यह सारा तामझाम है सत्ता में वापसी का. अन्ना द्रमुक के चुनाव चिन्ह दो पत्तियों के विशाल कट आउट लगी सड़कों पर लोग जयललिता जयराम का इंतजार कर रहे हैं.
जैसे ही उनकी हाइड्रॉलिक सीट चुनाव अभियान की उनकी विशेष वैन की छत से ऊपर ले आती है तालियों की गड़गड़ाहट से लोग उनका स्वागत करते हैं.
वे जरा सा मुस्कुराती हैं. फिर यह भांपकर कि अभी चुनावी समर उन्होंने जीता नहीं है, वे गंभीर हो जाती हैं. उन्होंने मरून रंग की साधारण सी साड़ी पहनी है और वे कठोर लहजे में कहती हैं, ''यह महज सत्तारूढ़ दल को बदल देने वाला चुनाव नहीं है बल्कि एक खानदान के हाथों गुलाम बनी तमिलनाडु की जनता को आजाद कराने का चुनाव है.'' उनका छोटा सा भाषण उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी एम. करुणानिधि और उनके परिवार पर चाबुक बरसाने जैसा लगता है.
यह शब्दाडंबर भले पुराना है लेकिन कुछ बदला तो जरूर है. हालांकि द्रमुक पर हमला करने के मामले में जयललिता अब भी बहुत कठोर हैं, लेकिन अपनी सभाओं में जुटी भीड़ के साथ बरताव करने के मामले में वे 2006 के चुनाव अभियान की तुलना में कम उद्धत दिखती हैं. उस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.{mospagebreak}
इस बार अपने चुनावी अभियान में जयललिता पहले की तुलना में सहज और दयालु हैं, वे हंसती हैं और टीवी वालों के बाइट देने के अनुरोध पर अपना आपा नहीं खोतीं और अपने सहयोगी दलों के साथ भी उदारता बरतती हैं.
पिछले दिनों सीटों के बंटवारे के मामले में जब सहयोगी दलों के साथ उनकी बातचीत टूट गई थी और उन लोगों ने तीसरा मोर्चा बनाने की धमकी दे दी, तब उन्हें अक्खड़ तरीके से खारिज करने के बजाए जयललिता ने अपने अहंकार को दबाया और दोबारा समझैते के लिए उनसे संपर्क साधा. वाममोर्चा और विजयकांत की डीएमडीके समेत अपने गठबंधन के सहयोगियों के साथ सीटों का बंटवारा करने के लिए उनकी बातचीत दो रातों तक चली. लंबे समय तक सहयोगी रहे एमडीएमके जब उन पर अड़ियलपन का आरोप लगाकर गठबंधन से बाहर हो गई, तब भी उन्होंने पलटकर वार नहीं किया.
लेकिन एमडीएमके के महासचिव वैको ने अपनी पार्टी के एक प्रस्ताव में कहा है, ''जयललिता समय के साथ नरम पड़ जाएंगी और उनका व्यवहार बदल जाएगा यह भरोसा झूठा साबित हो चुका है. वे सारे फैसले अब भी खुद ही लेती हैं. ऐसे में हमारे लिए गठबंधन में रहते हुए मतदाताओं का सामना करना असंभव था.''{mospagebreak}
एमडीएमके के फैसले के बावजूद जयललिता ने आपा नहीं खोया और वैको को सावधानीपूर्वक एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उनसे उनकी दुर्दशा के मद्देनजर थोड़ा सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाने की अपील की गई थी, ''आपको अपनी पार्टी की ओर से कोई भी फैसला लेने का हक है, लेकिन प्यारी बहन होने के कारण आपके प्रति सम्मान मुझे बांधता है.'' लेकिन वैको नहीं पसीजे. 1980 से अब तक जयललिता सचमुच काफी बदल गई हैं.
उस दौर में उन्होंने कभी कहा था, ''बचपन से ही मेरा एक खास स्वभाव है. अगर कोई कुछ करने के लिए मुझसे प्रेम से कहता है तो मैं कुछ भी करूंगी. लेकिन अगर कोई मुझे आदेश देता है, तो मैं वह कभी न करूंगी, चाहे उसका नतीजा कुछ भी हो.''
