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आतंकवाद: पाकिस्तानी झूठ की खुल गई कलई

अंसारी उन साजिशकर्ताओं में से एक था जिन्होंने चबाड सेंटर पर हमला करने के लिए दो हमलावरों को निर्देशित किया.

अपडेटेड 3 जुलाई , 2012

लश्करे तैयबा के गिरफ्तार आतंकी सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जंदाल ने मुंबई पर 26/11 के आतंकी हमलों के साजिशकर्ताओं के नाम का खुलासा कर दिया है. उसने इन हमलों की साजिश रचने के लिए सीधे-सीधे पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आइएसआइ) का नाम लिया है.

अंसारी को 25 जून को सऊदी अरब से निर्वासित किया गया और दिल्ली पुलिस की विशेष सेल ने उसे गिरफ्तार किया. उसने खुलासा किया कि मेजर इकबाल और मेजर समीर अली नाम के दो पाकिस्तानी आइएसआइ अधिकारी 2007 और 2008 के बीच (जब हमलों की योजना बनाई गई) पाकिस्तान अधिकृ त कश्मीर में होने वाली लश्कर की बैठकों में नियमित रूप से भाग लिया करते थे. उसके सनसनीखेज खुलासों ने पाकिस्तान के इस दावे को तार-तार कर दिया है कि 26/11 का हमला लश्कर जैसे उन संगठनों का काम था, जिनका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है और उसके लिए पाकिस्तानी सेना जिम्मेदार नहीं थी.

अंसारी के खुलासों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच एक नया वाक्‌युद्ध शुरू हो गया है. गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, ''मैं जब किसी सरकार प्रायोजित संगठन की बात करता हूं तो किसी विशेष एजेंसी की तरफ अपनी उंगली नहीं उठाता. लेकिन यह तो साफ है कि 26/11 के हमलों में 'सरकार' का समर्थन या सरकारी तंत्र का हाथ था.'' पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक अपने देश की खंडन की नीति पर चलते रहे. उन्होंने साजिश का यह सिद्धांत पेश किया कि हमलों के पीछे भारतीय ही थे.

अंसारी ने बताया कि लश्कर प्रमुख हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी ने हमले की साजिश रची थी. इससे उन्हें भारत को सौंपे जाने की मांग को बल मिला है. उसने यह भी बताया कि लखवी और लश्कर का ऑपरेशन कमांडर मुजम्मिल कराची के उस कंट्रोल रूम में मौजूद थे जहां से हमलों पर नजर रखी जा रही थी.

तीस वर्षीय अंसारी मराठवाड़ा के बीड जिले के गवराई गांव का रहने वाला है. वह 2006 में सीमा पार पाकिस्तान चला गया. उसका बयान उन बातों की पुष्टि करता है जो, 2010 में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के अधिकारियों के समक्ष लश्कर के गुप्तचर डेविड कोलमैन हेडली ने अमेरिका में बताई थीं. हेडली ने 26/11 के हमलों के ठिकानों की टोह ली थी. हमलों के दौरान अंसारी लश्कर के मिलिट्री प्लानर साजिद मीर के मातहत काम कर रहा था.

अंसारी ने पूछताछ करने वालों को कथित तौर पर बताया, ''अजमल आमिर कसाब के पकड़े जाने के बाद इस नाटक के सूत्रधार डर गए थे. हालांकि कुल मिलाकर कंट्रोल रूम में माहौल उल्लासपूर्ण था क्योंकि आतंकवादी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ जंग को तीन दिन तक खींचने में कामयाब हो गए थे.''

अंसारी ने 10 हमलावरों को भारतीयों जैसा दिखने के लिए प्रशिक्षित किया था. उसने उन्हें हिंदी में बातचीत करना सिखाया, उन्हें मीडिया हाउसों के फोन नंबर उपलब्ध कराए और यह भी टिप्स दिए कि किस प्रकार मीडिया से बात की जाए और किस तरह उन्हें गुमराह किया जाए.

प्रशिक्षित इलेक्ट्रिशियन, अंसारी मृदभाषी था और 2005 में औरंगाबाद में स्टुडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कार्यकर्ताओं के संपर्क में आने से पहले तक उसने शायद ही कभी ऊंची आवाज में बात की हो. सिमी कार्यकर्ताओं ने उसे 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों की सीडी दिखाकर अपने आकाओं के साथ संपर्क करने के लिए उकसाया.

महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के अधिकारी अंसारी के खुलासों से हैरान नहीं हैं. एटीएस के एक अधिकारी का कहना है, ''हमें शुरू से संदेह था कि अंसारी ही इन हमलों की इकलौती भारतीय कड़ी है. हमले के दौरान उसके और अन्य आतंकवादियों के बीच सुनी गई फोन की बातचीत का विश्लेषण करने के बाद हमने उस पर ध्यान देना शुरू कर दिया. बातचीत के दौरान उसने हिंदी शब्द प्रशासन का इस्तेमाल किया था. इसके अलावा, उसका उच्चारण भी भारतीय था.''

विशेष अदालत में 26/11 हमलों के मामले में राज्‍य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सरकारी वकील उज्‍द्गवल निकम का कहना है कि अंसारी की गिरफ्तारी भारत के भीतर आतंकी गतिविधियों में पाकिस्तान की भागीदारी का और भी बड़ा सबूत है. वे कहते हैं, ''अपराध के लिए, न केवल उसको अंजाम देने वाला बल्कि उस आपराधिक कृत्य को संगठित करने वाला भी समान रूप से जिम्मेदार होता है. पाकिस्तान पर आतंकवाद को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जाना समय की जरूरत है.''

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