोत्साहित किया जाना, फि ल्में या मीडिया इस तरह के आक्रामक बर्ताव की वजह हो सकते हैं.

ऐसी कामोत्तेजना उस वक्त पैदा होती है जब युवक/युवती एक ही युवक/युवती में जरूरत से ज्‍यादा तल्लीन हो जाते हैं. इससे उनका खुद पर काबू नहीं रह पाता. ऐसे ही भावनात्मक उफान में वे ऐसी हरकतें कर जाते हैं जिनका नतीजा उन्हें जिंदगी भर भुगतना पड़ता है.

इसमें कोई शक नहीं कि परिवारों के बीच संवादहीनता की हालत इस तरह की आक्रामकता के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है. आज की युवा पीढ़ी की बात सुने जाने की जरूरत है. क्या मां-बाप सुन रहे हैं?''