लेकिन उनके स्वभाव में आई यह कोमलता करुणानिधि और उनके परिवार के लिए नहीं है. अपनी रैलियों में वे गरजती हैं, ''अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई वेल्लैयाने वेलियेरू (भारत छोड़ो आंदोलन) थी.
लेकिन 2011 में करुणानिधि के खिलाफ लड़ाई कोल्लैयाने वेलियेरू (लुटेरों तमिलनाडु छोड़ो आंदोलन) है. वे कहती हैं, ''करुणानिधि ने आपसे अपील की है कि द्रमुक के शासन की तुलना अन्ना द्रमुक के शासन से करने के बाद ही अपने मताधिकार का प्रयोग करें. मैं भी आपसे यही कहती हूं. मेरे कार्यकाल में हुई प्रगति की द्रमुक के दौर में हुए विध्वंस से तुलना करें, उसके बाद ही अपना वोट डालें.''{mospagebreak}
द्रमुक के राज में हुआ भ्रष्टाचार ही उनके चुनावी भाषणों का मुख्य मुद्दा है. सड़कों पर उनकी सभाओं में 2006 के विधानसभा चुनाव और 2009 के लोकसभा चुनाव से ज्यादा भीड़ जुट रही है. टी. नगर विधानसभा क्षेत्र से अन्ना द्रमुक उम्मीदवार वी.पी. कलैराजन कहते हैं. ''वे हमेशा अपने लोगों और अपनेकार्यकर्ताओं का साथ देती हैं.''
चुनावी सर्वेक्षण में अन्ना द्रमुक गठबंधन की भारी जीत की भविष्यवाणी के बाद पार्टी में नीचे से ऊपर तक उत्साह का माहौल है. विल्लैयावक्कम से द्रमुक उम्मीदवार के. अंबालगन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे जे.सी.डी. प्रभाकर कहते हैं, ''उनके नेतृत्व में जनता को भ्रष्टाचारमुक्त सरकार मिलेगी. वे राज्य की जनता को गुलामी से मुक्त करेंगी.''
बिजली कटौती से लेकर मुद्रास्फीति और भ्रष्टाचार तक सभी समस्याओं का दोष वे करुणानिधि सरकार पर मढ़ती हैं. वे मतदाताओं से कहती हैं, ''मेरे कार्यकाल में बिजली कटौती नहीं होती थी, लेकिन अब तमिलनाडु बिजली की कमी से जूझ रहा है. मेरे शासन में जरूरी चीजों के दाम नियंत्रण में थे.''
अपनी जीत के प्रति वे इतनी आश्वस्त हैं कि उन्होंने अभी से अपने लोगों को कह दिया है कि उन्होंने जिन योजनाओं की घोषणा की है, उनके क्रियान्वयन के लिए कागजी तैयारी पूरी कर ली जाए. यह उस नेत्री में आया भारी बदलाव है, जो पांच साल पहले तक द्रमुक की मुफ्त रियायतें देने की नीति का मजाक उड़ाती थी. अब उन्होंने करुणानिधि को उन्हीं के खेल में मात देने की ठान ली है. अन्ना द्रमुक के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, ''करुणानिधि का एकमात्र लाभ यह मिल रहा है कि उन्होंने 2006 में किए अपने वादे पूरे किए. द्रमुक इसी पर इतरा रही है. लेकिन अम्मा सत्ता में आने के तुरंत बाद सभी योजनाएं लागू करेंगी.''{mospagebreak}
6 अप्रैल को कोयंबत्तूर में अपने गठबंधन सहयोगियों की एक रैली में शामिल होकर जयललिता ने अपनी यह छवि भी तोड़ दी है कि वे असहयोगी नेता हैं. बदलाव पूरा हो चुका है- नया एकजुट गठबंधन है और उसका एक चुनावी घोषणापत्र जारी हो चुका है जिसमें मतदाताओं को ग्राइंडर, मिक्सर और विवाह पर आर्थिक अनुदान जैसी मुफ्त सुविधाएं देने की बात की गई हैं. जया का यह नया अवतार है. इस चुनाव में मतदाताओं के सामने एक दयालु और भद्र जयललिता हैं, जो अपना आपा नहीं खोतीं और यहां तक कि अपने सहयोगियों के प्रति भी शालीन हैं.